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लाॅकडाउन: मंडियों तक नहीं पहुंच रही सब्जियां, तैयार फसल पर किसान खुद चला रहे ट्रैक्टर

उत्तर प्रदेश के शामली जिले में किसान बुरी तरह से प्रभावित हैं. लाॅकडाउन के कारण सब्जियां मंडियों में नहीं जा पा रहीं हैं. ऐसे में किसानों को मजबूरन अपनी फसल को खेतों में ही नष्ट करना पड़ रहा है.

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तैयार फसलों पर किसान खुद चला रहे ट्रैक्टर

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Published : May 4, 2020, 12:44 PM IST

Updated : May 4, 2020, 4:13 PM IST

शामली : जिले में बड़े पैमाने पर किसान सब्जियों की खेती करते हैं, और यही उनकी कमाई का मुख्य जरिया है. इसी भरोसे किसान अपनी बेटी की शादी, कर्ज की किश्त, बच्चों की पढ़ाई आदि सभी काम करते हैं. लेकिन कोरोना वायरस के कारण हुए लाॅकडाउन की वजह के सब्जियां मंडियों तक नहीं पहुंच पा रहीं हैं. ऐसे में मजबूर और बेबस किसान खुद अपनी फसल को खेतों में ही नष्ट कर रहें हैं.

तैयार फसलों पर किसान खुद चला रहे ट्रैक्टर

जिले में बड़े पैमाने पर होती है सब्जियों की खेती

जिले में ज्यादातर किसान सब्जियों की खेती करते हैं. जिन किसानों के पास जमीन कम है, वह ठेके पर जमीन लेकर सब्जियों की खेती करते हैं. यहां के किसान सब्जियां लेकर दिल्ली के आजादपुर सब्जी मंडी और हरियाणा के करनाल सब्जी मंडी जाते हैं. किसानों ने बताया कि लाॅकडाउन के कारण ज्यादातर मंडियां बंद हैं और सब्जियों की तैयार फसल बर्बाद हो रही है, इसलिए खेतों में ही वो फसल को नष्ट कर रहें हैं.

किसानों को हो रहा लाखों रुपए का घाटा-

जिले के थाना भवन क्षेत्र में करीब 100 से अधिक किसान सब्जियों की खेती करते हैं. किसान सतीश ने बताया कि 50 बीघा जमीन ठेके पर और 80 हजार रुपए का बीज उधार लेकर सब्जी की खेती की. लेकिन लाॅकडाउन के कारण तैयार सब्जियां मंडी तक नहीं पहुंच पा रहीं हैं और खेतों में ही बर्बाद हो रही हैं. इस कारण फसल को खुद ही खेतों में नष्ट करना पड़ रहा है. उन्होंने बताया कि सब्जियां बिक जाती तो बीज का पैसा लौटा देते, अब ऐसे में उधार चुकाना सबसे बड़ी परेशानी बना हुआ है.

फसल के लिए नहीं मिल रही खाद और दवाईयां

22 बीघा जमीन पर सब्जियों की खेती करने वाले किसान कुलदीप ने बताया कि कुल 70 हजार रुपए की लागत से खेती की है. फसल के लिए खाद और दवाइयां नहीं मिल पा रहीं हैं और मंडियों तक नहीं पहुंच पाने से सब्जियों की बिक्री नहीं हो पा रही है. ऐसे में मजबूरन खेत को खाली करने के लिए ट्रैक्टर की मदद से फसल को खेत में ही नष्ट किया जा रहा है.

वहीं भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता चौधरी नरेश टिकैत ने कहा कि सरकार से इन किसानों के लिए राहत पैकेज की मांग की गई है. सरकार यदि उद्योगपतियों का कर्ज माफ कर सकती है, तो किसानों के बारे में सोचना भी सरकार की ही जिम्मेदारी है.

Last Updated : May 4, 2020, 4:13 PM IST

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