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पेट की आग से सीमाएं तोड़ने को मजबूर हैं मजदूर, साइकिल से निकल पड़े घर

गैर प्रांतों में फंसे मजदूरों को पेट की आग ने सीमाओं को तोड़ने पर मजबूर कर दिया है. ऐसा ही एक नजारा सहारनपुर जिले में देखने को मिला, जहां मजदूर साइकिल से ही बिहार के लिए हरियाणा से निकल पड़े हैं. मजदूरों की माने तो उन्हें किसी भी प्रकार की हरियाणा सरकार, प्रशासन व फैक्ट्री मालिक से कोई सहायता नहीं मिली.

laborers left from haryana to bihar by bicycle
हरियाणा से बिहार के लिए साइकिल से ही निकल पड़े मजदूर.

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Published : May 11, 2020, 5:23 PM IST

Updated : Sep 17, 2020, 4:22 PM IST

सहारनपुर: लॉकडाउन का पार्ट 3 चल रहा है. लोग लॉकडाउन का पालन करते हुए अपने घरों में कैद हैं. वहीं इस लॉकडाउन में मजदूरों को खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. हालांकि राज्य सरकारें भले ही मजदूरों को उनके घर पहुंचाने के बड़े-बड़े दावे कर रही हों, लेकिन पैदल और साइकिलों पर निकले मजदूर सरकार के प्रयासों को नाकाफी बता रहे हैं.

साइिकल और पैदल घर जाने के लिए मजबूर हुए मजदूर.

ऐसा ही एक नजारा सहारनपुर जनपद में देखने को मिला, जहां पर 30 से अधिक मजदूर अपनी साइकिलों से चले जा रहे थे. इन मजदूरों के सामने परेशानी इतनी बढ़ी कि ये साइकिलों से ही हरियाणा से बिहार की ओर निकल पड़े. यह सभी मजदूर हरियाणा राज्य के यमुनानगर जनपद में प्लाई फैक्ट्री में काम करते हैं, लेकिन लॉकडाउन के चलते इनके सामने आर्थिक संकट आ खड़ा हुआ.

मजदूरों का कहना है कि लॉकडाउन की वजह से सब कामकाज ठप हो गए हैं. उनके सामने रोजी-रोटी का संकट पैदा हो गया है, जो कुछ पूंजी उनके पास थी, वह भी सब खत्म हो गई है. उन्होंने बताया कि वह कई दिनों से अपने घर जाने के लिए परेशान थे. इस संबंध में उन्होंने लोगों के बताए जाने के बाद यमुनानगर के जिलाधिकारी और एसएसपी का कई बार दरवाजा भी खटखटाया, लेकिन उसके बावजूद भी उन्हें निराशा ही हाथ लगी.

मजदूरों का कहना है कि फैक्ट्री मालिक ने भी उन्हें पैसे देने से मना कर दिया. किसी भी तरह की कोई मदद नहीं की गई. जिस वजह से उनके सामने आर्थिक संकट खड़ा हो गया और सभी मजदूर इकट्ठा होकर साइकिल से बिहार राज्य के छपरा जिले की ओर निकल पड़े.

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मजदूरों का कहना है कि छपरा जिला सहारनपुर से लगभग 1000 किलोमीटर पड़ता है. वह 5 से 6 दिनों में इस सफर को तय कर लेंगे और अपने घर पहुंचेंगे. भले ही उन्हें बिहार में जाकर 14 दिनों का क्वारंटाइन भी क्यों न करना पड़े, लेकिन अपनों के पास तो पहुंचेंगे.

Last Updated : Sep 17, 2020, 4:22 PM IST

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