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जानिए उस गांव की कहानी, जहां नहीं हो रही युवक-युवतियों की शादी - गांव की सड़कों पर भरा है पानी

उत्तर प्रदेश के सहारनपुर जिले स्थित मियानगी गांव के लोग गलियों और सड़कों में पानी भरने से परेशान हैं. हालात ऐसे हैं कि गलियों में पानी भरे होने के कारण गांव के युवक-युवतियों की शादी तक नहीं हो पा रही है.

road filled with water
सड़को पर भरा पानी

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Published : May 24, 2020, 9:18 PM IST

Updated : Sep 17, 2020, 4:22 PM IST

सहारनपुर: एक ओर जहां पूरा देश कोरोना वायरस की वजह से लगे लॉकडाउन में रहने को मजबूर है. वहीं सहारनपुर का एक गांव ऐसा भी है, जहां शहनाइयां बजने पर ग्रहण लगा हुआ है. शासन-प्रशासन की अनदेखी के चलते 75 फीसदी से ज्यादा युवक-युवतियां कुंवारे ही हैं. इसके चलते ग्रामीणों को अपने युवा बच्चों के भविष्य की चिंता सता रही है.

सड़कों पर भरा पानी

दबंगों ने कब्जे में किया तालाब
दंबगों की दबंगई की वजह से न सिर्फ पूरा गांव पानी-पानी हुआ है बल्कि गांव की गलियों में 3-4 फीट पानी भरा हुआ है. दरअसल दंबगों ने गांवों के दोनों तालाबों पर कब्जा किया हुआ है, जिससे गंदे पानी की निकासी नहीं हो पा रही है. आलम यह है कि गंदा पानी वापस घरों में पहुंच रहा है. गांव की गलियों में भरा यह गंदा पानी ग्रामीणों के लिए अभिशाप बन चुका है, जिसके चलते ग्रामीण गांव छोड़कर दूसरे गांव और शहर की ओर पलायन कर रहे हैं.

घुटने तक भरा पानी
जिले के थाना बड़गांव इलाके के गांव मियानगी के दो तालाबों पर दबंगों ने कब्जा किया हुआ है. तालाब बन्द होने के कारण घरों से निकलने वाला गंदा पानी गलियों में भरा हुआ है. ज्यादातर गालियों में 3 से 4 फीट पानी भरने से गांव कई हिस्सों में बंट गया है. करीब पांच हजार की आबादी वाले गांव मियानगी के 500 से ज्यादा परिवार इस गंदे पानी का दंश झेल रहे हैं. वहीं मुख्य गली से होकर जाने वाले आसपास के गांवों का रास्ता भी बंद हो चुका है, जिससे ग्रामीणों को 10-15 किलोमीटर दूर से घूमकर आना-जाना पड़ता है.

गलियां हो रही नालियों में तबदील
गलियों में ठहरे बदबूदार गंदे पानी मे कीड़े होने से बीमारी फैलने का खतरा भी बना हुआ है. वहीं गलियों में भरा यह पानी लोगों के घरों में घुसने लगा है. बच्चों और महिलाओं का घरों से बाहर निकलना दुश्वार हो चुका है. गंदे पानी से होकर सांप और अन्य जहरीले कीड़े घरों में आने लगे हैं, जिससे ग्रामीणों को स्वास्थ्य और अपनी जान का खतरा भी सताने लगा है. इसके चलते ग्रामीण गांव छोड़कर पलायन करने को मजबूर हो रहे हैं. अब तक 20 से ज्यादा परिवार गांव छोड़कर दूसरे गांव में चले गए हैं, जबकि कई परिवार गांव छोड़ने की तैयारी में हैं.

बदहाली से जूझ रहा गांव
ईटीवी भारत की टीम गांव की बदहाली का जायजा लेने पहुंची तो सबसे पहले टीम का स्वागत गांव बाहर मेन रोड पर ढाई-तीन फीट गहरे गंदे पानी ने किया. ईटीवी की टीम को भी इस बात का डर लगने लगा कि कहीं गाड़ी उस गहरे पानी मे फंस न जाए. हालांकि जैसे-तैसे 100 मीटर दूरी तक गहरे पानी को पार कर ETV BHARAT की टीम गांव में प्रवेश कर गई, जहां पानी से लबालब भरी गांव की गालियां मिली. इन गलियों में बने घरों में 3-4 फीट से निकलने वाला गंदा पानी भरा हुआ था.

गंदे पानी से होकर जाते लोग शमशान घाट
ग्रामीण अपने बच्चों और मवेशियों के साथ गंदे पानी से होकर निकल रहे थे. गांव का मेन रास्ता होने की वजह से बाइक सवार भी जान जोखिम में डालकर गुजर रहे थे. आधे गांव की गलियों में पानी भरा होने से लोग गंदगी में जीवन जीने को मजबूर हैं. ग्रामीणों ने ETV भारत को बताया कि गंदे पानी से निकलने से उनके पैर गलने लगे हैं. एलर्जी एवं त्वचा रोगों के साथ कई बीमारियों होने लगी हैं.
आलम यह है कि गांव में मृत्यु होने पर शव यात्रा भी इसी गंदे पानी से होकर श्मशान घाट तक ले जाई जाती है.

गांव का चक्कर लगाकर बच्चों को जाना पड़ता स्कूल
स्कूली बच्चों को पानी से बचने के लिए पूरे गांव का चक्कर काटकर स्कूल जाना पड़ता है. पानी निकासी की यह समस्या गांव मियानगी के लिए अभिशाप बन चुकी है. गांव के युवक-युवतियों के रिश्ते नहीं हो पा रहे हैं. गंदगी और पानी की निकासी न होने की वजह से गांव इस कदर बदनाम हो चुका है कि इस गांव में मेहमानों ने भी आना बंद कर दिया है. दूसरे गांवों के ग्रामीण मियानगी में अपने बच्चों के ब्याह शादी नहीं कर रहे हैं.

छलका ग्रामीणों का दर्द
ग्रामीणों ने ईटीवी भारत से अपना दर्द साझा करते हुए बताया कि गांवों के कुछ दबंगों ने दोनों तालाबों पर कब्जा किया हुआ है, जिससे गांव की गलियों में गंदा पानी भरा हुआ है. इस पानी की वजह से उनके गांव में शहनाई नहीं बज पा रही है. हर कोई इस गंदे पानी में आने से बचना चाहता है. कई सालों से ग्रामीण शासन-प्रशासन से दंबगों की शिकायत कर तालाबों को कब्जा मुक्त कराने की गुहार लगा चुके हैं, लेकिन कही कोई सुनवाई नहीं हो पा रही है.

क्या बोले ग्राम प्रधान

ग्राम प्रधान कुलदीप सैनी ने बताया कि वह पिछले तीन साल से अधिकाकरियों के चक्कर काट रहे हैं. डीएम से लेकर मुख्यमंत्री तक प्रार्थना पत्र भेजे गए हैं, लेकिन दंबगों से तालाब कब्जा मुक्त नहीं हो पाया है. यही वजह है कि पानी की निकासी नहीं होने से गांव की गलियां ही तालाब बनी हुई हैं. वहीं सक्षम लोग गांव छोड़कर पलायन कर रहे हैं.


Last Updated : Sep 17, 2020, 4:22 PM IST

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