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भगत सिंह के भतीजे का सरकार पर आरोप, कहा- नहीं मिला शहीद का दर्जा

भारत सरकार लगातार शहीदों के परिजनों की अनदेखी करती जा रही है. जिससे स्वत्रंत्रता सेनानियों के परिजनों में खासा आक्रोश बना हुआ है. यही वजह है कि उत्तर प्रदेश के सहारनपुर के रहने वाले शहीद भगत सिंह के भतीजे किरनजीत सिंह ने ईटीवी भारत से बातचीत में बताया कि सरकार ने अभी तक भगत सिंह को शहीद का दर्जा नहीं दिया है.

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Published : Aug 18, 2019, 12:08 PM IST

Updated : Sep 17, 2020, 4:21 PM IST

भगत सिंह के भतीजे ने ईटीवी भारत से की बात.

सहारनपुर: एक ओर जहां स्वतंत्रता दिवस पूरे देश में जश्न के साथ मनाया गया. वहीं दूसरी ओर स्वतंत्रता सेनानियों के परिजन सरकार पर न सिर्फ अनदेखी का आरोप लगा रहे हैं, बल्कि शहीदों के सपनों का भारत भी ढूंढ रहे हैं. जिले में रह रहे शहीद-ए-आजम भगत सिंह का परिवार सरकार से पूछ रहा है कि कहां है शहीद भगत सिंह के सपनों का भारत, कहां है देशवासियों की आर्थिक आजादी. ईटीवी भारत से बातचीत में शहीद भगत सिंह के भतीजे सरदार किरनजीत सिंह ने बताया कि सरकार स्वतंत्रता सेनानियों के परिजनों को सुविधाएं देना तो दूर शहीद भगत को शहीद का दर्जा तक नहीं दे पाई है. सरकार आज तक स्वतंत्रता सेनानियों की सूची तक नहीं बना पाई है. जिसके चलते उन्हें और अन्य स्वतंत्रता सेनानियों के परिजनों को भारत सरकार से शिकायत रहेगी.

भगत सिंह के भतीजे ने ईटीवी भारत से की बात.

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शहीद भगत सिंह के भतीजे ने सरकार पर स्वतंत्रता सेनानियों के परिवारों की अनदेखी का लगाया आरोप
जिस आजादी को आज पूरा देश धूमधाम से मना रहा है. उसके लिए न जाने कितनी मांओं गोद सुनी हो गई, कितनी बहनों के भाई शहीद हुए और कितनी शुहागिनों की मांग का सिंदूर मिटते देखा है. बावजूद इसके शहीदों के परिजन भारत सरकार की अनदेखी का शिकार हो रहे है. जबकि सरकार शहीदों एवं स्वतंत्रता सेनानियों के परिजनों को विभिन्न योजनाओं का लाभ देने के दावे कर रही है. शहीद ए आजम भगत के भतीजे ने ईटीवी पर एक्ससीलुसिव इंटरव्यू में न सिर्फ चोकाने वाला खुलासा किया है, बल्कि सरकार पर स्वतंत्रता सेनानियों के परिवारों की अनदेखी का आरोप लगाया है. जिस परिवार ने अपनी तीन पीढ़ियों को आजादी के लिए कुर्बान कर दिया. आज वहीं परिवार पूछ रहा है कि '' कहां है शहीदे आज़म भगत सिंह के सपनो का भारत वो भारत जिसकी आज़ादी के लिए भगत सिंह जैसे अनेको भारत मां के सपूतो ने अपने प्राणों की आहुति चढ़ा दी".

शहीद भगत सिंह का सहारनपुर से विशेष नाता
शहीद आजम भगत सिंह का जनपद सहारनपुर से विशेष नाता रहा है. यही वजह है कि उनके छोटे भाई सरदार कुलतार सिंह सहारनपुर आकर बस गए थे. बताया जाता है कि सरकार भगत सिंह फरारी के समय सहारनपुर आकर रहे थे. उनकी पार्टी हिंदुस्तान सोशलिस्ट पब्लिक एंड एसोशिएशन की एक बम फैक्ट्री यहीं सहारनपुर के एक मोहल्ले में स्थापित थी, जहां सभी क्रांतिकारियों का मिलने का स्थल भी था. भगत सिंह के छोटे भाई कुलतार सिंह के बेटे यानी भगत सिंह के भतीजे सरदार कुलतार सिंह ने ईटीवी भारत को दिए इंटरव्यू में बताया कि हमारा देश अंग्रेजो से तो आजाद हो गया, लेकिन देश के अंदर बैठे नेताओं, भ्रष्टाचार, गरीबी और आर्थिक रूप से आजादी नहीं मिली है, जिसके चलते आर्थिक आजादी आज भी देश के 40 फीसदी लोगों से कोसों दूर है.

7.5 लाख से अधिक नवयुवकों ने देश की स्वतंत्रता के लिए दिया था बलिदान
सरदार किरनजीत सिंह ने शहीद भगत सिंह के बारे में बताया कि भगत सिंह जी उस लंबी परंपरा का एक हिस्सा थे. जिन्होंने देश की आजादी के लिए संघर्ष किया. उनके दादाजी से यह परंपरा चली, उनके दोनों चाचा स्वतंत्रता आंदोलन में रहे. सरदार स्वर्ण सिंह के छोटे चाचा 1910 में शहीद हो गए और दूसरे बड़े चाचा सरदार अजीत सिंह 40 साल के निर्वासन के लिए बाहर विदेशों में संघर्ष करते रहे. इतना ही नही ब्रिटिश सरकार ने उनके पिताजी पर 42 मुकदमे चलाए. सरदार भगत सिंह उस परंपरा का एक हिस्सा थे 1857 के स्वतंत्रता आंदोलन से लेकर 1947 तक 7.5 लाख से अधिक नव युवकों ने देश की स्वतंत्रता के लिए बलिदान दिए.

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शहीदों के बारे में आज के बच्चों को कुछ नहीं पढ़ाया जाता
उन्होंने बताया कि 1972 में स्वाधीनता सेनानियों को याद किया गया. उससे पहले और उसके बाद उन्हें भुला दिया गया. आज हम पाठ्यक्रमों में देखते हैं कि शहीदों के बारे में बच्चे नहीं जानते. उनके बारे उन्हें कुछ नहीं पढ़ाया जाता और इसके अलावा इस इतिहास को नई पीढ़ी से छुपाकर रखा गया है. जिन मुट्ठी भर स्वतंत्रता सेनानियों को याद किया जाता है, उनमें शहीद भगत सिंह और उनके साथी हैं. बहुत से लाखों गुमनाम स्वतंत्रता सेनानी और शहीद हुए उनके बारे में देश जानता भी नहीं. राष्ट्रीय पर्व स्वतंत्रता दिवस, गणतंत्र दिवस आदि के अवसर पर कुछ लोगों को बुलाकर महज खानापूर्ति की जाती है. जबकि इस मौके पर सभी स्वतंत्रता सेनानियों के परिवारों को बुलाकर सम्मान दिया जाना चाहिए.

सरकार ने शहीद भगत सिंह को नहीं दिया शहीद का दर्जा
एक सवाल पर उन्होंने बताया कि आज तक सरकार ने शहीद भगत सिंह को शहीद का दर्जा भी नहीं दे पाई है, जो बेहद अफसोस की बात है. भारत सरकार के पास स्वतंत्रता संग्राम में शहीद हुए सेनानियों की कोई सूची नहीं है. आरटीआई के माध्यम पूछा कि शहीद-ए-आजम भगत सिंह को शहीद और उनके साथी शहीदों की श्रेणी में आते हैं. तो सरकार का जवाब आया कि हमारे पास शहीदों का कोई रिकॉर्ड नहीं है. उन्होंने सरकार से सवाल किया कि अगर शहीदों की सूची सरकार के पास अब तक नहीं है तो अब स्वतंत्रता सेनानियों की सूची बनाने में देरी क्यों की जा रही है. यह सेनानियों के सम्मान की बात है, जिससे उन्हें संवैधानिक दर्जा दिया जा सके.

किरनजीत सिंह ने बताया कि अभी देश को और तरक्की की जरूरत है, जिसके लिये व्यवस्था में काफी परिवर्तन होना चाहिये. कश्मीर में अनुच्छेद 370 को हटाने के सवाल पर उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी को बधाई दी.

Last Updated : Sep 17, 2020, 4:21 PM IST

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