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दुनिया की सबसे छोटी कालीन बनाने का रिकॉर्ड भदोही के बुनकर के नाम - limca world record

कहा जाता है कि अगर इरादे पक्के हों तो आप हर मुकाम हासिल कर सकते हैं. इस कथन को सही साबित कर दिखाया था भदोही जिले के जमुनीपुर गांव निवासी रामरति बिंद ने.

रामरति बुनकर का परिवार

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Published : Feb 22, 2019, 8:16 PM IST

भदोही :टीवी पर देख दुनिया की सबसे छोटी कालीन में सबसे ज्यादा गांठ लगाने का ऐसा जज्बा जिसने रामरति बिंद को अमर कर दिया. रामरति बिंद भदोही जिले के जमुनीपुर गांव मोड पुरानी बाजार के रहने वाले एक गरीब परिवार के बुनकर थे. 70 के दशक में जब नौकरी करने के लिए बीकानेर पहुंचे तो वहां उन्होंने टीवी पर एक तुर्की बुनकर को एक छोटी सी कालीन में 3600 गांठ बनाकर वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाते हुए देखा. तभी से उनको ऐसा जुनून चढ़ा कि उन्होंने उस वर्ल्ड रिकॉर्ड को तोड़ने की ठान ली. वह नौकरी छोड़ कर अपने गृह जिला भदोही चले आए और यहां खुद का कालीन बुनाई का काम शुरू कर दिया. कई सालों की कड़ी मेहनत के बाद उन्होंने कालीन बुनाई में पारंगत हासिल कर ली.

उन्होंने 1 साल की कड़ी मेहनत के बाद 1 इंच स्क्वायर फीट में 6000 गांठ बनाकर लिम्का बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में अपना नाम दर्ज करा लिया. उन्होंने अपने जीवन में कई दूसरे देशों में जाकर बुनाई की ट्रेनिंग भी की. केआर नारायणन की तस्वीर 2 इंच चौड़ी और 2.5 इंच लंबी एक कालीन पर बनाई जिस पर 1 स्क्वायर फीट में 6000 गाठों को देकर तुर्की का रिकॉर्ड तोड़ा और सन् 2002 में अपना नाम लिम्का बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज कराया. उनकी दो बेटियां राजकुमारी और कुसुम और एक बेटा आज भी छोटी कालीन के निर्माण में लगे हैं और भदोही का नाम पूरे विश्व में आगे बढ़ाने का काम कर रहे हैं. लिम्का बुक में नाम दर्ज कराने वालेरामरतिबिंद की पिछले साल जून के महीने में मृत्यु हो गई. उन्होंने अपनी कालीन पर भारत के कई सारे नेताओं और स्वतंत्रता सेनानियों के चित्र भी उकेरे जो कालीन की दुनिया में पहली पहल थी.

बुनकर जिसने बनाई थी दुनिया की सबसे छोटी कालीन
उन्होंने 13 इंच चौड़ी और एक 30 इंच लंबी कालीन बनाई जो कि अपने आप में एक अनोखी थी. इसको तैयार करने में उन्होंने 12 साल और 6 महीने का समय लिया. रामरति बिंद यूथोपिया, जर्मनी आदि देशों में जाकर बुनकरों को ट्रेन भी किया करते थे, लेकिन सबसे बड़ी विडंबना की बात यह है कि उनके द्वारा बनाई गई कालीन को एक्सपोर्टर्स ने बेचकर खूब पैसे बनाएं. रामरतिबिंद का परिवार आज भी गरीबी में ही अपना जीवन व्यतीत कर रहा है. उन्होंने एपीजे अब्दुल कलाम, राजनाथ सिंह, केआर नारायणन जैसे कई बड़े नेताओं को अपने हाथ से बनी कालीन भेंट की. हालांकि उनके परिवार का यह अक्सर आरोप लगता रहता है कि सरकार ने इस कला को आगे बढ़ाने के लिए उनके परिवार का कोई भी सहयोग नहीं किया. इससे धीरे-धीरे अब वह मजदूरी करने को विवश हैं.

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