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कहीं हमेशा के लिए खो न जाएं देवबंद के पेंदी प्रजाति के बेर - विलुप्त होती देवबंदी बेर

उत्तर प्रदेश के देवबंद में पाए जाने वाले मशहूर पेंदी प्रजाति के बेर लुप्त होने की कगार पर हैं. जनपद में धीरे-धीरे बेर के बाग कम होते जा रहे हैं. लोगों का कहना है कि सरकार इस ओर कोई ध्यान नहीं दे रही है.

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विलुप्त होने की कगार पर देवबंद के मशहूर रसीले बेर

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Published : Feb 26, 2020, 1:04 PM IST

Updated : Sep 17, 2020, 4:21 PM IST

सहारनपुर: जनपद केदेवबंद में पाया जाने पाला पेंदी प्रजाति का बेर देश भर में अपने स्वाद के लिए जाना जाता है. इस बेर की खासियत यह है कि जब यह पकने लगता है तो यह बीच से फट जाता है और इसके अंदर और बेरों के मुकाबले ज्यादा रस होता है, जिस कारण इस बेर को लोग सबसे ज्यादा पसंद करते हैं. यह बेर केवल देवबंद में पाया जाता है. पहले नगर में चारों ओर बेर के कई बाग हुआ करते थे, लेकिन अब पूरे नगर में दो-तीन बाग ही रह गए हैं. सरकार की अनदेखी के चलते देवबंद का मशहूर बेर विलुप्त होने की कगार पर खड़ा है.

देवबंद के पेंदी प्रजाति के बेर
अधिक मीठा होने के कारण यह बेर पकते समय बीच से फट जाता है और यह फटा हुआ बेर देवबंदी बेर के नाम से जाना जाता है. देवबंद क्षेत्र में तकरीबन 20 वर्ष पूर्व नगर में मोहल्ला लहसवाडा, दगड़ा और ईदगाह, सराय पीरजादगान के चारों ओर पेंदी प्रजाति के बेरों के बाग देखने को मिलते थे. नगर में बढ़ रही आबादी के चलते नगरीकरण के कारण बेर के बाग काट दिए गए. देवबन्द में ईदगाह रोड पर मात्र 2 से 3 बाग ही बचे हैं.

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सरकार बेर के किसानों को किसी प्रकार की प्रोत्साहन राशि या कोई मदद नहीं कर रही है, जिसके चलते हमारे सामने रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया है.
रिजवान, बेर किसान

वह बेर ढूंढते ढूंढते यहां पर आए हैं, क्योंकि इस बेर की रिश्तेदारी में भी बहुत मांग होती है, जिस कारण उन्हें यह बेर लेने यहां आना पड़ा. पहले तो हर तरफ बेर मिल जाते थे. मगर अब केवल ईदगाह रोड पर ही कुछ बाग बचे हैं, जिससे वह बेर लेने आए हैं.
चांद मियां,ग्राहक

Last Updated : Sep 17, 2020, 4:21 PM IST

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