सहारनपुर: भारत देश में सड़क दुर्घटनाएं मौत का प्रमुख कारण हैं. हर रोज सैकड़ों लोग सड़क हादसों का शिकार हो जाते हैं. सड़क हादसों में जहां सैकड़ों लोग अकाल ही मौत के आगोश में शमा चुके हैं. वहीं बड़ी संख्या में घायल भी हुए हैं, लेकिन कोरोना काल में लगे लॉकडाउन में न सिर्फ सड़क हादसों में कमी आई है, बल्कि दुर्घनाओं में इक्का-दुक्का ही लोगों की मौत हुई है.
जिले में अनलॉक किये जाने पर सड़क हादसे फिर से होने लगे हैं. हालांकि ये सड़क हादसे पिछले साल की तुलना में कम हैं, जिससे मृत्यु दर भी काफी कम है. कोरोना काल में जिला प्रशासन ने वाहन चालकों को कोरोना संक्रमण के साथ सड़क हादसों से बचाव के लिए भी जागरूक किया है. लॉकडाउन में वाहनों की कम आवाजाही के कारण भी सड़क हादसों में भारी कमी आई है.
पीएम मोदी ने घोषित किया संपूर्ण लॉकडाउन
कोरोना वायरस दुनिया के तमाम देशों के साथ भारत में भी कहर बरपा रहा है. कोरोना वायरस की कड़ी को तोड़ने के लिए केंद्र की मोदी सरकार ने 22 मार्च को जनता कर्फ्यू और 25 मार्च से सम्पूर्ण लॉकडाउन घोषित कर दिया था. इस दौरान न सिर्फ देश के हर नागरिक से घरों में रहने की अपील को गई, बल्कि छोटे-बड़े सभी वाहनों और ट्रेनों समेत हवाई यात्रा पर भी रोक लगा दी गई. लॉकडाउन की वजह से पूरी तरह चक्का जाम हो गया, जबकि इस दौरान खाद्य सामग्री और जरूरी सामान ले जाने वाले वाहनों को छूट दी गई थी.
बड़े-छोटे वाहनों का हुआ चक्काजाम
सड़कें-हाइवे सब सुनसान पड़े रहे. इक्का-दुक्का वाहन ही सड़कों पर दिखाई दे रहे थे. देशभर में एक साथ चक्का जाम होने की वजह से सड़क हादसे नाममात्र के ही हुए हैं. ईटीवी भारत की टीम ने उत्तर प्रदेश के सहारनपुर में लॉकडाउन और अनलॉक के समय में सड़क हादसों और हादसों में हुई मौत के कारणों का पता लगाने की कोशिश की. सहारनपुर के पुलिस अधिकारियों से बात करके सड़क हादसों की एक रिपोर्ट तैयार की गई.
लॉकडाउन में सड़क हादसे और मौत
इस रिपोर्ट के मुताबिक लॉकडाउन से पहले 2019 में 1 जनवरी से 30 जून तक 237 सड़क हादसे पंजीकृत किये गए. 237 सड़क हादसों में 161 लोगों की मौत हुई, जबकि 173 लोग गंभीर रूप से घायल हुए. वहीं 1 जनवरी 2020 से 30 जून 2020 तक (इसी बीच लॉक डाउन पीरियड भी शामिल है) जिले में कुल 148 सड़क हादसे पंजीकृत हुए. इन सड़क हादसों में 97 लोगों की मौत हुई और 105 लोग घायल हुए.
लॉकडाउन में सड़क हादसे
अगर लॉकडाउन पीरियड की बात करें तो लॉकडाउन से पहले और बाद में मार्च महीने में 40 सड़क हादसों में 27 मौतें हुईं और 32 घायल हुए. अप्रैल महीने में 9 सड़क हादसे पंजीकृत किये गए. इसमें 4 की मौत और 10 लोग घायल हुए, जबकि लॉकडाउन में थोड़ी छूट मिलने के बाद मई माह में 22 हादसे, 15 मौत, 13 लोग घायल हुए. जून महीने में 20 हादसे पंजीकृत किये गए. इन 20 हादसों में 12 लोगों की मौत हुई और 10 लोग गंभीर रूप से घायल हुए. पंजीकृत आंकड़ों के मुताबिक सड़क हादसों में जितनी कमी आई है, उतनी ही मृत्यु दर में गिरावट दर्ज की गई है.
लॉकडाउन में हुए सड़क हादसों पर एक नजर. कम हुई सड़क हादसों में मृत्यु दर
एसपी विनीत भटनागर ने ईटीवी भारत से बातचीत में बताया कि 2019 के पहले 6 महीनों की अवधि में 237 सड़क हादसे हुए थे, जबकि 2020 के पहले 6 महीनों और लॉकडाउन में 148 दुर्घनाएं दर्ज की गई हैं. लॉकडाउन की वजह से सड़क हादसों में होने वाली मृत्यु दर काफी कम हुई है. इन सड़क हादसों को रोकने के लिए आम लोगों को जागरूक होना पड़ेगा.
सड़क के नियमों के साथ यातायात नियमों का पालन करना पड़ेगा. सड़क हादसों को रोकने के लिए पुलिस लगातार जागरूकता अभियान चला रही है. दोपहिया वाहनों पर बिना हेलमेट, 2 से ज्यादा सवारी होने पर चालान भी कर रही है. इसके बाद भी लोग सड़क नियमों का पालन नहीं कर रहे हैं. नियमानुसार बाइक चालक के साथ पीछे बैठने वाली सवारी को भी हेलमेट पहनना चाहिए.
एसपी यातायात ने दी जानकारी
वहीं एसपी यातायात प्रेमचंद्र ने बताया कि कोरोना काल में शासनादेश पर ट्रैफिक व्यवस्था सुचारू रूप से चल रही है. यातायात का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ कार्रवाई की जा रही है. वाहनों के चालान किये जा रहे हैं. लॉकडाउन की वजह से 2019 की तुलना में 2020 में बहुत कम ट्रैफिक चल रहा है. ज्यादातर सड़क हादसे तेज रफ्तार, गलत साइड में वाहन चलाना, बिना हेलमेट के बाइक चलाना, बाइक पर 2 से ज्यादा सवारियां चलना, चार महिला वाहन में सीट बेल्ट न लगाना आदि सड़क हादसों का मुख्य कारण रहता है.