शाहजहांपुर : महर्षि वेदव्यास ने महाभारत की रचना कब की थी, इसका कोई समय ज्ञात नहीं है. इतिहासकार मानते हैं कि शाहजहां के बेटे दारा शिकोह ने महाभारत समेत हिंदू धर्मग्रंथ का अनुवाद फारसी में कराया था. उर्दू में इसका अनुवाद कब हुआ, इसका प्रामाणिक स्रोत मौजूद नहीं है. शाहजहांपुर के टीचर मोहम्मद कमर ने दावा किया है कि उसके पास उर्दू में लिखी गई महाभारत की पांडुलिपि है. 2015 में लखनऊ के कर्बला कॉलोनी में रहने वाले फरमान ने भी दावा किया था कि उनके पास उर्दू में लिखी 300 साल पुरानी महाभारत है, जो उन्हें एक लाइब्रेरी में मिली थी. हालांकि फरमान के दावों की पुष्टि नहीं हो पाई थी.
300 साल पुरानी उर्दू महाभारत. मुगल काल में लिखी गई उर्दू में महाभारत की पांडुलिपी. शाहजहांपुर के मोहल्ला खलिल शर्की में रहने वाले आर्ट टीचर मोहम्मद कमर ने 300 साल पुरानी उर्दू में लिखी गई महाभारत की पांडुलिपी रखने का दावा किया है. मोहम्मद कमर मूल रूप से रायबरेली के कस्बा नसीराबाद के रहने वाले हैं. उनका यह दावा है कि मुगल काल में लगभग 300 वर्ष पहले उनके पिता तौकीर के परनाना ने महाभारत ग्रंथ का उर्दू अनुवाद किया था. उर्दू में लिखी गई महाभारत की पांडुलिपि उनके परिवार के पास है, जिसमें तकरीबन 250 पेज हैं. उर्दू में अनुवादित पांडुलिपि के पेज बेहद ही पुराने हो गए हैं, इस कारण कागज भी खस्ताहाल हो चुका है.
उर्दू महाभारत की पांडुलिपी के पन्ने खस्ताहाल हो चुके हैं, पलटने पर ही टूटने लगते हैं. मोहम्मद कमर का कहना है कि चित्रकला का काम उनके परिवार में 100 वर्ष से अधिक समय से हो रहा है. उनके पिता तौकीर एक मशहूर चित्रकार थे. इसके साथ ही उन्हें भी अंगूठी चित्रकला के लिए कई बार सम्मानित किया जा चुका है. मोहम्मद कमर ने बताया कि उनके खानदान में उनके पिता के परनाना करामत हुसैन ने हिंदू धर्म ग्रंथ महाभारत का उर्दू अनुवाद किया था. तब से पांडुलिपी को उनके परिवार ने रायबरेली में संभाल कर रखा है. महाभारत ग्रंथ की पांडुलिपि के 300 वर्ष पूरे होने की वजह से इसके पन्ने पलटने से टूटते हैं. उनका कहना है कि जिस तरीके से कुरान एक ग्रंथ है, उसी तरह से महाभारत भी एक ग्रंथ है. इस ग्रंथ में भी बहुत ही अच्छे संदेश लिखे हुए हैं. उनके शागिर्द सैयद का कहना है कि उर्दू में लिखी गई महाभारत हिंदू मुस्लिम एकता की गंगा जमुनी तहजीब की झलक को दर्शाती है.
आर्ट टीचर का दावा है कि उनके परिवार के पास यह 300 साल से रखा है. एसएस कॉलेज शाहजहांपुर के हिस्ट्री के विभागाध्यक्ष विकास खुराना का कहना है कि तकरीबन 300 साल पहले मुगल काल में धार्मिक ग्रंथों का उर्दू में अनुवाद करने के प्रमाण इतिहास में मिले हैं. मोहम्मद कमर के पास उर्दू में अनुवादित महाभारत की पांडुलिपि है. इस पांडुलिपि को जनपद के म्यूजियम में सुरक्षित करा देना चाहिए ताकि इस इतिहास को टेक्निकल सुरक्षा के साथ रखा जा सके.
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