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नौकरी छोड़ शुरू किया काले चावल का स्टार्टअप, बासमती को देगा टक्कर - trade fair 2019 up stall

ट्रेड फेयर में काला नमक चावल का स्टार्टअप प्लान लेकर आए अनय त्रिपाठी ने बताया कि ये चावल यूपी के सिद्धार्थनगर जिले में उगाया जाता है. इसकी बेहतरीन क्वालिटी के चलते इसे उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से सिद्धार्थनगर का यूनिक प्रोडक्ट चुना गया है.

नौकरी छोड़ युवक ने काले चावल का स्टार्टअप शुरू किया.

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Published : Nov 24, 2019, 8:32 PM IST

Updated : Sep 4, 2020, 1:43 PM IST

नई दिल्ली: प्रगति मैदान में इन दिनों 39वां ट्रेड फेयर चल रहा है. जहां अलग-अलग राज्यों ने अपने स्टॉल में कई अनोखी चीजें प्रदर्शित की है. इन्हीं में एक आकर्षण का केंद्र यूपी के वन डिस्ट्रिक्ट वन प्रोडक्ट स्कीम के तहत सिद्धार्थनगर जिले में उगने वाला काला नमक चावल है. इसे विभाग की तरफ से ट्रेड फेयर में प्रदर्शन के लिए चुना गया है, जो बासमती चावल से कहीं कम नहीं है.

नौकरी छोड़ युवक ने काले चावल का स्टार्टअप शुरू किया.

बासमती से कम नहीं ये काला चावल
इंजीनियरिंग की नौकरी छोड़कर इस खास किस्म के चावल का स्टार्टअप शुरू करने वाले अनय त्रिपाठी ने बताया कि भारत में चावल की कई किस्में मौजूद हैं, लेकिन लोगों की जुबान पर सिर्फ बासमती का ही नाम होता है. इसलिए इस एग्जीबिशन के जरिए वो लोगों को यूपी के सिद्धार्थनगर जिले में उगने वाले चावल के बारे में बताना चाहते हैं, जो किसी भी मायने में बासमती से कम नहीं है.

चावल का स्टार्टअप प्लान
काला नमक चावल का स्टार्टअप प्लान लेकर आए अनय त्रिपाठी ने बताया कि ये चावल उत्तर प्रदेश के सिद्धार्थनगर जिले में उगाया जाता है. इसकी बेहतरीन क्वालिटी के चलते इसे उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से सिद्धार्थनगर का यूनीक प्रोडक्ट चुना गया है.

काले चावल में हैं ये खूबियां
उन्होंने कहा कि इस चावल में वो सभी गुण हैं, जो इसे बासमती की टक्कर का बनाते हैं. अनय ने बताया कि काला नमक चावल नॉन बासमती छोटे दाने वाला चावल है. जिसमें बासमती से ज्यादा महक है और जो पकने के बाद बासमती से ज्यादा मुलायम होता है. साथ ही ये खाने में भी हल्का रहता है.

इस चावल की लागत और दाम के बारे में बताते हुए उन्होंने कहा कि ये चावल करीब डेढ़ सौ रुपये प्रति किलो के दाम में उपलब्ध है और सीमित किसान ही इसे उगाते हैं.

इस चावल का उत्पादन है महंगा
उन्होंने कहा कि वर्तमान समय में किसान इसे उगाना नहीं चाहते, क्योंकि इसकी पैदावार हाइब्रिड चावल के मुकाबले कम होती है. साथ ही धान की लंबाई ज्यादा होने के चलते इसे मशीन से नहीं काटा जा सकता. इसे हाथ से काटना पड़ता है. मजदूरों से कटाई कराए जाने के चलते इसकी कीमत में इजाफा हो जाता है.

वहीं अनय त्रिपाठी ने बताया कि ट्रेड फेयर में चावल की क्वालिटी के बारे में जानने के बाद हजारों टन में इसे खरीदने के ऑर्डर्स मिल रहे हैं, लेकिन उपज कम होने के कारण वो ये आर्डर नहीं ले पा रहे हैं. ऐसे में अगर किसानों को आश्वासन मिल जाए कि इस चावल की उपज से उनकी आय दोगुनी हो जाएगी. तो बड़ी संख्या में किसान भी इस चावल को उगाना शुरू कर देंगे.

वन डिस्ट्रिक्ट वन प्रोडक्ट की स्कीम
इस स्टार्टअप को लेकर उत्तर प्रदेश के उद्योग विभाग के असिस्टेंट कमिश्नर मनीष चौधरी ने बताया कि उत्तर प्रदेश सरकार ने वन डिस्ट्रिक्ट वन प्रोडक्ट की स्कीम चलाई है. जिसकी 4 उपयोजनाएं हैं. जिसके तहत इस तरह के स्टार्टअप को बढ़ावा देने के लिए यूपी सरकार उत्पादन और बिक्री में किसानों को हर प्रकार की सहायता मुहैया कराएगी.

'किसानों को प्रोत्साहन देने की जरूरत'
साथ ही कहा कि सरकार कोशिश करेगी कि किसानों को उनकी मेहनत का पूरा मुआवजा मिले. उन्होंने कहा कि अगर कम उपज करने पर किसानों को ज्यादा पैसे मिलेंगे तो वो बाकी किस्में छोड़कर यही चावल उगाएंगे. साथ ही उन्होंने कहा कि वह चाहते हैं कि हर जगह के किसानों को यह चावल उगाने के लिए प्रोत्साहित कर सकें जिससे आगे चलकर इस चावल का आयात भी किया जा सके.

Last Updated : Sep 4, 2020, 1:43 PM IST

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