संतकबीरनगर: कोरोना महामारी को लेकर देश भर में लॉकडाउन किया गया है और लोगों से घरों में रहने की अपील की गई है, लेकिन इस लॉकडाउन के दौरान दिहाड़ी मजदूरों को भोजन और काम के भी लाले पड़ गए हैं. जब मकान मालिक इनसे किराए की मांग करने लगे तब इनके पास घर लौटने के अलावा कोई और चारा नहीं बचा. मौजूदा हालात में दहाड़ी मजदूरों को घर लौटने कि लिए कोई साधन नहीं मिल रहा है इसलिए वो अपने परिवार को ठेले पर लेकर सैकड़ों किलोमीटर की दूरी तय करके अपने घरों को पहुंच रहे हैं. इस समय इन गरीब मजदूरों को न तो चिलचिलाती धूप की परवाह है और न ही भूख और पैरों में छालों की सुध है.
मजदूरों ने ईटीवी भारत से बयां किया अपना दर्द
यह तस्वीर है संत कबीर नगर जिले के एनएच 27 कांटे चौराहे की, जहां ठेले पर अपने परिवार को बिठा कर ले जा रहा यह मजदूर बिहार जिले का रहने वाला है. जब पूरे देश को लॉक डाउन किया गया और लोगों से उनके घरों में रहने की अपील की गई। काम की तलाश में शहरों में गए इन मजदूरों के सामने रोजी रोटी का संकट गहराने लगा है। अब ये मजदूर घर जाना ही मुनासिब समझ रहे हैं. जब कोई साधन नहीं मिला तो यह मजदूर धूप में ठेले पर अपने परिवार को बिठाकर सैकड़ों किलोमीटर की दूरी तय करके अपने घर पहुंच सकें.
7 दिनों तक लगातार चलने के बाद यह परिवार संतकबीरनगर पहुंचा और ईटीवी भारत के कैमरे पर अपना दर्द बयां किया. मजदूर ने बताया कि जब देश में लॉक डाउन किया गया, उसके बाद काम के लाले पड़ गए और उनका परिवार भूखा सोने के लिए मजबूर हो गया. दिल्ली सरकार ने भी तमाम वादे किए कि सभी गरीबों की मदद की जाएगी, लेकिन कोई भी मदद दिल्ली में नहीं की गई तो उन्होंने अपने घर लौटना ही मुनासिब समझा और ठेले से ही अपने परिवार को लेकर दिल्ली से बिहार के लिए निकल पड़े.