सहारनपुर: इस्लाम ने महिलाओं को रोजों में भी सहूलियत दी है. बच्चे को दूध पिलाने वाली महिला को रोजा छोड़ने की इजाजत और पीरियड के दौरान भी औरत के लिए रोजे रखना दुरुस्त नहीं है. मजहब-ए-इस्लाम में माह रमजान की खास अहमियत है, लेकिन इस्लाम ने रोजे में भी मर्द के मुकाबले औरत को काफी सहूलियत दी है.
सहारनपुर : इस्लाम में महिलाएं इस दौरान छोड़ सकती हैं रोजा - रोजा में महिलाएं क्या करें
इस्लाम ने महिलाओं को रोजों को लेकर सहूलियत दी है. महिलाओं को बच्चे को दूध पिलाने के दौरान रोजा छोड़ने की इजाजत दी गई है. इस संबंध में दारुल उलूम वक्फ के मुफ्ती शाकिर कासमी ने ईटीवी भारत से बातचीत की.
ईटीवी भारत से बातचीत करते मुफ्ती शाकिर कासमी.
सेहत पर पड़ रहा प्रभाव तो छोड़ा जा सकता है रोजा
- दारुल उलूम वक्फ के मुफ्ती शाकिर कासमी ने ख्वातीन के रोजों के संबंध में कुछ खुसूसी मसलों पर प्रकाश डाला.
- इस्लामी पुस्तक फतावा शामी का हवाला देते हुए मौलाना ने बताया कि अगर कोई औरत बच्चे को दूध पिला रही हो तो उसके लिए रोजा छोड़ने की इजाजत है.
- मौलाना ने कहा कि ऐसी औरत को यह देख लेना चाहिए कि उसके रोजा रखने से उसका स्वास्थ्य प्रभावित होगा या नहीं या फिर उसके रोजे रखने से उसके बच्चे के दूध में कमी आएगी या नहीं.
- उन्होंने कहा कि अगर तजुर्बे से या डॉक्टर के मशवरे से यह बात सामने आए कि दूध पिलाने की हालत में दोनों को या किसी एक को नुकसान है तो रोजा छोड़ा जा सकता है.
रोजा छूटने पर रखना होगा बाद में रोजा
- मौलाना ने बताया कि इस छोड़े गए रोजे का बाद में कजा (बाद में रोजा रखना) होगा. इसके अलावा हैज (मासिकधर्म/पीरियड) के दौरान भी रोजा रखना और नमाज पढ़ना दुरुस्त नहीं है.
- ऐसी सूरत में नमाज पूरी तरह माफ है, लेकिन पीरियड के दौरान छोड़े गए रोजों की कजा (बाद में रोजा रखना) करनी होगी.
- अगर रोजा रखने के बाद दिन में किसी वक्त पीरियड शुरू हो गए तो रोजा टूट जाएगा, ऐसी औरत बाद में कजा करेगी.
- इस्लामी पुस्तक फतावा आलमगीरी का हवाला देते हुए मौलाना ने बताया कि अगर हामला (प्रसूता) महिला को यह डर हो कि रोजा रखने से उसकी सेहत को नुकसान पहुंचेगा या पेट में पल रहे बच्चे को नुकसान होगा, तो ऐसे में रोजा न रखना जायज है.
Last Updated : Sep 17, 2020, 4:21 PM IST