संभल : जनपद में एक ऐसे हकीम हैं जिन्हें दिल्ली से लेकर पश्चिम बंगाल और विदेशों तक लोग जानते हैं. ये मरीजों नब्ज देखते हैं और उनका फ्री में इलाज करते हैं.
फिल्म निर्माता दीपक पराशर से लेकर दिलीप कुमार और बहुत से राजनेता दशकों से इनके यहां अपने मर्ज का इलाज कराने आते रहे हैं. अब भी यह सिलसिला बदस्तूर जारी है.
हकीम जफर अहमद और उनके वालिद हकीम रईस हिंदुस्तान के जाने-माने हकीम रहे हैं. हकीम जफर मरीजों की नब्ज देखने का कोई पैसा नहीं लेते. ईटीवी भारत से हकीम जफर ने इस बाबत खास बातचीत की..
जानेमाने हकीम रईस के परिवार में जन्मे हकीम जफर अहमद सादिक की शिक्षा अलीगढ़ यूनिवर्सिटी से हुई. फिर कुछ शिक्षा लखनऊ से भी हुई.
वह बताते हैं कि उनके घर में बचपन से ही उन्होंने अपने अब्बा हकीम रईस साहब को हिकमत करते देखा था. उनके पास पास आम आदमी से लेकर वीआईपी-वीवीआइपी और फिल्म अभिनेता जैसे लोगों का नब्ज दिखाने के लिए तांता लगा रहता था.
यह भी पढ़ें :पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह ससुराल में भी खुद धोते थे धोती-कुर्ता
हालांकि आज हकीम जफर के घर के बाहर भी वही मंजर-ए-आम होता है. दिल्ली से लेकर वेस्ट बंगाल तक के लोग और लगभग हर प्रदेश का आदमी यहां दिखाने आ चुका हैं और आते रहते हैं.
हकीम जफर साहब के यहां प्रतिदिन 300 से 400 मरीज आते हैं. वे उन्हें देखने का कोई पैसा नहीं लेते. सबकी नब्ज देखकर इलाज बताते हैं. दिल्ली से आए एक मरीज आरिफ ने बताया कि वह अपने पेट की समस्या को लेकर बहुत से डॉक्टरों को दिखा चुका था लेकिन हकीम जफर साहब की दवा से उसे लाभ हुआ.
अभिनेता दिलीप कुमार भी दिखाते थे इनसे अपनी नब्ज, जानें हकीम जफर में ऐसा क्या है खास
पिछले दिनों आयुर्वेद और एलोपैथ पर भारत में कुछ लोगों के बीच विवाद हो गया था. इस पर हकीम जफर कहते हैं कि सारी पद्धति, चाहे वह एलोपैथ हो, आयुर्वेद या यूनानी हो, सब ईश्वर ने ही मनुष्य को दी है. इसलिए हर पद्धति का सम्मान करना चाहिए. कहा कि जहां जिसको जिस पद्धति से लाभ मिलता हो, उसे इलाज करा लेना चाहिए. मरीज को ऑपरेशन की जरूरत हो तो उसे ऑपरेशन करा लेना चाहिए.
बताया कि वह प्रतिदिन 3 से 4 किलोमीटर रोज दौड़ते हैं, संतुलित भोजन लेते हैं. वह नियमित रूप से एक्सरसाइज करते हैं.