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पंचायत चुनाव 2021, श्रावस्ती जिले की ग्राउंड रिपोर्ट - श्रावस्ती का समाचार

पंचायत चुनाव नजदीक आते ही जिले का राजनीतिक पारा बढ़ने लगा है. कई राजनीतिक पार्टियों में सफलता हासिल करने की होड़ सी मची है. सभी ने अपने स्तर से तैयारियां शुरू कर दी हैं.

पंचायत चुनाव 2021, श्रावस्ती जिले की ग्राउंड रिपोर्ट
पंचायत चुनाव 2021, श्रावस्ती जिले की ग्राउंड रिपोर्ट

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Published : Feb 17, 2021, 8:05 AM IST

श्रावस्तीः पंचायत चुनाव 2021 सिर पर है, ऐसे में सभी राजनीतिक पार्टियां और निर्दलीय प्रत्याशी अपनी-अपनी राजनीतिक रोटी सेंकने के लिये अभी से जनसंपर्क में लगे चुके हैं. अब देखना ये है कि कौन कितना अपनी ओर मतदाताओं को रिझा पाता है.

पंचायत चुनाव 2021, श्रावस्ती जिले की ग्राउंड रिपोर्ट

ईटीवी भारत ने की विकास की पड़ताल

बीते 5 सालों में जिले की एक मात्र जिला पंचायत में पिछले जनप्रतिनिधि ने कितना विकास किया, ये जानने के लिए हमारी ईटीवी भारत की टीम जिला मुख्यालय के भिनगा में स्थित जिला पंचायत ऑफिस पहुंची. जहां अपने ऑफिस में मौजूद अपर मुख्य अधिकारी श्री कांत दुबे ने कैमरे के सामने तो कुछ भी नहीं बताया, लेकिन अनऑफिसिअली उनका कहना था कि हमारे विभाग ने जिले के कई स्थानों पर गांवों के बाहर संपर्क मार्गों का नवीनीकरण और लेपन का काम किया है. इसके साथ ही कुछ स्थानों पर खंडजे और पुलिया का भी निर्माण काम किया है.

टूटे-फूटे सड़कों से गुजरता ग्रामीण

अधिकारी इस बयानबाजी की हकीकत जानने जब हम यहां की सड़कों पर निकले तो ये खस्ताहाल पड़ी थीं. इनमें से कई सड़कों की हालत तो चलने लायक भी नहीं थी. जिसकी वजह से यहां आये दिन दुर्घटनाएं होती रहती हैं. इस बात की पुष्टि के लिए जब हमारी टीम ने यहां के ग्रामीणों से बात की तो उन्होंने बताया कि सरकार गड्ढामुक्त प्रदेश के दावे तो करती है. लेकिन जिला पंचायत सरकार की इस योजना पर कोई भी काम नहीं करती है. जिन सड़कों पर काम हुए हैं वो मानक के विपरीत हुए हैं. जिसकी वजह से चंद दिनों में दोबारा सड़के खस्ताहाल हो गयी हैं. सड़कों की पैचिंग का काम दो महीने पहले किया गया था. लेकिन भ्रष्टाचार के दीमक ने सड़कों को चलने लायक भी नहीं छोड़ा. यहां के सड़कों पर लगी गिट्टियां उखड़कर ईधर-उधर फैली हुई हैं.

खस्ताहाल सड़क

इस स्थिति को देखने के बाद जिला पंचायत के सड़क नवीनीकरण के दावे बेईमानी लगते हैं. अगर काम होता भी होगा, तो मानक विहीन. ऐसे में पांच साल बीत जाने के बाद भी यहां का मतदाता अपने को ठगा ही महसूस कर रहा है.

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