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सहारनपुर: अपनी बदहाली पर आंसू बहा रहा सांसद आदर्श ग्राम 'खुशहालीपुर'

सहारनपुर जिले का खुशहालीपुर गांव आदर्श ग्राम योजना के अंतर्गत आता है. इसके बावजूद इस गांव का हाल बेहाल है. इस गांव को पूर्व सांसद राघव लखनपाल शर्मा ने गोद लिया था लेकिन सांसद आदर्श ग्राम योजना के नाम पर इस गांव में महज कागजी खानापूर्ति की गई है.

नालियों में तब्दील गांव की गलियां
नालियों में तब्दील गांव की गलियां

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Published : Jul 31, 2020, 8:27 AM IST

Updated : Sep 17, 2020, 4:22 PM IST

सहारनपुर : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश में गांवों के विकास के लिए 'सांसद आदर्श ग्राम योजना' की शुरुआत 2014 में की थी. जिसका उद्देश्य गांवों का विकास कर उनकी स्थिति में सुधार लाया जा सके, लेकिन पीएम मोदी की महत्वकांक्षी 'सांसद आदर्श ग्राम योजना' सहारनपुर में दम तोड़ती नजर आ रही है. जिले से पूर्व सांसद राघव लखनपाल शर्मा का गोद लिया है. गांव खुशहालीपुर गांव में सांसद आदर्श ग्राम योजना के नाम पर महज कागजी खानापूर्ति की गई है. जिसमें केवल सरकारी पैसे की ही बंदरबांट की गई है.

नालियों में तब्दील गांव की गलियां
कागजों तक सिमटा काम2014 में प्रधानमंत्री बनने के बाद नरेंद्र मोदी ने इस योजना की शुरुआत की थी. इस योजना के तहत हर सांसद को अपने सांसदीय क्षेत्र से एक गांव गोद लेकर वहां विकास कार्य कराना होता है. उस दौरान जिले से सांसद रहे राघव लखनपाल शर्मा ने जिला मुख्यालय से 45 किलोमीटर दूर बसे खुशहाली गांव को गोद लेकर ग्रामीणों को बड़े बड़े सपने दिखाए थे. सांसद के गोद लिए जाने के बाद ग्रामीणों में उम्मीद जगी थी कि अब उनके गांव में भी शहर जैसी सुविधाएं मिल सकेंगी, लेकिन सब कुछ कागजों तक ही सिमट कर रह गया. गांव को गोद लेने के बाद सांसद राघव लखनपाल शर्मा केवल 3-4 बार ही आए और बड़े बड़े दावे करके चले गए.

अस्पताल में नहीं महिला डॉक्टर की तैनाती
सांसद के गोद लेने के बाद भी ग्रामीण मूलभूत समस्याओं से जूझ रहे हैं. गांव में 18 घन्टे बिजली देने के दावे भी हवा हवाई साबित हो रहे हैं. स्वास्थ्य सेवाओं के नाम पर एक अस्पताल बनाया गया जहां केवल एक महिला एवं अन्य विशेषज्ञ डॉक्टर की आज तक तैनाती नहीं हुई है. कभी कबार टीकाकरण के लिए नर्स आती रहती है. अस्पताल में डॉक्टर न होने के चलते ग्रामीणों को सहारनपुर या कहीं दूर इलाज के लिए जाना पड़ता है. गांव में ग्राम प्रधान ने अपने घर के आसपास गलियों के नाम पर 20 फीसदी काम किया है, लेकिन गांव की 70 फीसदी से ज्यादा गलियों में कीचड़ और पानी भरा हुआ है.

कीचड़ से पटी गलियां
कीचड़ से भरी इन गलियों का हाल देखकर अंदाजा लगाया जा सकता है कि सांसद निधि से कितने विकास कार्य कराए गए हैं. टूटी फूटी गलियों में बहता पानी सांसद के दावों की पोल खोल रहा है. मुख्य सड़क, स्कूल और अस्पताल की बात करें तो ये पहले से ही बने हुए हैं. ग्रामीणों को प्रधान मंत्री आवास योजना का भी लाभ नहीं दिया गया. जिसके चलते ग्रामीण घासफूस की झोपड़ियों में रहने को मजबूर हैं. यही हाल आंगनबाड़ी भवन का है जहां घास फूस और कबाड़ के ढेर लगे हुए है. जिसके कारण वहां सांप एवं अन्य जहरीले जीव आने की वजह से ये भी वीरान पड़ा रहता है.

सांसद का दावा 10 करोड़ हुए हैं खर्च
ग्रामीणों की माने तो सांसद के गोद लेने के बाद उनके गांव का हाल पहले से भी ज्यादा खराब हो गया है. टंकी में पानी थोड़ी देर के लिए आता है जिसके चलते ग्रामीणों को सीमेंट के हौज में पानी भरकर काम चलाना पड़ता है. वहीं इस बारे में जब सांसद राघव लखनपाल शर्मा से बात की गई तो उन्होंने गांव के विकास कार्य के लिए 10 करोड़ रुपये खर्च की बात कर रहे हैं लेकिन हकीकत इससे परे है.

वहीं मुख्य विकास अधिकारी प्रणय सिंह ने बताया कि गांव खुशहालीपुर को 2017-18 में सांसद आदर्श योजना में शामिल किया गया था. जहां समाज कल्याण विभाग की योजनाओं के तहत पेंशन, सीसी रोड, आंगनबाड़ी सेंटर और स्कूलो में सुविधाओं का उच्चीकरण किया गया है. उन्होंने बताया कि उस दौरान ग़ांव में 32 सोलर लाइट, 177 वृद्धावस्था पेंशन दी गई थी. गांव और आसपास में तीन किलोमीटर सीसी रोड का निर्माण कार्य कराया गया.

Last Updated : Sep 17, 2020, 4:22 PM IST

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