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इटली एम्बैसी में नौकरी की और फ्रांस में पढ़ाई, फिर बनी सहारनपुर की 'मशरूम लेडी'

यूपी के सहारनपुर में दो महिलाएं मशरूम की खेती कर रही हैं. इनके साथ गांव की और आसपास की महिलाएं इन दोनों से मशरूम की खेती करना सीख रही हैं. अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर ईटीवी भारत की यह खास रिपोर्ट.

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Published : Mar 5, 2020, 7:44 PM IST

Updated : Sep 17, 2020, 4:21 PM IST

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सहारनपुर में मशरूम की खेती.

सहारनपुर: उत्तर प्रदेश का जिला सहारनपुर मशरूम की खेती का हब बन चुका है. मशरूम की खेती में महिलाएं भी बढ़चढ़कर हिस्सा ले रही हैं. तहसील बेहट इलाके के गांव मूर्तजापुर की पूजा सैनी और उसन्ड निवासी शिखा सिंह अपने घर में ही मशरूम की खेती कर महिलाओं के लिए प्रेरणा स्रोत बनी हुई हैं. खास बात यह है कि शिखा सिंह ने इटली की एंबेसी में लाखों का पैकेज छोड़ मशरूम की खेती को अपना पेशा बना चुकी हैं.

सहारनपुर में मशरूम की खेती.

40 वर्षीय शिखा सिंह ने फ्रांस से MBA किया हुआ है. फ्रांस से प्रोफेशनल कोर्स करने के बाद भी शिखा सिंह अपने पैतृक गांव में मशरूम की जैविक खेती कर न सिर्फ अच्छी खासी आमदनी कर रही हैं, बल्कि पढ़ी-लिखी उन महिलाओं एवं युवतियों के लिए एक मिसाल भी बनी हुई हैं. उधर, पूजा सैनी भी शादी के बाद अपनी ससुराल में मशरूम का उत्पादन कर घर की आमदनी दोगुनी कर रही हैं. वहीं गांव की अन्य महिलाओं को भी मशरूम की खेती के लिए प्रेरित कर रही हैं. यही वजह है शिखा और पूजा को 'मशरूम लेडी' के नाम से पहचान बनने लगी है.

मध्यम वर्गीय परिवार से हैं शिखा
शिखा सिंह का जन्म उसन्ड गांव के मध्यम वर्गीय परिवार में हुआ था. उनके पिता रेलवे में नौकरी करते थे. शिखा सिंह की प्राथमिक शिक्षा गांव के स्कूल में हुई, लेकिन पिता के तबादले के चलते बाकी की पढ़ाई लखनऊ में हुई. यहां से शिखा ने न्यूट्रीशियन में ग्रेजुएशन किया. शिखा की नौकरी इटली की एंबेसी में लग गई. इसके चलते उन्होंने इटली जाकर एक वर्षीय इटैलियन भाषा का कोर्स किया. 10 लाख के पैकेज पर इटली एंबेसी में नौकरी करने के बाद शिखा प्रोफेशनल कोर्स करने के लिए फ्रांस चली गईं.

2014 से 2018 तक फ्रांस में रहने के बाद वह अपने पैतृक गांव उसन्ड लौट आईं. यहां उन्होंने कई जगह मशरूम की खेती देखी तो वह भी मशरूम उत्पादन के काम में लग गईं. शिखा सिंह ने ईटीवी भारत से बातचीत में बताया कि फ्रांस से MBA करने के बाद उनके पास कई विदेशी कंपनियों से लाखों रुपये महीने के ऑफर आये, लेकिन उन्होंने सभी ऑफर नकारते हुए मशरूम की खेती करने का मन बना लिया.

कृषि विज्ञान केंद्र से लिया है प्रशिक्षण

शिखा ने कृषि विज्ञान केंद्र प्रभारी डॉ. आईके कुशवाहा से मशरूम उत्पादन का प्रशिक्षण लिया और अपने घर पर ही करीब 700 पॉली बैग लगाकर मशरूम की खेती शुरू कर दी. हालांकि उनको कई ग्रामीणों से इसके लिए ताने भी सुनने को मिले. शिखा का कहना है उसने दो साल तक मशरूम की खेती करने का प्रशिक्षण लिया. वह प्रतिदिन 25 से 30 किलो मशरूम का उत्पादन कर रही हैं. उनका कहना है कि मशरूम 150 से 200 रुपये किलो के भाव बिक रही है. इससे इन्हें 3 से 4 हजार रुपये प्रतिदिन आमदनी हो रही है.

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वहीं मूर्तजापुर गांव में 5 साल पहले ब्याह कर आई पूजा सैनी भी मशरूम लेडी के नाम से अपनी पहचान बना चुकी हैं. पूजा 10वीं पास हैं. इनके पति हिमांशु अपने खेतों में गन्ना, गेहूं, धान की फसल उगा रहे हैं. 10 वीं पास पूजा ने कृषि विज्ञान केंद्र से प्रशिक्षण लिया और ससुराल में ही एक छप्पर डालकर 300 पॉली बैग में मशरूम की खेती कर रही हैं. यहां से उन्हें प्रतिदिन 2 से 3 हजार रुपये की आमदनी हो रही है. पूजा पिछले 3 साल से मशरूम की खेती कर 60 हजार रुपये महीना कमा रही हैं. पूजा के पास मशरूम की खेती करना सीखने के लिए गांव के आसपास की महिलाएं आ रही हैं.

Last Updated : Sep 17, 2020, 4:21 PM IST

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