शाहजहांपुर: प्रदेश भर में धान खरीद के नाम पर किसानों के साथ धांधली का आरोप लग रहा है. आरोप है कि किसानों का धान औने-पौने दाम पर खरीदा जा रहा है और साथ ही अधिकारियों की मिलीभगत के चलते बिचौलिए मालामाल हो रहे हैं. किसानों का कहना है कि सरकारी खरीद सेंटरों पर प्रति कुंटल 300 रुपये रिश्वत ली जा रही है. अगर किसान रिश्वत नहीं देता है तो उसका धान सरकारी केंद्रों पर तौला नहीं जाता है और किसान को बैरंग लौटा दिया जाता है. वहीं इस मामले में जिम्मेदार अधिकारी आरोपों को गलत बताते नकारने की बात कहते नजर आ रहे हैं.
शाहजहांपुर: किसानों ने धान खरीद में अवैध वसूली का लगाया आरोप
यूपी के शाहजहांपुर जिले में किसानों ने सरकारी खरीद केंद्रों पर प्रति कुंटल 300 रुपये रिश्वत लिए जाने का आरोप लगाया है. किसानों की मानें तो अगर कोई रिश्वत नहीं देता है तो उसका धान सरकारी केंद्रों पर तौला नहीं जाता है, जिसके बाद उसे खाली हाथ निराश होकर वापस लौटना पड़ता है.
जिले के रोजा किसान मंडी में 8 सरकारी धान क्रय केंद्रों पर 16,500 क्विंटल धान की खरीद जा चुकी है. सरकार ने धान का समर्थन 1868 घोषित किया है, लेकिन समर्थन मूल्य पर धान खरीद बेहद कम की जा रही है. तय मानक के मुताबिक यहां प्रति सेंटर 300 क्विंटल धान खरीद करने के निर्देश हैं तो वहीं किसानों का आरोप है कि सरकारी क्रय केंद्रों पर 50 क्विंटल से ज्यादा धान नहीं तौला जाता है, जबकि शाम तक 250 क्विंटल बिचौलिए के धान तौलकर दिन का लक्ष्य पूरा कर लिया जाता है.
वहीं इस मामले में उप निदेशक का कहना है कि मंडी के अंदर किसानों को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है, लेकिन रिश्वत लेने का आरोप पूरी तरीके से गलत है, क्योंकि प्रशासन बहुत सजग है. ऐसे में कोई किसानों से रिश्वत की मांग नहीं कर सकता है. वहीं अगर कोई शिकायत मिलती है तो संबंधित व्यक्ति के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी. धान और गेहूं खरीद के समय सरकार एमएसपी तय करती है.
दरअसल सरकार की मंशा होती है कि किसानों को उनकी उपज का वाजिब दाम मिल जाए, लेकिन अफसरशाही के चलते किसानों को कहीं बिचौलियों तो कहीं सरकारी सिस्टम से गुजरना पड़ता है. ऐसे में अन्नदाता को अपने खून पसीने से सींची गई फसल का उचित मूल्य नहीं मिल पाता है.