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मदरसों में जन गण मन पर उलेमाओं को भी ऐतराज़ नहीं, मदरसा बोर्ड के फैसले का स्वागत - saharanpur latest news

यूपी के मदरसों में राष्ट्रगान अनिवार्य करने के फैसले का देवबंदी उलेमाओं ने स्वागत किया है. उन्होंने कहा सरकार का आदेश आया है तो अब रोजाना मदरसों में राष्ट्रगान गाने में कोई हर्ज नहीं है.

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देवबंदी उलेमा मुफ्ती असद कासमी

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Published : May 12, 2022, 5:13 PM IST

Updated : May 12, 2022, 6:32 PM IST

सहारनपुर :उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने यूपी के मदरसों में राष्ट्रगान अनिवार्य कर दिया है. इसके बाद देवबंदी उलेमाओं का रिएक्शन सामने आया है. उन्होंने न सिर्फ योगी सरकार के इस फैसले का स्वागत किया है बल्कि मदरसों में राष्ट्रगान गाने पर सहमति जताई है. उलेमाओं का कहना है कि मुस्लिम मदरसों और इस्लामिक संस्थान दारुल उलूम में तिरंगा फहराते वक्त राष्ट्रगान गाते आ रहे हैं. अब सरकार का आदेश आया है तो अब रोजाना मदरसों में राष्ट्रगान गाने में कोई हर्ज नहीं है.

देवबंदी उलेमा मुफ्ती असद कासमी ने शासन के इस फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि सरकार ने मदरसों में राष्ट्रगान गाने का जो निर्णय लिया है उसका वे स्वागत करते हैं. उन्होंने कहा कि सरकार के आदेश से पहले भी मदरसों में 26 जनवरी और 15 अगस्त समेत राष्ट्रीय पर्वों पर ध्वजारोहण के साथ-साथ राष्ट्रगान गाया जाता है लेकिन अब सरकार का जो आदेश आया है मदरसे संचालक उस पर भी अमल करेंगे और हर दिन राष्ट्रगान गाना गया जाएगा.

देवबंदी उलेमा मुफ्ती असद कासमी

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गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश में मदरसों के आधुनिकीकरण के साथ अब राष्ट्रगान के भी निर्देश दिए गए हैं. मदरसा परिषद रजिस्ट्रार ने सभी मदरसों में राष्ट्रगान गया जाना अनिवार्य कर दिया है. इसके लिए बाकायदा सभी जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं. सरकार ने यह फैसला 24 मार्च को हुई परिषद की बैठक में पारित किया था.

दारूल उलूम के प्रवक्ता मौलाना सूफियान निजामी यह बोले.

मदरसों में सुबह-शाम राष्ट्रगान गाया जाए
धर्मगुरु मौलाना सूफियान निजामी का कहना है कि मदरसों को लेकर राष्ट्रगान अनिवार्यता का फैसला बहुत अच्छा है. मदरसों में सुबह-शाम राष्ट्रगान गाया जाए लेकिन मदरसों की हालत भी बेहतर की जाए. मदरसों में शिक्षा की गुणवत्ता को बेहतर किया जाए. उन्होंने कहा कि इससे पहले एनसीईआरटी की किताबों को लागू करने का आदेश दिया गया लेकिन 5 सालों में सरकार एनसीईआरटी की किताबें मदरसों तक नहीं पहुंचा सकी. कभी मदरसा मॉर्डनाइजेशन के नाम पर पॉलिटिक्स की गई तो कभी मदरसों को यूपी बोर्ड में शामिल करने को कहा गया. कभी मदरसों में जांच कराई गई तो कभी कुछ और लेकिन इन तमाम बातों के बाद भी सरकार मदरसों की हालत नहीं सुधार पाई. मौलाना सूफियान निजामी ने कहा कि सरकार मदरसों के प्रति सौतेला रवैया खत्म करें और मदरसों को शक की निगाहों से देखना बंद करें.

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Last Updated : May 12, 2022, 6:32 PM IST

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