श्रावस्ती :15 जनवरी को मकर संक्रांति है. शनिवार और रविवार को इस मौके पर यूपी के थारू प्रवासित इलाकों में माघी लहान त्योहार मनाने की तैयारियां जोरों पर है. भारत नेपाल सीमा पर बसे सिरसिया ब्लॉक क्षेत्र में हिमालय की तलहटी में भचकाही, मसहकला, रनियापुर, रवलपुर, बनकटी, कटुकुइया, बच्चूपुरवा समेत दर्जन भर गांवों को सजाया सजा रहा है. इन गांवों में रहने वाले थारू समाज के लोगों ने गली-मुहल्लों की साफ सफाई शुरू कर दी है. भचकाही गांव के मुखिया रामधन चौधरी ने बताया कि इस साल माघी लहान का पर्व मकर संक्रांति के एक दिन पूर्व आधी रात से ही शुरू हो जाएगा.
रामधन चौधरी ने बताया कि उत्तर प्रदेश के थारू आदिवासी मकर संक्रांति के पर्व को अनूठे अंदाज में मनाते हैं. आदिवासी थारू समाज के लोग इसे माघी लहान कहते हैं. उनका कहना है कि थारूओं का ऐतिहासिक माघी महोत्सव देश दुनिया में प्रसिद्ध है. रोशनी से नहाते थारू गांव, सजे मंच पर रात भर नाच गाने की चमक-धमक और उत्साह चरम पर पहुंच जाता है. श्रद्धा,आस्था और उत्सव के चटख रंग अमिट छाप छोड़ते हैं. मकर संक्रांति से पूर्व मध्य रात्रि से शुरू होने वाले इस पर्व के साथ थारू समाज का नया साल भी शुरू होता है.
भचकाही गांवके मुखिया रामधन चौधरी ने बताया कि इस साल माघी लहान का पर्व मकर संक्रांति के एक दिन पूर्व आधी रात से शुरू हो रहा है. इस मध्य रात्रि को थारू समाज के लोग गाजे-बाजे के साथ अपने मुखिया को गांव के बाहर स्थित किसी तालाब, नदी या फिर किसी मंदिर के कुएं पर लेकर जाते हैं. यहां पर मुखिया को सभी लोग स्नान कराते हैं. इसके बाद पूरे गांव में नहाने का सिलसिला शुरू हो जाता है. नहाने का यह क्रम सुबह तक जारी रहता है. नहाने के बाद पुरुष सदस्य घर के अंदर जाकर वहां सूप में रखे हुए चावल को अपने हाथों से छूकर उसे प्रणाम करते हैं. इसके बाद परिवार और आसपास के बड़े-बुजुर्गों के पैर छूकर आर्शीवाद लेते हैं.