सिद्धार्थनगर: जिले में बाढ़ और बारिश का कहर बदस्तूर जारी है. प्रतिदिन स्थिति और भयावाह होती जा रही है. गुरुवार को डुमरियागंज के बगहवा गांव में बारिश से कई मकानों की दीवार गिर गई. एक पोल्ट्री फार्म की दीवार गिरने से सैकड़ो मुर्गियां मर गई. जिला प्रशासन की टीम मौके पर पहुंच कर सारे इंतजाम करने का दावा तो कर रही है, लेकिन जमीन पर ये नाकाफी साबित हो रही है.
सिद्धार्थनगर जिले के दर्जनों गांव चारों तरफ पानी से घिरे हैं. नदियों का जलस्तर लगातार बढ़ रहा है. राप्ती और बूढ़ी राप्ती ये दोनों नदियां कहर बरपा रही हैं. सैकड़ों गांव जलमग्न हैं. दर्जनों गांव मैरुण्ड हो चुके हैं. इस बीच पिछले दो दिनों से हो रही बारिश ने लोगों की मुश्किलें और बढ़ा दी हैं. पिछले करीब 10 दिनों से बाढ़ से घिरा यह डुमरियागंज तहसील का बगहा गांव है. मैरुण्ड हो चुके इस गांव में तेज बारिश की वजह से दो घरों की दीवार गिर गई. हालांकि दीवार गिरने से कोई भी हताहत नहीं हुआ.
बगहवा गांव में बाढ़ का कहर. इसी गांव में पोल्ट्री फॉर्म चला रहे एक व्यक्ति के पोल्ट्री फॉर्म में पानी घुसने से उसकी करीब 300 मुर्गियां पानी में डूब कर मर गईं. सिद्धार्थनगर जिले में बाढ़ से नुकसान का यह कोई एकलौता गांव नहीं है बल्कि दर्जनों गांव में बाढ़ का पानी इसी तरह का कहर मचाए हुए है. देर से हरकत में आए जिला प्रशासन के लोग बाढ़ पीड़ितों की मदद कर रहे हैं और गांव-गांव जाकर बाढ़ से नुकसान का जायजा ले रहे हैं, लेकिन प्रशासन के सुस्त रवैये की वजह से उनकी यह कोशिश नाकाफी साबित हो रही है. ग्रामीणों का कहना है कि प्रशासन की तरफ से उन्हें जो मदद मिलनी चाहिए, वह नहीं मिल पा रही है और उनकी दिक्कतें दिनों-दिन बढ़ती ही जा रही हैं.
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राप्ती और बूढ़ी राप्ती नदी का जलस्तर बढ़ने से सिद्धार्थनगर जिले के डुमरियागंज और इटवा तहसील में बाढ़ का असर ज्यादा है. डुमरियागंज के एसडीएम त्रिभुवन प्रसाद का कहना है कि वे लगातार बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों का दौरा कर प्रभावित लोगों की हर तरह की मदद पहुंचाने की कोशिश में लगे हैं और बाढ़ पीड़ितों को राशन के साथ-साथ अन्य सुविधाएं भी दी जा रही हैं. उन्होंने कहा कि बाढ़ से जिन लोगों के घर या जानवरों की क्षति हुई है, उसका भी आकलन कराया जा रहा है. कोशिश की जा रही है कि 24 घंटे के अंदर ही सहायता राशि उनके खाते में पहुंचाई जा सके.