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गन्ना उत्पादकता में फिर अव्वल आया शामली, भुगतान में देरी के बावजूद भी किसान क्यों उगाते हैं गन्ना? - उत्तर प्रदेश में गन्ना उत्पादन में प्रथम जिला

यूपी में शामली जिला गन्ना उत्पादकता (sugarcane production in uttar pradesh) में लगातार चौथे साल अव्वल स्थान पर आया है. यहां के किसान मिलों द्वारा गन्ना भुगतान में लेटलतीफी से परेशान रहते हैं, जिसको लेकर धरना प्रदर्शन भी होते रहते हैं, लेकिन गन्ने की पैदावार पर इसका कोई असर नही पड़ रहा है. कृषि वैज्ञानिक के मुताबिक, हाई रिस्क कवर और निश्चित मूल्य होने के चलते किसान गन्ने की खेती को प्राथमिकता देते हैं.

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गन्ना उठाते किसान

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Published : Jul 8, 2022, 11:14 AM IST

शामली:जिले में तीन चीनी मिले हैं और गन्ने की आपूर्ति की ऐवज में किसानों को भुगतान की बात की जाए, तो तीनों ही मिलें भुगतान में फिसड्डी साबित हो रही हैं. इसके बावजूद भी शामली जिला गन्ना उत्पादकता में यूपी में (sugarcane production in uttar pradesh) प्रथम स्थान प्राप्त कर रहा है. यूपी गन्ना आयुक्त कार्यालय से प्राप्त आंकड़ों के अनुसार, इस वर्ष शामली ने औसतन 1,014.16 क्विंटल प्रति हेक्टेयर गन्ने की फसल दर्ज की, जबकि इसी क्रम में मुजफ्फरनगर दूसरे और मेरठ तीसरे स्थान पर है.

जिला गन्ना अधिकारी(DCO) विजय बहादुर सिंह ने बताया कि 'उत्पादकता' कुल उत्पादन के कारकों का अनुपात है. शामली जिले में गन्ना क्षेत्र वर्ष 2021-22 (Sugarcane Area Year 2021-22) में 77247 हेक्टेयर था, जबकि 2022-23 में यह बढ़कर 79801 हेक्टेयर हो गया है. उन्होंने बताया कि यूपी में शामली ने गन्ना उत्पादन में प्रथम स्थान प्राप्त किया है और यह सब जनपद के किसानों की मेहनत का ही परिणाम है.

किसानों के 723.26 करोड़ बकाया

गत पेराई सत्र 2021-22 के आंकड़ों पर नजर डाली जाए, तो शामली की तीनों चीनी मिलों ने किसानों को 1151.65 करोड़ रुपये के मुकाबले सिर्फ 428.39 करोड़ रुपये का भुगतान ही किया है. मिलों द्वारा किसानों को 723.26 करोड़ रुपये का भुगतान किया जाना अभी बाकी है. किसानों का कहना है कि समय पर बकाया भुगतान नहीं होने से हमें काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है.

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गन्ना क्यों बना पहली पसंद?

शामली कृषि विज्ञान केंद्र के कृषि वैज्ञानिक और गन्ना विशेषज्ञ डॉ. विकास कुमार मलिक ने बताया कि जनपद के किसान तकनीक की मदद से गन्ने के उत्पादन को बढ़ाने और फसलों को बीमारियों से बचाने के लिए बहुत जागरूक हैं. उन्होंने बताया कि गन्ना एक ऐसी फसल है, जिसका जोखिम कवर अधिक होता है और किसानों को एक निश्चित मूल्य भी प्राप्त हो जाता है. इससे किसान भुगतान में देरी के बावजूद भी गन्ने की खेती को प्राथमिकता देते हैं.

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