सहारनपुर: जिले का सबसे बड़ा वुड कार्विंग कारोबार देश में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी अपनी काफी पहचान बना चुका है. यहां बनने वाले लकड़ी के सामान अमेरिका के व्हाइट हाउस से लेकर कई बड़े घरानों की शोभा बढ़ा चुके हैं. लाॅकडाउन के कारण काम बंद हो गया और मजदूर पलायन कर गए, जो अब आने को तैयार नहीं है. वहीं निर्यातकों ने भी कोरोना वायरस और आर्थिक तंगी के कारण पहले से दिए गए ऑर्डर को कैंसिल कर दिया है. विदेशी कंपनियों के करीब 90 फीसदी ऑर्डर कैंसिल हो गए हैं. लिहाजा ऐसे में अब कारोबार बंद होने की कगार पर है. वहीं कारोबारियों ने प्रदेश के सीएम को पत्र लिखकर आर्थिक मदद की गुहार लगाई है.
सालाना 800 से 1000 करोड़ का होता था कारोबार
वुड कार्विंग कारोबार को काष्ठ कला भी कहते हैं. कारोबारियों के अनुसार वुड कार्विंग कारोबार करीब 400 साल पुराना है. हर साल 800 से 1000 करोड़ रुपये के बीच टर्न ओवर होता था, लेकिन लाॅकडाउन के कारण अब कारोबार बंदी की कगार पर है. दो माह से अधिक समय से जिले में लकड़ी के सभी कारखाने बंद हैं. जिले में तैयार किया गया हैंडीक्राफ्ट का सामान देश के सभी राज्यों के अलावा विदेशों में भी निर्यात होता है और इस कारोबार से 4 लाख से अधिक कामगार जुड़े है. यहां लकड़ियों को तराश कर बेड, सोफे, कुर्सियां, मेज, झूले, पशुओं की आकृति, चाबी के छल्ले, लकड़ी के पेन से लेकर घरेलू साज-सज्जा के सामान के अलावा बच्चों के खिलौने भी बनाए जाते हैं.
अमेरिका के व्हाइट हाउस में लगी हैं यहां की खिड़कियां और दरवाजे
जिले के कारीगर अपनी शानदार हस्तलिपि कला के चलते विदेशियों को भी अपनी ओर आकर्षित करते रहे हैं. अमेरिका के व्हाइट हाउस में लगा लकड़ी का दरवाजा और खिड़कियां जिले में ही तैयार की गई हैं. लाॅकडाउन के कारण काम बंद होने की वजह से मजदूर पलायन कर गए और अब आने को तैयार नहीं है. कारोबारियों ने बताया कि अनलाॅक के बाद केवल 10 से 15 फीसदी मजदूर ही काम पर वापस आए हैं. कोरोना के कारण विदेशी निर्यातकों ने ऑर्डर कैंसिल कर दिया है. वहीं पहले से निर्यात किए गए माॅल का अभी तक कारोबारियों को पैसा भी नहीं मिला है. लॉकडाउन से पहले निर्यात किया गया अरबों रुपये का सामान समुद्री जहाजों में फंसा हुआ है.