संतकबीरनगर: माता-पिता जिन्होंने परिवार रूपी बगिया को संवार कर सदाबहार बनाया. उस बागवान को ताउम्र उचित सम्मान मिले यह हर किसी की जिम्मेदारी होनी चाहिए. आज 1 अक्टूबर है और इस दिन बुजुर्गों के सम्मान में हर साल 1 अक्टूबर को अंतरराष्ट्रीय बुजुर्ग दिवस मनाया जाता है. इस मौके पर ईटीवी भारत ने संतकबीरनगर जिले के वृद्ध आश्रम में बुजुर्गों के हाल जानने की कोशिश की. ईटीवी भारत के कैमरे पर बात करते हुए बुजुर्गों का दर्द छलक उठा. बुजुर्गों ने कहा कि वह खुशी से नहीं बल्कि परिवार वालों की प्रताड़ना से अजिज होकर वृद्धा आश्रम पहुंचे हैं. बुजुर्गों ने कहा कि उन्हें यहां खाने के लिए 2 जून की रोटी और सोने के लिए बिस्तर मिल जाती है.
कोई सहारा न होने पर ली वृद्ध आश्रम की शरण
वृद्ध आश्रम में रह रहे बुजुर्ग जिन्होंने बड़े प्यार और दुलार के साथ अपने बच्चों को पाला था. आज उनके बच्चों ने बड़े होने के बाद अपने मां-बाप को घर से निकाल दिया. बच्चों की प्रताड़ना से आजिज बुजुर्गों को जब कोई सहारा नहीं मिला तो उन्होंने वृद्धा आश्रम की शरण ले ली. बुजुर्गों ने ईटीवी भारत के कैमरे पर कहा कि कम से कम उन्हें यहां पर दो समय की रोटी और सिर छिपाने के लिए छत तो नसीब हो जाती है.