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...जानें दुनिया के पहले पश्चिम मुखी मंदिर का महाभारत काल से क्या है संबंध

उत्तर प्रदेश के सहारनपुर जिले के बरसी गांव का पश्चिम मुखी मंदिर दुनिया का पहला ऐसा मंदिर है, जिसका द्वार पूर्व में न होकर पश्चिम में है. लोगों का मानना है कि यह मंदिर महाभारत काल में कौरवों ने बनाया था.

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Published : Jul 30, 2019, 8:01 PM IST

Updated : Sep 17, 2020, 4:21 PM IST

हजारों सख्या में श्रद्धालु करते हैं शिव के दर्शन.

सहारनपुर:यूं तो दुनिया में बहुत सारे मंदिर हैं, लेकिन जिले के बरसी गांव का यह शिव मंदिर दुनिया का एक मात्र ऐसा मंदिर है, जिसका मुख्य द्वार पश्चिम दिशा में खुलता है. इस मंदिर की कई मान्याताएं हैं, जिनके प्रति लोगों में काफी आस्था है.

हजारों सख्या में श्रद्धालु करते हैं शिव के दर्शन.

कौरवोंने बनवाया था यह मंदिर
कहा जाता है कि यह मंदिर महाभारत काल में कौरवों ने बनाया था. जब गदाधारी भीम को पता चला कि यह मंदिर कौरवों ने बनवाया है, तो उन्होंने अपनी गदा के बल से मंदिर के मुख्य द्वार को पूर्व से पश्चिम दिशा में कर दिया. कहा ये भी जाता है कि यह एक मात्र ऐसा मंदिर है, जिसका मुख्य द्वार पश्चिम दिशा में है. मान्यता है कि इस शिव मंदिर में दूर-दराज से श्रदालु सावन में भोले बाबा का जलाभिषेक करने आते हैं, जहां भगवान अपने भक्तों की मनोकामनाएं पूरी करते हैं.

दर्शन को आते हैं हजारों श्रद्धालु
हरियाणा और उत्तराखंड समेत आसपास के जनपदों से हजारों श्रद्धालु भोलेनाथ के दर्शन करने आते हैं. भोले के भक्त शिवलिंग का जलाभिषेक कर भांग-धतूरा तो चढ़ाते ही हैं. साथ ही कद्दू-भेली को भी प्रसाद के रूप चढ़ाया जाता है. इस मंदिर में आकर भक्तों को असीम शांति मिलती है.

जानें क्या है मंदिर का इतिहास
कहा जाता है कि यह शिव मंदिर महभारत काल में दुर्योधन ने बनवाया था. युद्ध के लिए कुरुक्षेत्र जाते समय पांच पांडव यहां आकर रुके थे, लेकिन जब पांडवों को यह पता चला कि इस मंदिर का निर्माण कौरवों ने कराया है तो भीम ने शिव मंदिर के द्वार में गदा फंसाकर मंदिर का मुंह पूर्व से पश्चिम दिशा में कर दिया था. तभी से इस मंदिर का मुख पश्चिम की ओर है. लड़ाई के लिए कुरुक्षेत्र जाते समय भगवान श्री कृष्ण भी यहां रुके थे. उस वक्त यहां का नजारा कृष्ण नगरी बृज जैसा था, जिसके बाद इस जगह का नाम बरसी पड़ गया. इतना ही नहीं एक खुदाई में मिले ईंट और पत्थर भी महाभारत काल की गवाही देते हैं.

आकर्षण का केंद्र है यह मंदिर
जानकारों के मुताबिक यह पत्थर इस तरह का बने हुए हैं, जैसे महाभारत के रथों के पहियों में लगे लॉक होते थे. अब इस मंदिर को भव्य रूप दिया गया है. यह शिव मंदिर वर्तमान में सिद्धपीठ मंदिरों में गिना जाता है, जिसके चलते यहां न सिर्फ सोमवार को शिव भक्त भोलेनाथ का जलाभिषेक करते हैं, बल्कि हर शिवरात्रि पर एक भव्य मेले का भी आयोजन किया जाता है. मेले में न सिर्फ पश्चमी उत्तर प्रदेश के श्रद्धालु शिवलिंग का जलाभिषेक करने आते हैं, बल्कि देश के कई राज्यों से भी शिव भक्त आकर मन्नतें मांगते हैं. सहारनपुर के बरसी गांव में स्थित यह महाभारत कालीन शिव मंदिर पश्चिम में द्वार होने के चलते आकर्षण का केंद्र बना हुआ है.

Last Updated : Sep 17, 2020, 4:21 PM IST

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