शामली:रूस और यूक्रेन में तनातनी के बीच वहां पर पढ़ाई कर रहे भारतीय छात्र भी मुश्किलों से घिरे हुए हैं. परिजन छात्रों को वापस बुलाने के प्रयास कर रहे हैं, लेकिन सरकार की कारगुजारियों को लेकर उनमें खासा रोष दिखाई दे रहा है. यूक्रेन में फंसे छात्रों के परिजनों का कहना है कि सरकार उन्हें राहत देने के बजाय 'आपदा को अवसर में बदलने का काम कर रही है'. शामली के करीब डेढ़ दर्जन छात्र-छात्राएं यूक्रेन में MBBS की पढ़ाई कर रहे हैं. फिलहाल रूस और यूक्रेन के हालातों के मद्देनजर सभी परिजन अपने बच्चों को शीघ्रता से वापस बुलाने की कोशिशों में जुटे हुए हैं, लेकिन भारतीय एयरलाइंस द्वारा बढ़ाया गया किराया उनके बजट से बाहर होता नजर आ रहा है.
क्या है पूरा मामला
शामली जिले से विभिन्न मध्यमवर्गीय परिवारों के करीब डेढ़ दर्जन छात्र-छात्राएं यूक्रेन में MBBS की पढ़ाई कर रहे हैं. इन परिवारों ने यूक्रेन में अपने बच्चों का एडमिशन इस वजह से भी कराया है, क्योंकि भारत के मुकाबले वहां पढ़ाई थोड़े कम खर्च में हो जाती है. इसके अलावा यूक्रेन से भारत के हमेशा मधुर संबंध भी रहे हैं. इसी वजह से यहां के छात्र वहां पर शिक्षा ग्रहण करते हैं, जिनकी संख्या वर्तमान में 18 हजार के करीब बताई जा रही है. फिलहाल रूस और यूक्रेन के बीच तनाव की स्थिति के चलते भारतीय छात्र वहां पर मुश्किलों में घिर गए हैं. परिजन उन्हें शीघ्रता से वापस बुलाने की तैयारियां कर रहे हैं, लेकिन भारत सरकार के कुछ फैसलों की वजह से परिजनों में रोष की स्थिति भी बनी हुई है.
चार गुना महंगा किया एयरलाइंस का टिकटशामली के प्रभात भार्गव का बेटा अंश भार्गव (22) और बेटी मानवी भार्गव (19) यूक्रेन में MBBS की पढ़ाई कर रहे हैं. प्रभात भार्गव ने बताया कि अभी कुछ दिनों पहले एंबेसी ने भारतीय छात्रों को वापस लौटने के संबंध में एड्वाइजरी जारी की है, इसके चलते वहां की मेडिकल यूनिवर्सिटीज ने 15 दिनों के लिए आफलाइन क्लासेज बंद करते हुए उन्हें आनलाइन कर दिया है. भार्गव ने बताया कि पहले वें करीब 40 हजार कीमत में एयरलाइन की दोनों तरफ की टिकट बुक कर लेते थे, लेकिन अब इन टिकट पर ब्लैक स्टार्ट हो गया है. इसके अलावा यूक्रेन में फंसे भारतीय को निकालने के लिए भारत सरकार ने भी फ्लाइट की व्यवस्था की है, जिसमें एक तरफ का किराया एक लाख रूपए तक वसूला जा रहा है, जबकि यह फ्री होना चाहिए था. इसके बावजूद भी बच्चों को वापस बुलाने में उन्हें वेटिंग का सामना करना पड़ रहा है. प्रभात भार्गव कहते हैं कि सरकार आपदा को अवसर में बदलने का काम कर रही है, लेकिन भारत सरकार को बच्चों और उनके परिजनों के आर्थिक हालातों के बारे में भी सोचने की जरूरत है.
सरकार के फैसलों में नहीं दिख रही सूझ-बूझ शामली के मोहल्ला अंसारियान के मोहम्मद शाहिद की बेटी जवेरिया (20) भी यूक्रेन में फंसी हुई है. शाहिद ने बताया कि उनके चार बेटियां हैं, वें खुद नवीं कक्षा से आगे नही पढ़ सके, लेकिन अपनी बेटियों को आगे बढ़ाने में कोई कसर नही छोड़ रहे हैं. शाहिद ने बताया कि सरकार की एयरलाइंस का किराया महंगा है, जबकि अन्य देशों की एयरलाइंस सस्ते किराए के साथ अपने नागरिकों को यूक्रेन से निकाल रही हैं. सरकार को उन परिवारों के बारे में भी सोचने की जरूरत है, जो अपने बच्चों को पढ़ाने के लिए आर्थिक हालातों से भी घिरे हुए हैं.
रात को नही आती नींद...बजती है फोन की घंटीशामली के सेनेटरी व्यापारी पंकज कुमार जैन का बेटा आदि जैन (20) भी यूक्रेन में मौजूद है. पंकज जैन बताते हैं कि अब वहां पर बच्चों को खाने-पीने की चीजों की भी दिक्कत होने लगी है. सस्ती एयरलाइस पर काफी लंबी वेटिंग हैं, जबकि भारत सरकार द्वारा नागरिकों को निकालने के लिए लगाई गई सीमित फ्लाइट का किराया अधिक महंगा है. उन्होंने बताया कि वें अपने बच्चों के लिए चिंतित हैं, रात को नींद भी नही आती. बेटे से बार बार फ़ोन करते रहते हैं.
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वापस भेजने की भी सता रही चिंता
काकानगर शामली निवासी प्रमोद मलिक ने बताया कि उनका बेटा कुशाग्र मलिक (21) भी यूक्रेन में फंसा हुआ है. वहां की यूनिवर्सिटी ने सिर्फ 15 दिनों के लिए आनलाइन क्लास संचालित की है. एंबेसी ने छात्रों को यूक्रेन से निकलने की एडवाइजरी जारी की है, लेकिन यदि 15 दिनों के बाद फिर आनलाइन कक्षाएं शुरू होती हैं, तो उन्हें यूनिवर्सिटी के नियम-कायदों की वजह से बेटे को फौरन वापस भेजना होगा, लेकिन आने—जाने का इतना महंगा किराया वें किस तरह से वहन कर पाएंगे, इसकी भी चिंता बनी हुई है.
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