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देश का पहला गन्ना मॉडल बना उत्तर प्रदेशः मंत्री सुरेश राणा - saharanpur khabar

उत्तर प्रदेश के सहारनपुर जिले में कैबिनेट मंत्री सुरेश राणा ने ईटीवी से खास बातचीत करते हुए अपनी सरकार की उपलब्धियां गिनाई. उन्होंने बताया कि सरकार किसानों की आय दोगुनी करने और किसान के हित की योजनाएं लागू कर रही है.

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ईटीवी भारत संवाददाता से बातचीत करते कैबिनेट मंत्री सुरेश राणा.

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Published : Feb 8, 2020, 1:47 PM IST

Updated : Sep 17, 2020, 4:21 PM IST

सहारनपुर:जिले में कैबिनेट मंत्री सुरेश राणा ने ईटीवी से खास बातचीत करते हुए बताया कि केंद्र एवं राज्य की बीजेपी सरकार किसानों की आय दोगुनी करने के लिए किसान हित की योजनाएं लागू कर रही है. 30 महीनों के कार्यकाल में उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने न सिर्फ बंद पड़ी 20 चीनी मिलों को चालू किया है, बल्कि 10 सालों से बकाया 85 हजार करोड़ रुपये का भुगतान भी किया है.

ईटीवी भारत संवाददाता से बातचीत करते कैबिनेट मंत्री सुरेश राणा.

दो दिवसीय दौरे पर पहुंचे सहारनपुर
गन्ना मंत्री सुरेश राणा शुक्रवार को सहारनपुर के दो दिवसीय दौरे पर पहुंचे. जहां वह सरकारी एवं निजी कई कार्यक्रमों में शिरकत कर रहे हैं. ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए गन्ना मंत्रालय की योजनाओं पर पीएम मोदी और सीएम योगी की जमकर तारीफ की. उन्होंने कहा कि किसानों को केंद्र और राज्य सरकार के एजेंडे में शामिल किया गया है. आजादी के बाद ऐसा पहली बार हुआ है, जब किसानों को इतना महत्व दिया गया है. केंद्र सरकार के बजट से लेकर राज्य सरकार की योजनाओं समेत किसान को केंद्र में रखा गया है.

खुशहाली की ओर बढ़ रहा किसान
किसान खुशहाली की ओर बढ़ रहा है. 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने का पीएम मोदी का सपना है. जिसे पूरा करने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार कटिबद्ध है. आजादी के बाद से आज तक किसी भी सरकार में 33 महीने के अंदर यूपी के किसानों का 85 हजार करोड़ का बकाया भुगतान डीबीटी की माध्यम से किया गया हो, ऐसा देखने को नहीं मिलता. लेकिन हमारी सरकार ने इसे पूरा कर दिखाया है.

देश का पहला गन्ना मॉडल यूपी
उत्तर प्रदेश गन्ना किसानों के लिए देश का पहला गन्ना मॉडल राज्य बन गया है. इसके चलते दूसरे राज्यों के मंत्री अधिकारी यूपी से सीखने आ रहे हैं. गन्ना मंत्री ने केंद्र और प्रदेश सरकार की उपलब्धियां गिनाई. बीजेपी सरकार ने किसानों के लिए वो सब कर दिखाया है, जो आजादी के बाद 70 सालों में पिछली सरकारें नही कर पाईं.

बसपा पर साधा निशाना
बसपा पर निशाना साधते हुए कहा कि बसपा ने प्रदेश की 34 मिलों को औने-पौनें दामों पर बेच दिया था. बसपा और सपा सरकार को आड़े हाथ लेते हुए कहा कि 2007 से 2012 तक उत्तर प्रदेश में 19 चीनी मिले बंद हुई थीं. 2012 से 2017 तक 10 चीनी मिलें बंद की गई. इन 10 सालों में सपा बसपा ने न सिर्फ प्रदेश की 29 चीनी मिलों को बंद किया बल्कि हाजरो7 करोड़ रुपये की मिलो को 50-50 करोड़ रुपये में बेच कर अपनी जेबें भरने का काम किया.

योगी सरकार ने चीनी मिलो के हित में सोचा
योगी सरकार के 30 महीने के कार्यकाल में डेढ़ दर्जन से ज्यादा चीनी मिलों को चलाने का काम किया गया. उत्तर प्रदेश में जो बाकी बंद चीनी मिले हैं, बसपा सरकार ने कौड़ियों के दाम बेच दी थीं. उसकी सीबीआई जांच चल रही है, किसी भी सूरत में दोषी बख्शे नहीं जाएंगे. जो चीनी मिलें अभी भी बंद पड़ी हैं, उनका भी ब्लू प्रिंट तैयार कर रहे हैं. उन लोगों को भी जल्द ही चालू कराया जाएगा.

गन्ना किसानों की हालत सुधरी
गन्ना किसानों के लिए पर्ची व्यवस्था, तौल केंद्र समेत सभी व्यवस्थाओं को सुधारने का काम योगी सरकार ने किया है. हमने खांडसारी उद्योग को बढ़ावा दिया है. 25 साल में उत्तर प्रदेश में खांडसारी उद्योग के लिए एक भी लाइसेंस जारी नहीं हुआ. लेकिन बीजेपी सरकार ने 30 महीने के अंदर 103 खांडसारी का लाइसेंस जारी किए हैं. आने वाले समय में 10-15 किलोमीटर की दूरी पर क्रेशर चलते दिखाई देंगे. जिसके चलते गन्ना किसानों के पास चीनी मिल के अलावा एक अन्य विकल्प भी रहेगा.

गन्ना मूल्य और भुगतान पर बोले
गन्ना मूल्य और भुगतान के सवाल पर उन्होंने कहा कि आज देश में जो परिस्थिति चीनी मिल की है, उस परिस्थिति में प्रधानमंत्री मोदी ने न्यूनतम चीनी का विक्रय मूल्य तय किया है. सीएम योगी ने बजट से भुगतान का प्रावधान किया है. बंद चीनी मिलों को चलाना, यह सारे फैसले किसान हित के हैं. हमने पूरी कढ़ाई के साथ 85000 करोड़ रुपए गन्ना किसानों का भुगतान किया है.

14 दिनों में भुगतान की बात पर बोले
14 दिन में भुगतान की घोषणा के सवाल पर जवाब देते हुए कहा कि जब हम सरकार में आए थे, तो गन्ना किसानों का 10 साल का बकाया था. सीएम योगी ने गन्ना किसानों पर फोकस करते हुए बकाया भुगतान को कराया है. उसका परिणाम यह है कि आज 85000 करोड़ रुपया गन्ना किसानों का भुगतान हुआ है. बीजेपी सरकार के एजेंडे में नम्बर एक पर किसान को रखा गया है.

CAA को लेकर चल रहे विरोध पर दी प्रतिक्रिया
मैं आपके चैनल के माध्यम से स्पष्ट रूप से कहना चाहता हूं, कि यह अधिनियम किसी की नागरिकता लेने वाला अधिनियम नहीं है. यह नागरिकता देने वाला अधिनियम है. हमारे पड़ोसी देश पाकिस्तान, अफगानिस्तान, बांग्लादेश जहां अल्पसंख्यकों के साथ धार्मिक, आर्थिक अत्याचार हुए उनके लिए यह कानून बनाया गया है. प्रदर्शनों में हो रही फंडिंग पर उन्होंने कहा कि पूरे मामले की जांच चल रही है, जांच में दोषी पाए जाने वालों के खिलाफ सख्त कार्यवाई की जाएगी.

Last Updated : Sep 17, 2020, 4:21 PM IST

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