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किसानों की न सुनी तो होगा प्रदर्शन, हम कमजोर नहीं: राकेश टिकैत - शामली में किसान पंचायत

यूपी के शामली में भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता चौधरी राकेश टिकैत ने किसान पंचायत में हिस्सा लिया. इस दौरान उन्होंने कहा कि सरकार देश में एक एमएसपी लागू करने का दावा करती है. वहीं यूपी के किसानों को अन्य राज्यों की तरह समान सुविधाएं क्यों नहीं मिल रही हैं. उन्होंने कहा कि हरियाणा में किसानों के लिए बिजली 35 रुपये हार्स पावर है. जबकि पंजाब में इसे फ्री किया गया है. एमएसपी एक है, तो यूपी के किसानों को महंगी बिजली क्यों दी जा रही है.

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भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता चौधरी राकेश टिकैत.

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Published : Oct 13, 2020, 6:24 AM IST

शामली: भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता चौधरी राकेश टिकैत शामली के कैराना क्षेत्र के गांव भूरा में किसानों की पंचायत में पहुंचे थे. यहां पर उन्होंने भारत सरकार द्वारा लागू किए गए कृषि बिलों का पुरजोर विरोध किया. उन्होंनें कहा कि सरकार देश में एक एमएसपी लागू कर चुकी है, तो फिर देश के अलग-अलग राज्यों में किसानों को समान सुविधाएं क्यों नहीं मिल पा रही हैं. सरकार फैसला वापस नहीं लेगी तो हम अपने हक के लिए लड़ेंगे.

किसान पंचायत.

हरियाणा में यूपी के किसानों पर पाबंदी
चौधरी राकेश टिकैत ने कहा कि यूपी में एमएसपी पर खरीद नहीं हो रहा है. हरियाणा में यूपी के किसानों की एंट्री पर पाबंदी लगाई जाती है. इससे किसानों को अपनी फसल का अच्छा दाम भी नहीं मिल पा रहा है. उन्होंने कहा कि हरियाणा में किसानों को 35 रुपये हार्स पावर बिजली मिल रही है. जबकि पंजाब में किसानों की बिजली फ्री है. सरकार देश में एक एमएसपी लागू करने का दावा कर रही है, तो किसानों के साथ यह भेदभाव क्यों हो रहा है. यदि सरकार पंजाब की तरह बिजली फ्री नहीं कर सकती, तो कम से कम हरियाणा की तरह कम कीमत में तो किसानों को बिजली दे ही सकती है.

सीड और पेस्टीसाइड बिल से बढ़ेगी महंगाई
चौधरी राकेश टिकैत ने कहा कि सरकार ने कृषि के तीन बिल लागू किए हैं. जिसका विरोध पूरे देश के किसान कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि अब सरकार दो ओर बिलों को लागू करने का मन बना रही है. इसमें एक सीड बिल और दूसरा पेस्टीसाइड दवाईयों का बिल भी आएगा. इससे महंगाई और अधिक बढ़ेगी, तो किसान पूरी तरह से बर्बाद हो जाएगा. उन्होंने कहा कि सरकार की नीतियों के चलते नई कांटेक्ट फार्मिंग को बढ़ावा मिल रहा है. ऐसे में किसान अपनी जमीन किसी ओर को देकर मजदूरी करने पर विवश हो जाएंगे. राष्ट्रीय प्रवक्ता ने कहा कि यदि सरकार किसानों की मांगे नहीं मानती, तो हम भी कमजोर नहीं हैं. रौला-रूक्का कर अपने हक की लड़ाई से भी पीछे नहीं हटेंगे.

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