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Published : Sep 16, 2019, 3:15 PM IST

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नौकरी छोड़ किसान बना मिसाल, टमाटर, मिर्च स्ट्राबेरी बेच कमाते हैं 12 लाख

यूपी के भदोही में एक किसान ने  स्मार्ट खेती की मिसाल पेश की है. भदोही के अरविंद मौर्या जिले भर के किसानों के लिए आदर्श बने हुए हैं. आज वह खेती से लाखों रुपये तो कमा ही रहे हैं, साथ ही कई लोगों को रोजगार भी दे रहे हैं.

किसान ने  स्मार्ट खेती की पेश की मिसाल.

भदोही:स्मार्ट मोबाइल और स्मार्ट शहरों की तरह अब किसान भी स्मार्ट होते जा रहे हैं. तकनीक और मेहनत के दम पर लाखों कमा रहे हैं. ताजा मिसाल भदोही के अरविंद मौर्या हैं, जिन्होंने नौकरी छोड़ी और अपने गांव-खेतों की ओर लौटे. किसान ने अपने खेतों की फसलें बदली और किसानी का तरीका भी, इसके साथ ही बदल गया कमाई का आंकड़ा. अब वह हर साल 10 से 12 लाख रुपये की कमाई करते हैं और गांव के दर्जनों लोगों को रोजगार भी दे रखा है.

किसान ने स्मार्ट खेती की पेश की मिसाल.

भदोही के अरविंद साल 2013 में नौकरी छोड़ आए थे. उसके बाद उन्होंने मिर्च, टमाटर, स्ट्राबेरी, तरबूज और खरबूजे की खेती शुरू की. पैदावार भी खूब हुआ और बाजार भी मिल गया तो फसलों के दाम भी अच्छे मिलने लगे. उनकी देखा-देखी अब अन्य किसान भी खेती की आधुनिक तकनीक अपना कर अच्छी रकम कमा रहे हैं. लोगों को स्मार्ट खेती की प्रेरणा देने के लिएजिले की तरफ से उनका नामअनुमोदित करके पदम श्री के लिए भी भेजा गया है.

अरविंद मौर्य का कहना है कि अगर किसान स्मार्ट तरीके से खेती करें तो उसकी आय कई गुना बढ़ जाएगी बशर्ते उसे इस बात की जानकारी होनी चाहिए स्मार्ट खेती किस तरीके से की जाती है.

अरविंद मौर्या ने पेश की स्मार्ट खेती की मिसाल
जिले के किसान अरविंद मौर्या ने यह मिसाल पेश की है कि किस तरीके से स्मार्ट खेती करके किसान लाखों रुपये कमा सकता है. अरविंद मौर्या ने 2013 में 10 बिस्वा खेत लेकर स्मार्ट कृषि की शुरुआत की थी और आज वह 6 एकड़ में खेती करते हैं. वह अपने खेतों में सिर्फ नकदी फसलों को ही उगाना पसंद करते हैं जैसे कि टमाटर, मिर्च, स्ट्रॉबेरी, खरबूज और तरबूज. वह बताते हैं कि इससे वह हर साल 10 से 12 लाख की कमाई आसानी से कर लेते हैं.

कैसे करते हैं स्मार्ट खेती
अरविंद मौर्या अपने खेतों में 1 साल में चार फसल उगाते हैं. वह परंपरागत कृषि से हटकर पूरी तरीके से एडवांस तकनीक के माध्यम से खेती करते हैं. पानी कम लगे इसके लिए उन्होंने ड्रिप इरिगेशन की व्यवस्था अपने खेतों में करवा रखी है. जानवरों से बचने के लिए पूरे खेत को नुकीले तारों से घेर रखा है. मिट्टी का अपरदन या बहाव कम हो इसके लिए मल्चिंग करा रखी है. उन्होनें अपने खेत में ही सरकार के द्वारा सब्सिडी पर दी गई सोलर पंप भी लगाया है, जिसमें उन्हें सरकार की तरफ से 90% सब्सिडी मिली है.

जिला प्रशासन तथा कई एनजीओ के द्वारा वह सम्मानित भी किए जा चुके हैं. उनका कहना है कि अगर किसान एडवांस तकनीक और सरकारी योजनाओं का फायदा उठाएं तो उसे खेत ना होते हुए भी लाखों रुपए का फायदा हो सकता है

स्मार्ट तरीके से करें स्मार्ट खेती
स्मार्ट किसान बनने के लिए किसानों को स्मार्ट तरीके से खेती करनी पड़ेगी तभी जाकर उनकी आय बढ़ सकती है. पारंपरिक कृषि आसान तो होती है लेकिन किसान को उतना मुनाफा नहीं दे पाती है जितना कि मौसमी या नगदी खेती देती है. नगदी खेती का मतलब यह होता है कि वह फसलें उगाईं जाएं जो तुरंत से मार्केट में बिक जाए, जैसे फल, सब्जी और फूल आदि.

स्मार्ट खेती करने के लिए सबसे पहले अपने खेतों की बैरिकेडिंग करा कर उसमें क्यारियां बनवाने पड़ती है. इसके बाद क्यारियों में ड्रिप इरिगेशन मल्चिंग जैसे तरीकों को अपनाना पड़ता है. इसके लिए सरकार 80 परसेंट से ज्यादा किसानों को सब्सिडी देती है, जिससे किसान आसानी से उसे प्राप्त कर सकते हैं. इस तरीके की खेती में सबसे बड़ा फायदा यह होता है की फसलें 3 महीने में ही तैयार हो जाती हैं. ऐसी स्थिति में 1 साल में चार चार फसल काटी जा सकती हैं और लाखों की कमाई भी की जा सकती है.

मैं आए दिन जिला कृषि विभाग जाया करता हूं ताकि मुझे नई-नई योजनाओं का पता चलता रहे, जिससे मैं उनका फायदा उठाता रहूं. हर किसान मेले में जरूर जाता हूं ताकि कृषि की एडवांस तकनीकों को भी अच्छे से समझ सकूं.
-अरविंद मौर्या, किसान

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