सहारनपुर: कोरोना वायरस ने पूरी दुनिया मे ऐसा कोहराम मचाया कि भारत समेत दुनिया का हर देश लॉकडाउन का शिकार हो गया. लॉकडाउन में फैक्ट्री, कारखानें, कारोबार सब एक साथ बंद हो गए, जिससे अर्थव्यवस्था भी चरमरा गई. देश में 22 मार्च को जनता कर्फ्यू और 25 मार्च को सम्पूर्ण लॉकडाउन लागू कर दिया गया. हवाई यात्रा से लेकर रेल, बस सेवाएं और बाजार तक बंद कर दिए गए.
लगभग ढाई माह के लंबे लॉकडाउन के बाद अनलॉक-1 में सशर्त बाजार और उद्योग धंधे खोलने की अनुमति दे दी गई. इस समय लेफ्ट राइट रोस्टर के हिसाब से बाजार भी खोले जा रहे हैं. बावजूद इसके बाजारों में ग्राहक नहीं हैं, जिससे अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाना कारोबारियों के लिए मुश्किल साबित हो रहा है. लॉकडाउन में बिगड़ी अर्थव्यवस्था को लेकर ईटीवी भारत व्यापारियों और अधिकारियों के बीच पहुंचा, जहां व्यापारियों ने अपना दर्द साझा किया और लॉकडाउन में हुए नुकसान के बारे में बताया.
ग्राहकों को दो बार बाजारों के लगाने पड़ते हैं चक्कर
ईटीवी भारत से बातचीत में ग्राहकों ने बताया कि कोरोना वायरस की दहशत में घर से निकलने में डर लगता है, लेकिन जरूरी सामान खरीदने के लिए बाजार आना पड़ रहा है. प्रशासन ने लेफ्ट राइट रोस्टर के हिसाब से बाजार खुलवाए हैं, जिससे ग्राहकों को खरीदारी के लिए दो बार बाजारों के चक्कर लगाने पड़ते हैं.
व्यापारियों की जमा धनराशि हुई खर्च
व्यापारी नेता विवेक मनोचा ने बताया कि ढाई महीने के लॉकडाउन में देश की अर्थव्यवस्था पूरी तरह से ध्वस्त हो गई है. व्यापारी ने बताया कि जिस वक्त लॉकडाउन की घोषणा की गई थी उस समय लोग उम्मीद कर रहे थे कि 10 से 15 दिन के अंदर यह लॉकडाउन खुल जाएगा. व्यापारी भी उसी हिसाब में अपनी तैयारियों में था, लेकिन लॉकडाउन ढाई महीने तक चला. जिससे व्यापारियों के पास जो जमा धनराशि थी वह सब खर्च हो चुकी है.