सहारनपुर: एक ओर जहां उत्तर प्रदेश की योगी सरकार प्रदेशवासियों को रोजगार देने के दावे कर रही है. वहीं कस्तूरबा गांधी आवासीय विद्यालयों की शिक्षिकाएं न सिर्फ सरकार के दावों की पोल खोल रही हैं, बल्कि संविदा खत्म करने के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. बड़ी संख्या में कस्तूरबा गांधी विद्यालय की शिक्षिकाओं ने विषय विशेष के आधार पर हो रहे समायोजन को गलत बताते हुए सहारनपुर विकास भवन में प्रदर्शन किया. शिक्षिकाओं ने मुख्य विकास अधिकारी को ज्ञापन देकर जहां संविदा खत्म की प्रक्रिया को स्थगित करने की मांग की है. वहीं मामले को न्यायालय के विचाराधीन होना बताया है. प्रदर्शन कर रही अध्यापिकाओं का कहना है कि 28 सितंबर को संविदा मामले की सुनवाई होनी है, तब तक शासन स्तर से हो रही प्रक्रिया पर रोक लगाई जाए. उन्होंने बताया कि इस प्रक्रिया से प्रदेश की 3000 से ज्यादा शिक्षिकाओं की नौकरी खतरे में है.
कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय अध्यापक संघ महामंत्री आशा रंजन ने बताया कि यहां मुख्य विकास अधिकारी के पास समस्या लेकर आए हैं. 14 जुलाई 2020 को प्रयोजन निदेशक की ओर से एक पत्र जारी किया गया है. पत्र में कहा गया कि संविदा कर्मियों में कुछ अध्यापक मुख्य विषय पर हैं कुछ गौण विषय पर हैं, जबकि इससे पहले किसी प्रकार के विषय डिसाइड नहीं थे. यह जो नई शिक्षा नीति आई है उसमें भी ऐसा कोई नियम नहीं है, जिसमें मुख्य एवं गौण विषय का जिक्र किया गया हो.
उन्होंने कहा कि जो मुख्य विषय के पुरुष अध्यापक हैं और पार्ट टाइम पढ़ाते हैं, इन सबकी सविंदा समाप्त की जा रही है. जो पुर्णकालिक गौण विषय की अध्यापिकाएं हैं, जिन्हें 22000 रुपये मानदेय दिया जा रहा था. उनको इस शर्त पर संविदा देने की बात कही गई है कि उन्हें 9800 रुपये का मानदेय मिलेगा. इसके बाद एक पत्र जारी कर कहा गया कि UPS में कस्तूरबा गांधी आवासीय विद्यालयों में पंजीकृत छात्राएं हैं, जिन्हें लॉकडाउन लगने के बाद ये शिक्षिकाएं ऑनलाइन, फोन पर सम्पर्क करके अपने स्कूल में एनरॉलमेंट करवाया है. उनका एनरॉलमेंट UPS में किया जाए.