संत कबीर नगरः 7 अगस्त को बुनकरों को प्रोत्साहन देने के लिए हथकरघा दिवस मनाया जाता है. संत कबीर नगर जिला महापुरुषों की कर्मभूमि के साथ ही साथ पुरातात्विक महत्व को भी खुद में संजोए हुए हैं. साथ ही सूती वस्त्रों के लिए संत कबीर नगर जिला पूरे देश में अपनी एक अलग पहचान रखता है. यहां के बुनकरों के हाथों के बने कपड़े पूरे भारत के लोग पहनते हैं.
दो दशक पूर्व बुनकरों के हाथों से बने कपड़ों की धूम पूरे पूर्वांचल के साथ ही साथ समूचे देश में लंबे समय तक रही, लेकिन प्रशासनिक उपेक्षा और बढ़ती हुई महंगाई की मार से अब बुनकरों का कारोबार लगभग बंदी के कगार पर है. महंगाई की मार से हथकरघा उद्योग बेहाल है. पावर लूम की खड़खड़ आहट अब बंद होने के कगार पर है. कभी पावर लूम के कारोबार से आबाद रहा जिला अब बुनकरों की आह से कराह रहा है. पीढ़ियों से हुनरमंद हाथों से लिबास बुनने वाली यह जमात संसाधनों की कमी और सरकार की बेरुखी से तबाह होती दिख रही है.
बढ़ती हुई महंगाई और जीएसटी के संकट ने इस फलते फूलते कारोबार को ऐसी चोट पहुंचाई है कि नई नस्लें इस कारोबार से तौबा कर रही हैं. कारखानों में काम करने वाले सैकड़ों कामगार और बुनकरों की जिंदगी बेनूर सी हो गई है. बुनकर संघ के जिला अध्यक्ष हाजी इमामुद्दीन अंसारी ने बताया कि दो दशक पूर्व जनपद के 250 गांव में हथकरघा से निकलने वाली आवाज हमेशा कानों में गुंजा करती थी.