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शामली में चुनाव के दौरान वोट हासिल करने के लिए कॉलोनियों में बसाए जा रहे मुस्लिम परिवार - शामली की ख़बर

यूपी के शामली की कैराना विधानसभा क्षेत्र में जमीन का लालच दिखाकर अल्पसंख्यक परिवारों से वोट हासिल करने की जुगत भिड़ाई जा रही है. खास बात ये है कि इस बड़ी तिकड़मबाजी पर न तो अधिकारियों का कोई ध्यान है और न ही खुफिया विभाग इसकी सुध ले रहा है.

वोट के लिए कॉलोनियों में बसाए जा रहे मुस्लिम परिवार
वोट के लिए कॉलोनियों में बसाए जा रहे मुस्लिम परिवार

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Published : Nov 22, 2021, 10:08 PM IST

शामलीः जिले की कैराना विधानसभा क्षेत्र में जमीन का लालच दिखाकर अल्पसंख्यक परिवारों से वोट हासिल करने की जुगत भिड़ाई जा रही है. यहां पर कांग्रेस के फायरब्रांड नेता इमरान मसूद आते हैं और एक कॉलोनी का उद्घाटन करके चले जाते हैं. कॉलोनी में मुस्लिम परिवारों को बसाया जा रहा है, जिनका सीधे तौर पर कहना है कि वोट हासिल करने के लिए उन्हें ये जमीन रहने के लिए दी जा रही है.

विधानसभा चुनाव सिर पर है, ऐसे में विभिन्न राजनैतिक दलों ने शक्ति प्रदर्शन शुरू कर दिया है. कुछ दलों से जुड़े लोग अधिक से अधिक वोट अपने पाले में रखने के लिए कुछ भी करने को तैयार हैं. ऐसा ही बड़ा खुलासा जिले में भी सामने आया है. यहां पर कांग्रेस नेता इमरान मसूद द्वारा एक कॉलोनी का उद्घाटन किया गया है. जिसमें जिले और बाहर से आने वाले गरीब मुस्लिम परिवारों को कैराना विधानसभा क्षेत्र के एक गांव में बसाया जा रहा है. कॉलोनी में बसने आए लोगों का कहना है कि उन्हें वोट के लिए ये जमीन रहने को दी गई है.

वोट के लिए कॉलोनियों में बसाए जा रहे मुस्लिम परिवार

दरअसल, ये पूरा मामला शामली जिले की कैराना विधानसभा क्षेत्र की ग्राम पंचायत बीबीपुर जलालाबाद के मजरा रतौंद का है. गांव रतौंद में प्रधानी का चुनाव लड़ चुके अफसर उर्फ भूरा की करीब 6 बीघा जमीन पर मुस्लिम परिवारों के लिए एक कॉलोनी बसाई गई है. 12 नवंबर को कांग्रेस के पूर्व विधायक इमरान मसूद ने रतौंद गांव पहुंचकर फीता काटते हुए इस कॉलोनी का उद्घाटन किया गया था.

फिलहाल इस कॉलोनी में करीब 28 परिवारों को बसाने का दावा हो रहा है. जिनके लिए प्लाट भी काटे गए हैं. लेकिन वर्तमान में सिर्फ एक ही परिवार इस जमीन पर खुद से कच्चा मकान बनाकर रह रहा है. परिवार के मुखिया की माने तो अन्य परिवार भट्टे और अन्य स्थानों पर मजदूरी करने के लिए गए हैं, ताकि वे जमीन पर घर बनाने के लिए पैसे जुटा सकें. इनमें से कुछ गरीब परिवार शामली जिले के रहने वाले हैं. जबकि कुछ परिवार बाहर के जिलों से भी बुलाए जाने की जानकारी मिली है.

अल्पसंख्यक परिवारों के लिए बसाई गई कॉलोनी में कच्चा मकान बनाकर परिवार के साथ रह रहे इरफान ने बताया कि वे शामली विधानसभा क्षेत्र के गांव बनत के रहने वाले हैं. घर का मकान नहीं था, तो उन्हें रतौंद गांव में अल्पसंख्यक परिवारों को फ्री में दी जा रही जमीन पर खुद से मकान बनाकर रहने की जानकारी रतौंद निवासी अफसर उर्फ भूरा द्वारा दी गई. इसके बाद वे तीन महीने पहले इस जमीन पर आकर रहने लगे हैं. इरफान ने बताया कि इस जमीन पर करीब 28-30 प्लाट कट चुके हैं. प्लॉट कटवाने वाले कुछ परिवार भट्टों पर तो कुछ अन्य जगह मजदूरी कर रहे हैं.

जमीन देते वक्त हमें यह कहा गया था कि अपना घर बनाकर रहो, हमें तो पांच साल में एक बार वोट देना है. यहां पर एक परिवार को 60-65 गज जगह अपना घर बनाने के लिए दी जा रही है. कॉलोनी का उद्घाटन इमरान मसूद ने रिबन काट के किया था. लेकिन उनकी तरफ से अभी कोई अन्य सहयोग नही मिला है. इरफान ने कहा कि हम यहां पर फ्री जमीन के लिए रह तो रहे हैं, लेकिन पहले जिला मुख्यालय पर मजदूरी अच्छी मिलती थी, लेकिन अब यहां पर छोटा-मोटा काम ही मिल पाता है. मौखिक रूप से जमीन देने के बाद हमें राशन कार्ड बनवाने, अपनी आईडी में बदलाव कराने और वोट बनवाने के लिए भी कहा गया है.

रतौंद गांव के रहने वाले मोहम्मद इसरार ने बताया कि कॉलोनी का उद्घाटन 12 नवंबर को कांग्रेस नेता इमरान मसूद ने किया था. लोगों को यहां रहने के लिए गांव के ही अफसर उर्फ भूरा द्वारा बुलाया गया है. अफसर द्वारा लोगों से कहा गया है कि यहां पर जमीन हम दे रहे हैं, अपना मकान खुद बना लो. लोगों को वोट देने के लिए भी कहा जा रहा है. इसरार ने बताया कि कॉलोनी में 28 परिवार अपने प्लाट ले चुके हैं. अन्य लोग भी आने वाले हैं. यह जमीन अफसर उर्फ भूरा की खुद की है, जिस पर वोट के लिए लोगों को फंसाया जा रहा है. दरअसल, अफसर पूर्व की योजनाओं में प्रधान पद का चुनाव भी लड़ चुका है, जिसमें उसकी जीत नहीं हो पाई थी. फ्री जमीन का यह फार्मूला प्रधानी चुनाव में जीत हासिल करने और आने वाले अन्य चुनावों में अपने पाले में समर्थकों की फौज दिखाने वाला भी प्रतीत हो रहा है.

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ग्राम पंचायत बीबीपुर जलालाबाद के रहने वाले दिनेश कुमार ने बताया कि उनकी पत्नी ग्राम प्रधान है. रतौंद उर्फ रोहटन उनकी ही ग्राम पंचायत का एक मजरा लगता है. हमें पता चला है कि अफसर उर्फ भूरा नाम का शख्स जो कई बार प्रधान पद का चुनाव हार चुका है, उसने वोट कम पड़ने की वजह से एक योजना बनाई है. योजना के तहत वह गरीब मुस्लिम परिवारों को बाहर से लाकर मजरा रतौंद उर्फ रोहटन में बसा रहा है.

हमें पूरे मामले की जानकारी हुई थी, मौके पर जाकर देखा, तो जमीन पर नींव भी भरी हुई है. यह भी पता चला है कि जमीन पर मकान बनाने के लिए अफसर के कुछ शर्तें भी रखी गई हैं. बसाए गए परिवारों का बैनामा नही किया जा रहा है. उन्हें जमीन पर पक्का मकान बनाने की भी अनुमति नही है. प्रधानपति ने बताया कि अफसर की पहचान इमरान मसूद से है, इसलिए उन्हें कॉलोनी का उद्घाटन करने के लिए बुलाया गया होगा. प्रधानपति ने बताया कि यह पूरा मकसद वोट हासिल करने की मंशा से जुड़ा हुआ है.

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