सहारनपुर: CAA के विरोध के चलते दिल्ली में हुई हिंसा के आरोपियों की गिरफ्तारी की जा रही है, वहीं गिरफ्तारी के खिलाफ आवाज उठने लगी है. जेएनयू छात्र उमर खालिद की गिरफ्तारी किए जाने के विरोध में जगह-जगह प्रदर्शन होने लगे हैं. दिल्ली हिंसा में हिंसा कराने के आरोप में पकड़े गए लोगों की रिहाई की मांग हो रही है. इस कड़ी दारुल उलूम देवबंद के छात्रों ने भी न सिर्फ दिल्ली पुलिस की कार्रवाई की मुखालफत की है, बल्कि पुलिस और सरकार पर तानाशाही का आरोप भी लगाया है. छात्रों का कहना है कि सरकार अपनी नाकामी को छिपाने के लिए बेगुनाहों को हिंसा के आरोप में गिरफ्तार कर जेल भेज रही है, जो किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा.
दिल्ली हिंसा के मामले में पुलिस ने शुरू की कार्रवाई
24 फरवरी 2020 को CAA एवं NRC को लेकर समुदाय विशेष द्वारा न सिर्फ धरना प्रदर्शन किया गया, बल्कि शाहीन बाग में लंबे समय तक आंदोलन किया गया. इतना ही नहीं दिल्ली के कुछ इलाके में हिंसा भी हो गई. इस हिंसा के दौरान जान-माल का काफी नुकसान भी हुआ. पुलिस और आईबी ने मामले की गंभीरता को लेकर शुरुआती जांच के अनुसार जेएनयू के छात्र उमर खालिद, खालिद शैफी और शरजील इमाम समेत कई लोगों को चयनित कर हिंसा फैलाने के आरोप में मुकदमे दर्ज किए गए. कोरोना वायरस के कारण लंबे समय से लंबित चल रहे हिंसा प्रकरण में दिल्ली पुलिस ने कार्रवाई करनी शुरू कर दी है. पुलिस कार्रवाई के साथ आरोपियों की रिहाई के लिए भी आवाज उठने लगी है. देवबंद में कारवां-ए-अमन इंसाफ के बैनर तले छात्रों और युवाओं ने प्रदर्शन कर छात्र नेता उमर खालिद, खालिद सैफी और शरजील इमाम की रिहाई की मांग की है. उनका कहना है कि सरकार बेगुनाह छात्र नेता एवं छात्रों को जेल भेज कर हिंसा के असली आरोपियों को बचाने का काम कर रही है.