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जानें क्यों पर्यटकों की पहली पसंद नहीं बन पा रही मां सीता की भू-समाधि स्थली 'सीतामढ़ी'

यहां मां सीता ने भू समाधि ले ली थी. यह स्थान सीतामढी के नाम से विश्व भर में मशहूर है. बावजूद इसके यहां मूलभूत सुविधाओं के न होने से यह स्थान पर्यटकों की पहली पसंद नहीं बन पाया है.

मां सीता की भू-समाधि स्थली 'सीतामढ़ी'.

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Published : Nov 18, 2019, 8:23 AM IST

भदोही:यूं तो प्रदेश में कई धार्मिक स्थल हैं और इनकी अपनी मान्यताएं भी हैं. भदोही जिले में भी ऐसा ही एक धार्मिक स्थल है, जहां मां सीता ने भू समाधि ले ली थी. वाराणसी और प्रयाग के मध्य स्थित सीतामढ़ी समाधि स्थल पर हर वर्ष कई लाख श्रद्धालु दर्शन करने आते हैं. मान्यता है कि लव-कुश ने अपना बचपन यहीं गुजारा था.

देखें वीडियो.

तुलसीदास की कवितावली के पदों में है इस स्थल का जिक्र
यहां की एक खास बात और है कि यहीं पर राम भक्त हनुमान की 110 फीट की मूर्ति बनाई गई है, जो विश्व में सबसे बड़ी हनुमान जी की मूर्ति मानी जाती है. यह महर्षि बाल्मीकि की तपोस्थली माता सीता के निर्वासन काल का आश्रय स्थल और लव-कुश की जन्मस्थली मानी जाती है. सीतामढ़ी त्रेता युग की भी साक्षी रही है. इस स्थल की प्रामाणिकता तुलसीदास की कवितावली के पदों में भी मिलती है.

यहीं हुआ था लव-कुश का जन्म
इसकी पुष्टि संत बेनी माधव जी ने गोसाई चरित्रावली में भी की है. पुराणों की मानें तो जब सीता माता द्वितीय वनवास का निर्वासन काल काट रही थी तो यहीं आश्रम में रहती थीं, जहां पर महर्षि के सानिध्य में लव-कुश की शिक्षा-दीक्षा हुई और श्रीराम के अश्वमेध यज्ञ के घोड़े को पकड़ कर लव-कुश ने यहीं बांधा था. यहां पर वह स्थल भी है, जहां सीता माता ने समाधि ली थी.

सुहागिन महिलाएं करती हैं मां सीता की पूजा
मान्यता यह भी है कि जब सीता माता धरती की गोद में समाधि लेने लगीं तो भगवान राम ने उनके केस पकड़ लिए जो आज भी सीता समाधि स्थल के पास विद्यमान हैं. इसे सीता केस के रूप में जाना जाता है. श्रावण महीने में महिलाएं यहां भावपूर्वक अपने बाल चढ़ाकर मां सीता का श्रृंगार करती हैं.

1992 में शुरू हुई थी पर्यटन हब बनाने की कोशिश
यहीं पास में उड़िया बाबा का आश्रम है. 125 वर्षीय संत उड़िया बाबा गंगा के तट पर लोगों को शिक्षा-दीक्षा देते थे. स्वामी जितेंद्र आनंद और श्री प्रकाश नारायण कुंज की मदद से यह उत्तर प्रदेश के पर्यटक स्थल के रूप में उभरकर दुनिया के सामने आया. सन 1992 में पर्यटन विभाग ने इसे पहली बार पर्यटन हब बनाने का निर्णय लिया था, लेकिन सरकार की लाख कोशिशों के बाद भी यह स्थल वैसे पर्यटक स्थलों में नहीं शुमार हो पाया, जैसे इसकी प्रासंगिकता है.

दर्शन करने आते हैं दिग्गज नेता
चुनाव के समय में सीतामढ़ी राजनीतिक अखाड़ा बन जाता है. कांग्रेस हो या फिर बीजेपी, बड़े-बड़े नेता माता सीता के दर्शन करने के बाद ही पूर्वांचल की चुनावी यात्रा की शुरुआत करते हैं. 2019 लोकसभा चुनाव में प्रियंका गांधी ने अपनी चुनावी यात्रा की शुरुआत सीतामढ़ी के दर्शन के बाद ही की थी, जबकि राहुल गांधी भी अपने राजनीतिक कैरियर की कमान संभालने के बाद मां सीता के दर्शन करने यहां आए थे.

सुविधाओं की कमी से नहीं बन पायापर्यटन हब
इस सब के बावजूद आज भी यह स्थल पर्यटकों की पहली पसंद नहीं बन पाया है, वजह है अव्यवस्था. यहां न तो आने-जाने के लिए सुलभ मार्ग हैं और न ही रहने और खाने की व्यवस्था. यहां न बिजली आती है और न ही पार्किंग की व्यवस्था है. यहां सिर्फ एक शौचालय है, वह भी यहां के ट्रस्ट ने बनवाया है. यही वजह है कि यहां पर्यटक आते तो हैं, लेकिन 10-5 मिनट रुककर उसी राह वापस चले जाते हैं.

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