भदोही: लोग समय के साथ-साथ आधुनिकता के दौर में आते गए और अपनी पुरानी परंपराओं को भूलने लगे. उसी का ताजा उदाहरण मकर संक्रांति से पहले गांव में बैठाए जाने वाले चूड़ा मशीन और कोल्हू है. पहले के समय में मकर संक्रांति आते ही हर गांव में दो से तीन परिवार ऐसे होते थे, जिनका महीनों कोल्हू चलाने और चूड़ा कूटने में बीत जाता था.लोग चूड़ा कुटाने के लिए सुबह से ही लंबी-लंबी लाइने लगाया करते थे. लेकिन अब स्थिति यह है कि गांव से चूड़े की मशीन लगभग खत्म ही हो गई.
जिस तरीके से दीपावली पर लोग दीये की जगह चाइनीज लाइटों को महत्व देने लगे हैं, उसी प्रकार से मकर संक्रांति के दिन लोग अब गांव की परंपरागत चीजों को भूलकर बाजारी वस्तुओं पर ज्यादा भरोसा दिखा रहे हैं. पहले लोग अपने घर का चूड़ा खाते थे. आज लोग दुकानों से खरीदते हैं, जिसकी वजह से गांव में मिलने वाले मौसमी रोजगार बुरी तरीके से खत्म हो रहे हैं.