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Up Assembly Election 2022: चंदौसी विधानसभा की डेमोग्राफिक रिपोर्ट

यूपी विधानसभा चुनाव 2022 को लेकर सियासत तेज हो गई है. हर पार्टी जनता के बीच जाकर अपनी पकड़ मजबूत करने में जुटी है. वहीं भावी उम्मीदवारों ने क्षेत्र में अपनी पकड़ बनाने के लिए लोगों से मिलना-जुलना शुरू कर दिया है. आइए जानते हैं संभल जिले की चंदौसी विधानसभा की डेमोग्राफिक रिपोर्ट.

डेमोग्राफिक रिपोर्ट.
डेमोग्राफिक रिपोर्ट.

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Published : Sep 26, 2021, 6:40 PM IST

संभल:जनपद संभल की चंदौसी विधानसभा कई मायनों में अपने आप में खास है. चांद सी नगरी कहीं जाने वाली चंदौसी को मिनी वृंदावन के नाम से भी जाना जाता है. चंदौसी में बहुत सारे पुराने मंदिर स्थित है. वैसे तो चंदौसी अपनी बहुत सी चीजों के लिए मशहूर है.

चंदौसी के देसी घी की खासियत दूर-दूर तक फैली है. भारतवर्ष में जितने रेलवे ट्रेनिंग कॉलेज हैं. उनमें से रेलवे ट्रेनिंग सेंटर चंदौसी में भी है. जिसे जोनल रेलवे ट्रेनिंग सेंटर के नाम से जाना जाता है. पूरे देश से विद्यार्थी यहां रेलवे की ट्रेनिंग लेने आते हैं.

जानकारी देते संवाददाता.

चंदौसी विधानसभा का राजनैतिक इतिहास

चंदौसी विधानसभा में भारतीय जनता पार्टी के नेता और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री स्वर्गीय श्री कल्याण सिंहजी की ससुराल भी है और उनके ससुराल जन आज भी चंदौसी में रहते हैं. इसके अलावा उत्तर प्रदेश सरकार में माध्यमिक शिक्षा राज्य मंत्री श्रीमती गुलाब देवी भी चंदौसी की ही रहने वाली है. श्रीमती गुलाब देवी चंदौसी विधानसभा से 4 बार विधायक और 2 बार मंत्री रह चुकी है और वर्तमान में भी उत्तर प्रदेश सरकार में माध्यमिक शिक्षा राज्यमंत्री है. विधानसभा चंदौसी सीट 31 अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित सीट है. इसलिए चंदौसी विधानसभा से केवल अनुसूचित जाति का व्यक्ति ही विधायक का चुनाव लड़ता है. चंदौसी विधानसभा में कुल मतदाता तीन लाख चौरानवे हजार (3,94,000) हैं.

चंदौसी रेलवे स्टेशन.

चंदौसी विधानसभा का जातिगत समीकरण

अनुसूचित जाति- 96,000 हजार वोट

अनुसूचित जाति के अंदर ही आने वाली जातियों के वोट इस प्रकार है

समाज हजार
जाटव 70,000
दिवाकर 9,000
वाल्मीकि 8,000
कोरी 5,000
मतदाता संख्या
मुस्लिम 1 लाख
यादव 30 हजार
मौर्य 25 हजार
पाल 16 हजार
कश्यप 14 हजार
ठाकुर 15 हजार
ब्राह्मण 14 हजार
वैश्य 30 हजार
पंजाबी 6 हजार


चंदौसी विधानसभा का इतिहास (कौन कब जीता ?)

1977 से 1979 तक करन सिंह विधायक चंदौसी रहे.

1979 से 1984 तक जीराज सिंह मौर्य चंदौसी के विधायक रहे.

1984 से 1989 तक फूल कुंवर जी चंदौसी के विधायक रहे.

1989 से 1991 तक करन सिंह जी चंदौसी के विधायक रहे

1991 में भारतीय जनता पार्टी की प्रत्याशी श्रीमती गुलाब देवी ने जनता दल के यादराम को हराकर जीत हासिल की. 1991 में विधानसभा चंदौसी सीट भारतीय जनता पार्टी के खाते में गई.

1993 में समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी करन सिंह ने भारतीय जनता पार्टी की प्रत्याशी श्रीमती गुलाब देवी को हराकर जीत हासिल की. 1993 मैं चंदौसी विधानसभा सीट समाजवादी पार्टी के खाते में गई.

1997 में बीजेपी की प्रत्याशी श्रीमती गुलाब देवी ने अजीत सिंह की पार्टी लोक दल के प्रत्याशी महेंद्र सिंह को हराकर जीत हासिल की. 1997 में चंदौसी विधानसभा की सीट भारतीय जनता पार्टी के खाते में गई.

माध्यमिक शिक्षा राज्य मंत्री गुलाब देवी.

2002 भारतीय जनता पार्टी की प्रत्याशी गुलाब देवी ने समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी सतीश प्रेमी को हराकर जीत हासिल की. 2002 में चंदौसी विधानसभा सीट भारतीय जनता पार्टी के खाते में गई.

2007 में बहुजन समाज पार्टी के प्रत्याशी गिरीश चंद ने बीजेपी की प्रत्याशी श्रीमती गुलाब देवी को हराकर जीत हासिल की. 2007 में चंदौसी विधानसभा सीट बहुजन समाज पार्टी के खाते में गई.

2012 में समाजवादी पार्टी की प्रत्याशी श्रीमती लक्ष्मी गौतम ने भारतीय जनता पार्टी की प्रत्याशी श्रीमती गुलाब देवी को हरा कर हासिल की. 2012 में चंदौसी विधानसभा सीट समाजवादी पार्टी के खाते में गई.

2017 में भारतीय जनता पार्टी की प्रत्याशी श्रीमती गुलाब देवी ने सपा कांग्रेस गठबंधन की प्रत्याशी विमलेश कुमारी को हराकर जीत हासिल की और वर्तमान में चंदौसी विधायक श्रीमती गुलाब देवी उत्तर प्रदेश सरकार में माध्यमिक शिक्षा राज्य मंत्री है.



पिछले सियासी समीकरणों को देखें तो इस विधानसभा सीट पर भारतीय जनता पार्टी, समाजवादी पार्टी और एक बार बहुजन समाज पार्टी का भी कब्जा रहा है. 2017 के चुनाव को छोड़कर अगर बात करें तो यहां मुस्लिम और जाटव मतदाता हमेशा बंटा रहा है. मुस्लिम वोट कुछ समाजवादी पार्टी में तो कुछ बहुजन समाज पार्टी में जाता रहा है इसी तरह जाटव मतदाता भी बंटता रहा है. जबकि चंदौसी विधानसभा में जाटव वोट बैंक और मुस्लिम बोट बैंक एक बड़ी तादाद में है. अब यह तो हर बार के सियासी समीकरण सियासी उठापटक ही तय करती है. यह किस जाति का वोट किसी एक पार्टी विशेष को जाता है या किस जाति का वोट विभाजित होता है.

जो भी हो इस बार चंदौसी विधानसभा सीट पर भारतीय जनता पार्टी और समाजवादी पार्टी के बीच कड़ा मुकाबला होने वाला है और चंदौसी विधानसभा सीट समाजवादी पार्टी के लिए आसान नहीं है. यह तो आने वाला समय और चंदौसी विधानसभा के मतदाता ही तय करेंगे कि इस बार चंदौसी विधानसभा में किसको विधायक बनाना है और किस पार्टी को जिताना है.

चंदौसी विधानसभा सीट पर इस बार युवा वोटर अहम भूमिका निभा सकते हैं. युवाओं को बेरोजगारी की समस्या और पिछले 2 साल से वैश्विक महामारी कोरोना काल के चलते लाखों लोगों के रोजगार खत्म हो गए. अब देखना दिलचस्प होगा कि इस बार जनता किसे अपना नेता चुनती है.

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