शामली: यूपी के कैराना से ताल्लुक रखने वाले देश और दुनिया में विख्यात शायर मुज़फ़्फ़र इस्लाम 'रज़्मी' का नाम आज भी शायरी की दुनिया में बड़े ही अदब से लिया जाता है. रज्मी साहब ने सऊदी अरब, दुबई और पाकिस्तान में भी आयोजित कई मुशायरों में हिंदुस्तान की शायरी का लोहा मनवाया. आज भी जब भी शायरी की महफिलें जवां होती हैं तो बड़े-बड़े शायरों के मुंह से भी उनकी शायरी महफिलों में चार चांद लगाती नजर आती है.
बात 1974 की है, जब ऑल इंडिया रेडियो से 'रज़्मी' साहब का शेर 'लम्हों ने खता की थी...सदियों ने सजा पाई' ब्रॉडकास्ट हुआ, तो पूरे हिंदुस्तान में यह शेर लोगों की जुबान पर चढ़ गया. इसके बाद जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री शेख अब्दुल्ला ने इसे अपनी तकरीर में पढ़ा. दिवंगत प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की शव यात्रा में भी टीवी कमेंट्रेटर कमलेश्वर द्वारा यह शेर बार-बार दोहराया गया. इंद्र कुमार गुजराल ने प्रधानमंत्री पद की शपथ लेते हुए इस शेर को अपने संबोधन में पढ़ा.