सहारनपुर:लगभग 500 सालों से चले आ रहे ऐतिहासिक विवाद यानी अयोध्या भूमि विवाद का फैसला देश के सर्वोच्च न्यायालय ने सुना दिया है. कोर्ट के इस ऐतिहासिक फैसले से सभी धर्मों के लोग संतुष्ट नजर आ रहे हैं. ऐसी ही कुछ गंगा-जमुनी तहजीब से जुड़ी एक अनूठी मिसाल सहारनपुर में देखने को मिलती है.
लकड़ी के मंदिर बनाकर पेश कर रहे हैं अनूठी मिसाल
जनपद सहारनपुर हेंडीक्राफ्ट एवं वुडकार्विंग के लिए जाना जाता है. यहां की खास बात यह है कि कुशल मुस्लिम कारीगरों द्वारा लकड़ी के मंदिरों को तैयार किया जाता है, जो शीशम और नीम की भारी भरकम लकड़ियों को तराश कर मंदिरों का सुंदर रूप देते हैं. जो हाथ जुम्मे और ईद की नमाज पर दुआओं के लिए उठते हैं, वही हाथ इन मंदिरों को बनाकर अनोखी मिसाल पेश कर रहे हैं.
लकड़ी के मंदिर बनाकर पेश कर रहे हैं अनूठी मिसाल. पीढ़ियों को हुनर देकर जाएंगे ये कारीगर
पीढ़ी दर पीढ़ी हजारों कारीगर मंदिर बनाते आ रहे हैं. ये कारीगर मंदिर के ऊपर गुबंद और माथे पर ॐ के साथ स्वास्तिक चिन्ह लगाकर मंदिरों की सुंदरता पर चार चांद लगा रहे हैं.
मंदिर बनाकर मिलता है धार्मिक लाभ
जिले के सैकड़ों मुस्लिम परिवार मंदिरों को सुंदर रूप देकर न सिर्फ अपने परिवार का पालन पोषण कर रहे हैं, बल्कि हिन्दू मुस्लिम भाईचारे को भी कायम रखे हुए हैं. इन कारीगरों की मानें तो मंदिर बनाकर उन्हें धर्म लाभ तो मिलता ही है, साथ ही उनकी आमदनी भी हो जाती है. उनका कहना है कि मंदिर बनाकर उन्हें बहुत अच्छा लगता है.
मंदिर बनाकर मिलता है आत्मिक बल
कारखाना मालिक का कहना है कि वह 20 साल से लकड़ी के मंदिर बनाते आ रहे हैं. उन्हें मंदिर बनाकर आत्मिक बल मिलता है. वहीं अयोध्या भूमि पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत करते हुए उन्होंने बताया कि सुप्रीम कोर्ट से जो भी फैसला आया है, उसका वह तहेदिल से इस्तकबाल करते हैं.