सहारनपुर: एक ओर जहां पूरा देश कोरोना वायरस की जगह से लॉकडाउन में रहने को मजबूर है, वहीं फल पट्टी सहारनपुर के बागबानों के लिए अच्छी खबर आई है. जिला प्रशासन ने मैंगो पैक हाउस चलाने को हरी झंडी दे दी है, जहां विदेशों में बड़े पैमाने पर आम सप्लाई करने की तैयारी शुरु कर दी है. आम का निर्यात करने वाले एक्सपोर्टर्स के पंजीकरण की प्रक्रिया भी शुरू हो गई. हालांकि कोरोना संक्रमण के चलते अभी तक एक भी एक्सपोर्टर्स पंजीकरण के लिए सहारनपुर नहीं पहुंच पाया है, जिससे आम बागबानों की चिंता बढ़ने लगी है, क्योंकि तेज हवाओं और मौसम की मार से आम बागबानों को पहले ही बड़ा नुकसान हो चुका है.
कोरोना काल में शुरू होगा मैंगो पैक हाउस सहारनपुर में की जाती है बागबानी फसलें
आपको बता दें कि जनपद सहारनपुर को काष्ठ नगरी के साथ फल पट्टी के नाम से भी जाना जाता है. सहारनपुर की 40 फीसदी से ज्यादा भूमि में बागबानी फसलें की जाती हैं, जहां सबसे ज्यादा आम के बाग लगाये हुए हैं. जिले में 200 से ज्यादा प्रजातियों के आम की फसल की जा रही है. यहां का आम देश के विभिन्न राज्यों में ही नहीं विदेशों में भी अपनी मिठास का लोहा मनवा चुका है, लेकिन इस बार कोरोना के चलते फलों का राजा आम शायद ही भारत से बाहर जा पायेगा, जबकि जिला प्रशासन ने न सिर्फ मैंगो पैक हाउस चलाने की अनुमति दे दी है, बल्कि विदेशों में आम एक्सपोर्टर्स से भी आवेदन मांगे गए हैं.
विदेशों में जाता है सहारनपुर का आम
केंद्र सरकार के नियमानुसार अच्छी गुणवत्ता वाले आम को विदेशों में सप्लाई करने के लिए मैंगो पैक हाउस में प्रोसेस किया जाता है. मैंगो पैक हाउस में आम की धुलाई, ग्रेडिंग करने के बाद वेपर हीट ट्रीटमेंट किया जाता है. ऐसा करने से आम एवं अन्य फलों में कीटाणु को खत्म हो जाता है. सहारनपुर से दहशरी, चौसा, लंगड़ा, रामकेला आदि कई किस्मों के आम ऑस्ट्रेलिया, इंग्लैंड, अमेरिका, नेपाल, जर्मनी, कोरिया, इटली समेत 50 से ज्यादा देशों में एक्सपोर्ट होता है.
सहारनपुर के इस मैंगो पैक हाउस में प्रतिदिन 15 से 20 टन आम प्रोसेस करने की क्षमता है, लेकिन इस बार आम के निर्यात पर कोरोना ग्रहण लगता नजर आ रहा है. मुख्य विकास अधिकारी प्रणय सिंह ने ईटीवी भारत से बातचीत में बताया कि मैंगो पैक हाउस को आम के प्रोसेस के लिए तैयार कर लिया गया है. देश-विदेश के एक्सपोर्टर्स से आवेदन मंगवाए गए हैं, लेकिन कोरोना वायरस की वजह से कोई एक्सपोर्टर्स अभी तक पंजीकरण के लिए नहीं पहुंचा है.
कोरोना काल में आम के बागों में दवाइओं का छिड़काव नहीं होने से पहले ही खासा नुकसान हो चुका है, जिससे बागवानों की चिंता बढ़नी लाजमी है, लेकिन ऐसे में सवाल यह भी है कि जब पूरी दुनिया में कोरोना वायरस की वजह से लॉकडाउन चल रहा है और सभी तरह की आवाजाही भी बंद है तो ऐसे में आम का निर्यात कर पाना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन भी लग रहा है.