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Up Assembly Election 2022: संभल में चुनाव के समय 'पलायन' क्यों बन जाता है मुख्य मुद्दा - Uttar Pradesh news

यूपी विधानसभा चुनाव 2022 को लेकर अभी से ही राजनीतिक पार्टियों में घमासान मची हुई है. पलायन के मुद्दे को लेकर पश्चिम यूपी में माहौल गर्म है तो वहीं पिछले दिनों मुरादाबाद के बाद संभल जिले से 25 हिंदू परिवार के पलायन की बात सामने आई थी. अब तकरीबन 100 हिंदू परिवार पलायन की योजना बना रहे हैं. जानिए क्या है मामला...

संभल में चुनाव के समय 'पलायन' क्यों बन जाता है मुख्य मुद्दा.
संभल में चुनाव के समय 'पलायन' क्यों बन जाता है मुख्य मुद्दा.

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Published : Sep 3, 2021, 10:40 AM IST

Updated : Sep 3, 2021, 11:23 AM IST

संभल:यूपी के संभल जिले में हिंदूओं के पलायन का मुद्दा गर्माता दिख रहा है. अभी कुछ दिन पहले हिंदू समुदाय के 25 परिवारों नें मंदिर के लिए रास्ता न मिलने की बात कहकर पलायन की बात कही थी. सिरसी के 25 हिंदू परिवारों ने महिलाओं के साथ अभद्रता और मंदिर के लिए रास्ता न मिलने से नाराज होकर पलायन की बात कही थी तो अब सिरसी के कुछ हिंदू परिवार चामुंडा वाली जगह पर चेयरमैन व उसके लोगों द्वारा कब्जा होने की बात कहकर तकरीबन 100 हिंदू परिवार फिर से पलायन की बात कह रहे हैं.

चेयरमैन ने बंद कर दिया है रोड

मुरादाबाद में 80 हिंदू परिवारों के सामूहिक पलायन की धमकी के 25 हिंदू परिवारों द्वारा पलायन की चेतावनी का यह मामला संभल जिले के हजरतनगर गढ़ी थाना क्षेत्र के नगर पंचायत सिरसी के मोहल्ला चौधरियान का है. इस इलाके में हिंदू अल्पसंख्यक हैं. हिंदू समुदाय का आरोप है कि नगर पंचायत और चेयरमैन ने वर्षों पुराने मंदिर जाने के रास्ते को जबरन बंद कर दिया है. जिसकी वजह से ग्रामीण पूजा पाठ के लिए मंदिर नहीं जा पा रहे है.

जानकारी देते पीड़ित.

यूपी विधानसभा चुनाव 2022 को लेकर प्रदेश की राजनीतिक पार्टियां मुद्दों को भूनाने में लगी है. संभल जनपद में विधानसभा की 4 सीटें हैं. जहां 2 पर बीजेपी तो 2 पर समाजवादी पार्टी का कब्जा है. संभल ये मुस्लिम बाहुल्य इलाका है. यहां हिंदू अल्पसंख्यक हैं. यहां की राजनीति में पलायन यह मुख्य मुद्दा है. अभी कुछ दिन पहले सिरसी से 25 हिंदू परिवारों ने पलायन की बात कही थी. वहां हिंदूओं की तादाद महज 5 फीसदी है. ऐसे में अगर यहां से पलायन की खबरें आती हैं तो इसमें किसी को हैरानी नहीं होनी चाहिए. संभल की संवेदनशीलता और सुरक्षा को देखते हुए ही 1971 में यहां एडिशनल एसपी को बैठाने की मांग हुई और अब काफी समय से एडिशनल एसपी में बैठ रहे हैं.

अगर बात करें तो संभल का अपना ऐतिहासिक और राजनीतिक महत्तव है. यहां समाजवादी पार्टी का बोलबाला रहा है. प्रदेश में बीजेपी की सरकार होने के बावजूद भी संभल की 4 विधानसभा में 2 पर समाजवादी पार्टी का कब्जा रहा है. यहां से मुलायम सिंह यादव ने अपने भाई रामगोपाल यादव को जितवाया था. वर्ष 2003 में जब मुलायम सिंह यादव प्रदेश के मुख्यमंत्री बने तो 2004 में रामगोपाल यादव पहली बार संभल संसदीय क्षेत्र के लोकसभा उम्मीदवार बने और यहां से सांसद चुने गए. वह 2009 तक संभल के सांसद रहे. वर्तमान में भी संभल के सांसद शफीकुर्रहमान बर्क समाजवादी पार्टी के हैं. इसके बावजूद भी पलायन का मुद्दा आम बना रहता है.

आखिर क्या कारण है कि सत्ता में बीजेपी पार्टी के काबिज होने के बाद भी हिंदू परिवार यहां से पलायन की बात कर रहे हैं. इस पर ज्यादा जानकारी के लिए ईटीवी संवाददाता ने सिरसी के चौधरीयान मोहल्ले के रहने वाले विमल सिंह सैनी और अन्य लोगों से बातचीत की. विमल सिंह सैनी का कहना है कि यहां उन लोगों का उत्पीड़न हो रहा है. उन्हें मानसिक यातनाएं दी जा रही है. सिरसी नगर पंचायत अध्यक्ष चौधरी वसीम खान द्वारा हिंदू परिवार को धमकाया जा रहा है. चामुंडा की एक जगह है जहां वसीम खान और उनके लोगों द्वारा कब्जा किया गया है. इस जगह की मुक्ति के लिए कई बार धरना प्रदर्शन किया गया, लेकिन चेयरमैन वसीम खान व उनके लोगों के द्वारा अब हमें डराया धमकाया जा रहा है. 2018 में आमरण अनशन चेतावनी दी थी तो उस समय के एसपी साहब के निर्देश पर चामुंडा की जगह को कब्जा मुक्त कराया गया था, लेकिन उसके 1 महीने बाद ही फिर से चेयरमैन ने उस जमीन पर कब्जा कर लिया.

चुनाव में क्यों गरमाता है पलायन का मुद्दा

यूपी विधानसभा चुनाव की तारीखें नजदीक आते ही पश्चिम यूपी में पलायन का मुद्दा गर्माने लगा है. यहां कभी हिंदू परिवार किसी मुद्दे को लेकर पलायन की बात कह रहा है तो कहीं कानून व्यवस्था की दुहाई देकर कई परिवार घर बिकाऊ है जैसी दफ्तियां घरों के सामने लगा देते हैं, लेकिन सवाल ये उठता है कि क्या ये सभी मुद्दे चुनाव के समय ही याद आते हैं. हालांकि यहां के लोगों का कहना है कि हिंदू और मुसलमान दोनों यहां कई पीढ़ियों से सद्भावपूर्ण तरीके से एक साथ रह रहे हैं. अहम मुद्दों से ध्यान भटकाने के लिए राजनीतिक पार्टियां ऐसे मुद्दों को चुनाव के समय उछालती हैं ताकि चुनावों को सांप्रदायिक रंग देकर मतदाताओं को बांटा जा सके.

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Last Updated : Sep 3, 2021, 11:23 AM IST

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