उत्तर प्रदेश

uttar pradesh

ETV Bharat / state

19 साल बाद मिली तीन बेटियों के हत्यारों को फांसी की सजा

शाहजहांपुर में 19 साल पहले हुई तीन बच्चियों की सामूहिक हत्या के मामले में 2 लोगों को फांसी की सजा सुनाई गई है. 2002 में हुई तीन बच्चियों की हत्या के मामले में विवेचना अधिकारी के खिलाफ भी एनबीडब्ल्यू वारंट जारी किया है.

तीन बेटियों के हत्यारों को फांसी की सजा
तीन बेटियों के हत्यारों को फांसी की सजा

By

Published : Nov 23, 2021, 9:06 PM IST

शाहजहांपुरः जिले में 19 साल पहले हुई तीन बच्चों की सामूहिक हत्या के मामले में 2 लोगों को फांसी की सजा सुनाई गई है. 2002 में हुई तीन बच्चियों की हत्या के मामले में विवेचना अधिकारी को बेटियों की हत्या के मामले में पिता को ही झूठा जेल भेजने का दोषी पाया गया है. बेटियों का पिता विवेचना अधिकारी के लिए भी फांसी की मांग कर रहा है. जबकि कोर्ट ने विवेचना अधिकारी के खिलाफ एनबीडब्ल्यू वारंट जारी किया है.

दरअसल, शाहजहांपुर में अपर सत्र न्यायाधीश सिद्धार्थ बाघव ने 15 अक्टूबर 2002 को निगोही थाना क्षेत्र के जेवा मकरंदपुर में हुई तीन बच्चों की हत्या के मामले में 2 लोगों को फांसी की सजा सुनाई है. दरसअल 15 अक्टूबर 2002 को अवधेश कुमार की तीन बेटियां सुरभि 6 साल, निशा 7 साल और रोहिणी 9 साल की गांव के ही छुटकुन्नू, नरेश और राजेंद्र ने घर में घुसकर ताबड़तोड़ गोलियां चला कर सो रही तीनों बच्चियों की हत्या कर दी थी. पुरानी रंजिश के चलते आरोपी बच्चों के पिता अवधेश कुमार को मारने के लिए आए थे. घटना के बाद जांच कर रहे विवेचना अधिकारी होशियार सिंह ने आरोपियों के साथ मिलकर बेटियों के पिता अवधेश कुमार को ही बच्चों की हत्या के आरोप में झूठा जेल भेज दिया था.

2 महीने जेल में रहने के बाद असली हत्यारों के नाम सामने आए. 19 साल चले कोर्ट में ट्रायल के बाद कल शाम को नरेश और राजेंद्र को फांसी की सजा सुनाई गई. जबकि तीसरे आरोपी की मौत हो चुकी है. इसके अलावा कोर्ट ने जांच अधिकारी होशियार सिंह को पिता को फर्जी जेल भेजने के आरोप में दोषी पाया है. कोर्ट ने विवेचना अधिकारी होशियार सिंह के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी किया है. बच्चों के पिता ने कोर्ट पर भरोसा जताया है. पिता का कहना है कि कोर्ट के बदौलत ही उन्हें न्याय मिल पाया. पिता का यह भी कहना है कि उसे 2 महीने अपनी बेटियों के हत्या के झूठे आरोप में जेल भेजने वाले विवेचना अधिकारी को भी फांसी की सजा होनी चाहिए, तभी उसको सुकून मिलेगा.

इस मामले में बच्चों के पिता अवधेश कुमार का कहना है कि उसका गांव के छुटकुनू से एक मुकदमे में गवाही को लेकर रंजिश चल रही थी. 15 अक्टूबर 2002 की शाम को अवधेश अपने घर की चारपाई पर लेटा हुआ था, तभी वहां छूटकुनू उसका बेटा नरवेश और भाई राजेंद्र असलहा लेकर घर में घुस पड़े और अंधाधुंध फायरिंग शुरू कर दी. लेकिन अवधेश वहां से भाग निकला. वहीं चारपाई पर लेटी उसकी बेटी रोहिणी, निशा और सुरभि को गोलियों से भून दिया गया. जिसके बाद तीनों बच्चियों की मौत हो गई थी. वहीं पुलिस ने इस मुकदमे में तीनों अभियुक्तों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कर ली है. लेकिन तत्कालीन विवेचक होशियार सिंह ने विवेचना में अवधेश कुमार को ही बेटियों का हत्यारा बताते हुए आरोप पत्र न्यायालय में दाखिल कर दिया था.

इसे भी पढ़ें-एडीआर रिपोर्ट में खुलासा: 35% विधायकों पर दर्ज हैं आपराधिक मामले, सबसे ज्यादा बीजेपी के हैं विधायक

वहीं सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता श्रीपाल वर्मा का कहना है कि अपर सत्र न्यायाधीश सिद्धार्थ कुमार वाधव ने गवाहों के बयान और साक्ष्यों के आधार पर राजेंद्र और नरवेश को फांसी की सजा सुनाई है. जबकि छूटकुनू की ट्रायल के दौरान ही मौत हो चुकी है साथ ही विवेचक होशियार सिंह और गवाह दिनेश कुमार के खिलाफ न्यायालय ने 194 सेक्शन के अंतर्गत गिरफ्तारी का वारंट जारी कर दिया है. फिलहाल पीड़ित पिता ने न्यायालय का शुक्रिया अदा किया है.

ABOUT THE AUTHOR

...view details