शामली: दरभंगा ब्लास्ट में हैदराबाद से गिरफ्तार शामली के कैराना के दो भाइयों को एनआईए लश्कर-ए-तैयबा का आतंकी बता रही है, लेकिन दोनों आरोपियों के पिता रिटायर्ड फौजी हाजी मूसा खान के बयानों ने इस पूरे मामले को उलझा दिया है. रिटायर्ड फौजी का कहना है कि उसके दोनों बेटे देश की एक प्रमुख खुफिया एजेंसी की महिला अधिकारी के लिए काम करते थे. इसलिए उसके एक बेटे को पाकिस्तान भी भेजा गया था. फौजी का कहना है कि यदि उसके बेटे देशद्रोही हैं, तो उन्हें गोली मार देनी चाहिए, लेकिन अगर निर्दोष हैं, तो सरकार उन्हें बाइज्जत रिहा करे.
'हम नमक हराम नही हैं'
कैराना के मोहल्ला कायस्थवाड़ा निवासी रिटायर्ड फौजी हाजी मूसा खान 1965 और बांग्लाादेश में 1971 की जंग लड़ चुके हैं. हाजी मूसा खान ने बताया उन्होंने साढ़े 15 साल सेना में नौकरी की है. वें देशभक्त हैं, नमक हराम नहीं है. रिटायर्ड फौजी का कहना है कि एनआईए द्वारा हैदराबाद से गिरफ्तार किए गए उनके दोनों बेटे यदि देशद्रोही हैं, तो उन्हें गोली मार देनी चाहिए, लेकिन अगर बेटे निर्दोष हैं, तो उन्हें बाइज्जत रिहा करना सरकार की जिम्मेदारी बनती है. हाजी मूसा खान ने बताया कि उनका बेटा नासिर देश की एक बड़ी खुफिया एजेंसी की महिला अधिकारी के लिए काम करता था. इसी के चलते वह दो बार पाकिस्तान भी गया था. महिला अधिकारी के कहने पर ही नासिर ने अपने छोटे भाई इमरान को भी इसी काम में साथ जोड़ लिया था. मूसा खान ने महिला अधिकारी पर दोनों बेटों को फंसाने का आरोप लगाया है.
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क्या है पूरा मामला