सहारनपुर : आतंकी नदीम के पकड़े जाने के बाद सहारनपुर के कुंडा कलां गांव में अजीब माहौल बना हुआ है. ग्रामीण नदीम की करतूत से शर्मिंदगी महसूस कर रहे हैं. ATS की टीम लखनऊ में आतंकी नदीम से पूछताछ कर रही है. परिजन बेटे की इस हरकत पर आंसू बहाने को मजबूर हैं.
जानकारी के मुताबिक, नदीम न सिर्फ इंटरनेट कॉल (internet call) पर आतंकी संगठन से बात करता था, बल्कि आतंकी ट्रेनिंग भी ले रहा था. इतना ही नहीं रिश्तेदारी की आड़ में पाकिस्तान जाना चाहता था. जिससे वहां जाकर जैश-ए-मोहम्मद और तहरीक-ए-तालिबान आतंकी संगठनों से बम बनाने और तबाही मचाने की ट्रेनिंग ले सके. आठवीं पास नदीम अपने पिता से कई बार पाकिस्तान जाने की जिद्द कर चुका था, लेकिन पिता नफीस बजट का बहाना बनाकर कुछ समय बाद जाने का आश्वासन देकर टाल देते थे. इस बात का खुलासा नदीम ने ATS पूछताछ में भी किया है. आतंकी संगठन से जुड़ने पर नदीम का पहला टॉस्क बीजेपी की प्रवक्ता रही नूपुर शर्मा की हत्या करना था. इसके लिए उसको बाकायदा ऑनलाइन ट्रेनिंग दी जा रही थी. वह पाकिस्तान जाकर बेहतर आतंकी ट्रेनिंग लेने की फिराक में था.
सहारनपुर के कुंडा कलां गांव बता दें कि आतंकी गतिविधियों से उत्तर प्रदेश के जनपद सहारनपुर का पुराना नाता रहा है. फतवों की नगरी देवबन्द से लेकर सहारनपुर तक कई बार संदिग्ध आतंकी पकड़े गए हैं. इस्लामिक शिक्षण संस्थान दारुल उलूम में तालीम के बहाने कई विदेशी नागरिक फर्जी दस्तावेजों पर रहते हुये गिरफ्तार किए जा चुके हैं. यही वजह है कि सीएम योगी आदित्यनाथ ने देवबंद कस्बे में ATS के कमांड सेंटर की स्थापना की है. यूपी ATS टीम ने खुफिया एजेंसियों के इनपुट मिलने पर 8 अगस्त को दबिश देकर नदीम और तैमूर दो सगे भाइयों को हिरासत में लिया था, जिसके बाद टीम दोनों को लखनऊ ले गई थी. जहां पूछताछ में नदीम ने आतंकी संगठनों से कनेक्शन होना स्वीकार किया है.
नदीम के आतंकवादी गतिविधियों में होने की जानकारी मिलते ही गांव का हर कोई व्यक्ति हैरत में पड़ गया. ग्रामीणों को विश्वास ही नहीं हो रहा था कि उनके बीच में गुमसुम रहने वाला नदीम आतंकी संगठनों से मिला हुआ है. वह अपने देश में रहकर तबाही मचाने की विधि सीख रहा है. नदीम के पिता नफीस ने भावुक होते हुए बताया कि उसका बेटा नदीम आठवीं कक्षा पास है और दो साल पहले देहरादून की किसी कंपनी में नौकरी करता था. लॉक डाउन के बाद वह अपने घर कुंडा कलां आकर रहने लगा था.
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पिता नफीस के मुताबिक, नदीम ग्रामीणों के अलावा परिजनों के साथ भी बात नहीं करता था. वह अपने आप मे ही खोया रहता था. नदीम का जीवन एक कमरे तक ही सिमट कर रह गया था. नदीम के लिए इसका मोबाइल ही सब कुछ था. दिन रात अपने मोबाइल में व्यस्त रहता था. पूरी पूरी रात किसी अनजान से बात करता रहता था. वह व्हाट्सएप, फेसबुक और सोशल मीडिया (Whatsapp, Facebook and social media) प्लेटफार्म पर खोया रहता था. जब भी उससे कोई बात करने की कोशिश करता तो वह इधर उधर की बात करके टाल देता था. लेकिन, यह किसी नहीं पता था कि वह बात किससे और क्यों कर रहा है. कई बार तैमूर भी उसका फोन इस्तेमाल कर लेता था.
नफीस ने बताया कि नदीम पिछले डेढ़ साल से पाकिस्तान के एक रिश्तेदार के यहां जाने की जिद्द करता रहता था. पाकिस्तान जाने को लेकर घर में झगड़ा भी हो जाता था. हर महीने नदीम को पाकिस्तान जाने की जिद्द लगती थी. नफीस के मुताबिक, पाकिस्तान में उनकी कई रिश्तेदारी हैं. नफीस की पत्नी यानी नदीम की मां की एक बुआ पाकिस्तान के जिला खरखौदा औऱ दूसरी नवाबशाह पिंड में रहती हैं, जबकि नफीस की बुआ पाकिस्तान के कुशुर गांव बरखी में रहती हैं. नदीम कई बार उनके यहां जाने की तैयारी कर चुका है, लेकिन आज उनकी समझ मे आया कि वह वहां क्यों जाना चाहता था.
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ATS अधिकारियों के मुताबिक, कॉल डिटेल्स में कई खुलासे हुए हैं. नदीम मां और पिता की बुआ के यहां पाकिस्तान में जाने के बहाने आतंकी संगठनों से मिलना चाहता था. पाकिस्तान जाकर वह तबाही का सामान बनाना सीखता. जैश-ए-मोहम्मद और तहरीक-ए-तालिबान जैसे संगठनों से इंटरनेट कॉल पर बात करता था. PDF फाइल में 70 पेज की बुकलेट को पढ़कर बम बनाने सीख रहा था. इतना ही नहीं नेट कॉल पर ही आतंकी संगठनों से आतंकी ट्रेनिंग ले रहा था. नदीम पाकिस्तान में आतंकी संगठनों में उन लोगों से मिलना चाहता था जिनसे वह इंटरनेट कॉल पर बात करता था.
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इस पर नदीम के पड़ोसियों का कहना है कि नदीम शांत प्रिय युवक है. वह किसी से लड़ाई झगड़ा करना तो दूर ज्यादा बातचीत भी नहीं करता था. उसके खिलाफ स्थानीय थाने में भी कोई केस नहीं है, लेकिन आतंकी संगठनों से संबंध होना किसी के गले से नहीं उतर रहा है.
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