उत्तर प्रदेश

uttar pradesh

ETV Bharat / state

जानिए.. होलिका दहन के लिए क्या है शुभ मुहूर्त और क्यों मनाई जाती है होली

होली का त्यौहार धूमधाम से मनाया जा रहा है. हर गांव-शहर में महिलाएं, पुरुष और बच्चे सब होली के रंग में रंगे दिख रहे हैं. आज होलिका दहन है इसके लिए ज्योतिषाचार्य रोहित वशिष्ठ ने शुभ मुहूर्त और होली की कथा के बारे में बताया है.

etv bharat
ज्योतिषाचार्य रोहित वशिष्ठ

By

Published : Mar 9, 2020, 6:35 PM IST

Updated : Sep 17, 2020, 4:21 PM IST

सहारनपुरः होली पर्व क्यों मनाया जाता है और इसके पीछे क्या पौराणिक मान्यताएं है? यह जानने के लिए ईटीवी भारत ने आचार्य पंडित रोहित वशिष्ठ से बात की. आचार्य रोहित ने जहां होली पर्व मनाने को लेकर विस्तृत जनाकारी दी वहीं होलिका दहन के लिए शाम 6: 23 बजे से 7: 55 बजे तक शुभमुहूर्त्त बताया है.

उन्होंने बताया कि ज्योतिष ग्रंथो के मुताबिक होलिका दहन भद्रा रहित समय में रक्षा मंत्रों के उच्चारण के साथ करना चाहिए. शुभमुहूर्त पर होलिका दहन करने से न सिर्फ राष्ट्र में शांति बनी रहेगी बल्कि उपद्रव भी शान्त होंगे.

शिव ने किया था कामदेव को भस्म
ज्योतिषाचार्य ने बताया कि होली पर्व हिन्दू धर्मों के त्यौहारों में मुख्य त्यौहार है. धर्म शास्त्रों के अनुसार होली के त्यौहार को मनाने की तीन मुख्य कथाएं प्रचलित हैं. जिनमें से एक कथा भगवान शिव से संबंधित है. बताया जाता है कि भगवान शिव शंकर तपस्या कर रहे थे इसी बीच कामदेव भोलेनाथ की तपस्या भंग करने पहुंच गए. कामदेव ने भगवान की तपस्या भंग कर दी, जिसके बाद क्रोधित होकर शिव ने अपनी तीसरी आंख खोलकर कामदेव को भस्म कर दिया था. कालान्तर में कामदेव को भस्म करने की इस कथा का संबंध होलिका से जुड़ी हुई है.

होलिका दहन का शुभ मुहूर्त.

होलिका और प्रह्लाद से जुड़ी कथा
दसूरी कथा भगवान विष्णु के अनन्य भक्त भक्तराज प्रह्लाद और उनकी बुआ होलिका की है. इस कथा में हिरण्यकश्यप नाम के राक्षस भगवान विष्णु से ईर्ष्या करता था जबकि उसका बेटा प्रह्लाद विष्णु जी का परम भक्त था. जिसके चलते हिरण्यकश्यप अपने बेटे प्रह्लाद से भी ईर्ष्या करने लगा और अपनी बहन होलिका के साथ मिलकर उसे जलाकर मारने का षड्यंत्र रचा, क्योंकि होलिका को ब्रह्मा का वरदान मिला हुआ था कि उसे किसी भी तरह की अग्नि जला नहीं सकती. इसी अहंकार में होलिका भक्तराज प्रह्लाद को गोद में लेकर जलते लकड़ियों के ढेर में बैठ गई. भगवान विष्णु की की अनुकम्पा से भक्त प्रह्लाद का बाल भी बांका नहीं हुआ लेकिन होलिका अपने कर्मों के कारण आग में जल कर भस्म हो गई. जिसके बाद यह त्यौहार होली के नाम से मनाया जाने लगा.

वशिष्ठ के अनुसार राक्षसी को किया गया था भस्म
आचार्य रोहित के मुताबिक तीसरी कथा भविष्य पुराण से आती है. भगवान राम के पूर्वज रघु थे जिनके नाम से श्री राम रघुवंशी कहलाते हैं. राजा रघु के शासनकाल में माली नाम के राक्षस की पुत्री ढोंढा थी, जो राज्य के बच्चों को खा जाती थी. जिससे चिंतित होकर महाराजा रघु ने राजगुरु वशिष्ठ के बताए अनुसार बीच चौराहे पर लकड़ी और उपलों का ढेर बनाकर राक्षसी को जलाने का काम किया था. जिससे राज्य के सभी बच्चे सुरक्षित बच गए. यही वजह है कि होलिका का पूजन महिलाओं और बच्चों को करना चाहिए.

यह भी पढ़ेंः-बनारस में होरियारों ने गाया 'कोरोना गीत'- बच के रहिया होली में...

इस तरह करें होलिका का पूजन
रोली, गुलाब, पुष्प, धूप, दीपक, फल, मिठाई से होली का पूजन किया जाता है. होली पूजन के लिए विशेष मंत्र " श्री होलिकायैः नमः" का उच्चारण कर होली की परिक्रमा करनी चाहिए. शास्त्रों में कहा गया है कि होलिका का दहन भद्राकाल से रहित समय में होना चाहिए. आज होलिका दहन के लिए भद्रा दोपहर 1:55 पर समाप्त हो गया है. अतः सायंकाल में 6: 23 बजे से लेकर 7:55 बजे तक होलिका दहन का शुभमुहूर्त रहेगा. इस समय होलिका दहन करने से राष्ट्र में सुख-शांति की प्राप्ति और उपद्रव शांत होंगे.

Last Updated : Sep 17, 2020, 4:21 PM IST

ABOUT THE AUTHOR

...view details