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सिंचाई विभाग के अधिकारियों की लापरवाही से खतरे में ग्रामीणों की जान - सिंचाई विभाग के अधिकारियों की लापरवाही

सहारनपुर में गांव को बाढ़ से बचाने के लिए बनाई जा रही पैचिंग में अनियमितता बरते जाने से गांव में बाढ़ का खतरा बढ़ने लगा है. वहीं, मामले को लेकर ग्रामीणों में रोष बना हुआ है.

सिंचाई विभाग के अधिकारियों की लापरवाही से खतरे में ग्रामीणों की जान.
सिंचाई विभाग के अधिकारियों की लापरवाही से खतरे में ग्रामीणों की जान.

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Published : Jul 6, 2021, 1:35 PM IST

सहारनपुर:सिंचाई विभाग द्वारा सैकड़ों ग्रामीणों की जिंदगी के साथ खिलवाड़ करने का मामला सामने आया है. गांव को बाढ़ से बचाने के लिए बनाई जा रही पैचिंग में अनियमितता बरते जाने से गांव में बाढ़ का खतरा बढ़ने लगा है. वहीं, मामले को लेकर ग्रामीणों में रोष बना हुआ है. हालांकि विधायक नरेश सैनी भी अनियमितताओं को लेकर नाराजगी जाहिर कर चुके हैं.

जानकारी देते ग्रामीण और जेई.

तहसील बेहट के गांव हीराहेड़ी के पास से गुजर रही बरसाती नदी मसखरा में सिंचाई विभाग द्वारा गांव व किसानों के खेतों को बाढ़ से होने वाले नुकसान से बचाने के लिए तटबंध बनाए जा रहे हैं. ग्रामीणों का आरोप है कि सिंचाई विभाग में ठेकेदार द्वारा तटबंध बनाने में भारी अनियमितता बरती जा रही है.

ग्रामीणों का आरोप है तटबंध में मानकों की अनदेखी कर छोटे-छोटे पत्थर लगाए जा रहे हैं और पैचिंग के बीच में पत्थरों के बजाए रेत भरकर कट्टे रखे गए हैं. जिससे बरसात के समय में नदी में पानी आने से तटबंध क्षतिग्रस्त हो सकता है और साथ ही गांव में बाढ़ का खतरा बन सकता है.

ग्रामीणों की शिकायत पर बेहट विधायक नरेश सैनी मौके पर पहुंचे और उन्होंने तटबंध से पत्थर हटवा कर देखा तो उसमें रेत से भरे कट्टे रखे मिले. मामला सोशल मीडिया पर वायरल हुआ तो आनन-फानन में सिंचाई विभाग के जेई व ठेकेदार मौके पर पहुंचे और तटबंध के पत्थरों को हटा कर जहां रेत भरे कट्टे रखे हुए थे. उन्हें निकलवा दिया. अब सवाल यह उठता है कि सैकड़ों ग्रामीणों की जिंदगी के साथ खिलवाड़ करने वाले सिंचाई विभाग के जिम्मेदार अधिकारियों और ठेकेदार के खिलाफ आला अफसर और सरकार क्या कार्रवाई करती है.

इस दौरान तटबंध के बीच से रेत के कट्टे निकलवा रहे सिंचाई विभाग के जेई एस के शर्मा से मामले के बारे में पूछा गया तो वे संतोषजनक जवाब नहीं दे सके और कैमरा देख अपनी बाइक पर बैठकर वहां से निकल लिए. ऐसे में सवाल उठता है कि जब विभागीय अधिकारी व कर्मचारी ही ऐसे मामले में शामिल होंगे तो किससे कार्रवाई की उम्मीद की जाए.

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