सहारनपुर: एक ओर जहां स्वतंत्रता दिवस पूरे देश में जश्न के साथ मनाया गया. वहीं दूसरी ओर स्वतंत्रता सेनानियों के परिजन सरकार पर न सिर्फ अनदेखी का आरोप लगा रहे हैं, बल्कि शहीदों के सपनों का भारत भी ढूंढ रहे हैं. जिले में रह रहे शहीद-ए-आजम भगत सिंह का परिवार सरकार से पूछ रहा है कि कहां है शहीद भगत सिंह के सपनों का भारत, कहां है देशवासियों की आर्थिक आजादी. ईटीवी भारत से बातचीत में शहीद भगत सिंह के भतीजे सरदार किरनजीत सिंह ने बताया कि सरकार स्वतंत्रता सेनानियों के परिजनों को सुविधाएं देना तो दूर शहीद भगत को शहीद का दर्जा तक नहीं दे पाई है. सरकार आज तक स्वतंत्रता सेनानियों की सूची तक नहीं बना पाई है. जिसके चलते उन्हें और अन्य स्वतंत्रता सेनानियों के परिजनों को भारत सरकार से शिकायत रहेगी.
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शहीद भगत सिंह के भतीजे ने सरकार पर स्वतंत्रता सेनानियों के परिवारों की अनदेखी का लगाया आरोप
जिस आजादी को आज पूरा देश धूमधाम से मना रहा है. उसके लिए न जाने कितनी मांओं गोद सुनी हो गई, कितनी बहनों के भाई शहीद हुए और कितनी शुहागिनों की मांग का सिंदूर मिटते देखा है. बावजूद इसके शहीदों के परिजन भारत सरकार की अनदेखी का शिकार हो रहे है. जबकि सरकार शहीदों एवं स्वतंत्रता सेनानियों के परिजनों को विभिन्न योजनाओं का लाभ देने के दावे कर रही है. शहीद ए आजम भगत के भतीजे ने ईटीवी पर एक्ससीलुसिव इंटरव्यू में न सिर्फ चोकाने वाला खुलासा किया है, बल्कि सरकार पर स्वतंत्रता सेनानियों के परिवारों की अनदेखी का आरोप लगाया है. जिस परिवार ने अपनी तीन पीढ़ियों को आजादी के लिए कुर्बान कर दिया. आज वहीं परिवार पूछ रहा है कि '' कहां है शहीदे आज़म भगत सिंह के सपनो का भारत वो भारत जिसकी आज़ादी के लिए भगत सिंह जैसे अनेको भारत मां के सपूतो ने अपने प्राणों की आहुति चढ़ा दी".
शहीद भगत सिंह का सहारनपुर से विशेष नाता
शहीद आजम भगत सिंह का जनपद सहारनपुर से विशेष नाता रहा है. यही वजह है कि उनके छोटे भाई सरदार कुलतार सिंह सहारनपुर आकर बस गए थे. बताया जाता है कि सरकार भगत सिंह फरारी के समय सहारनपुर आकर रहे थे. उनकी पार्टी हिंदुस्तान सोशलिस्ट पब्लिक एंड एसोशिएशन की एक बम फैक्ट्री यहीं सहारनपुर के एक मोहल्ले में स्थापित थी, जहां सभी क्रांतिकारियों का मिलने का स्थल भी था. भगत सिंह के छोटे भाई कुलतार सिंह के बेटे यानी भगत सिंह के भतीजे सरदार कुलतार सिंह ने ईटीवी भारत को दिए इंटरव्यू में बताया कि हमारा देश अंग्रेजो से तो आजाद हो गया, लेकिन देश के अंदर बैठे नेताओं, भ्रष्टाचार, गरीबी और आर्थिक रूप से आजादी नहीं मिली है, जिसके चलते आर्थिक आजादी आज भी देश के 40 फीसदी लोगों से कोसों दूर है.