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शाहजहांपुर: 12 अक्टूबर से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाएंगे आयुध फैक्ट्री के मजदूर

शाहजहांपुर में आयुध वस्त्र निर्माण फैक्ट्री की मजदूर यूनियन के संयुक्त मोर्चे ने रैली निकाल कर ऑर्डिनेंस फैक्ट्री के निगमीकरण को रोकने की मांग की है. आयुध वस्त्र निर्माणी का मजदूर यूनियन ने निगमीकरण के खिलाफ 12 अक्टूबर से अनिश्चितकाल हड़ताल पर जाने का ऐलान किया है.

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Published : Oct 9, 2020, 3:23 PM IST

मांगों को लेकर प्रदर्शन करते आयुध संगठन के सदस्य.
मांगों को लेकर प्रदर्शन करते आयुध संगठन के सदस्य.

शाहजहांपुर:शाहजहांपुर में आयुध वस्त्र निर्माण के तमाम मजदूर यूनियन के संयुक्त मोर्चे ने शुक्रवार को एक रैली निकाली, जिसमें उन्होंने ऑर्डिनेंस फैक्ट्री निगमीकरण को बंद किए जाने की मांग की. इसके साथ ही नई पेंशन स्कीम को बंद कर पुरानी पेंशन स्कीम को बहाल किए जाने का भी मुद्दा उठाया. साथ ही श्रम कानूनों के सुधार को भी रद्द करने की पुरजोर मांग की. इसे लेकर आयुध निर्माणीओं की सभी मजदूर यूनियन ने अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाने का निर्णय लिया है. यह हड़ताल 12 अक्टूबर 2020 से अनिश्चित काल तक के लिए चलेगी.

केंद्र सरकार की निगमीकरण की नीति को लेकर ओसीएफ के कर्मचारियों ने आर-पार की लड़ाई शुरू कर दी है. इसके चलते फैक्ट्री के तीन संगठन एक मंच पर आ गए हैं. 12 अक्टूबर से फैक्ट्री के सभी कर्मचारी अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाने वाले हैं. शाहजहांपुर में आयुध वस्त्र निर्माणी के मजदूर यूनियन्स के संयुक्त मोर्चे ने शुक्रवार को एक रैली निकाली जिसमें उन्होंने ऑर्डिनेंस फैक्ट्री निगमीकरण को बंद किए जाने की मांग की. संयुक्त मोर्चा के अध्यक्ष दिनेश कुमार ने बताया कि निगमीकरण होने से देश की सुरक्षा के साथ खिलवाड़ होगा. क्योंकि आज ओसीएफ में जो काम सरकारी कर्मचारी करके सरकार को दे रहे हैं, वैसा प्राइवेट कंपनियां नहीं दे सकतीं. साथ ही प्राइवेट कंपनियां मनमाने ढंग से प्रोडक्ट को बनाएंगी और सरकार से सौदेबाजी करेंगे.

दिनेश कुमार ने बताया कि निगमीकरण के विरोध में देश की 41 फैक्ट्रियां हैं. जिसमें 81 हजार से अधिक कर्मचारी तैनात हैं. सभी 12 अक्टूबर से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले जाएंगे. जिससे आयुध ग्रुप की सभी फैक्ट्रियों में काम रुक जाएगा और सरकार से हम लोग आर पार की लड़ाई लड़ेंगे. नगरीकरण के मांग के साथ साथ ओसीएफ कर्मचारियों की पुरानी पेंशन बहाली को लेकर भी मांग है. इसके साथ साथ श्रम से संबंधित कानूनों में सुधार भी प्रमुख मुद्दा है.

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