सहारनपुर: बीते दिनों गलवान घाटी में भारत और चीन के सैनिकों में हिंसक झड़प हुई थी. इस झड़प में 20 भारतीय सैनिक शहीद हुए थे. इसके साथ ही चीनी सेना के सैनिक भी मारे गए थे. भारतीय सेना पर चीनी सेना के हमले की यह कोई पहली घटना नहीं है. इससे पहले भी अपनी आदत से मजबूर चीन कई बार धोखा दे चुका है. धोखेबाजी जैसी हरकतें करना उसकी फितरत में है. इसलिए अब जरूरी है कि उसे मुंहतोड़ जवाब दिया जाए. उसके साथ युद्ध किया जाए और उसे बताया जाए कि भारत किसी भी तरह चीन से कम नहीं है. यह कहना है भारतीय सेना के सेवानिवृत्त जवान देवी सिंह का.
एक साल तक रहे थे चीन की कैद में
देवी सिंह 1962 में चीन के खिलाफ लड़ाई में भी शामिल हुए थे. सेवानिवृत देवी सिंह न सिर्फ चीन के खिलाफ जंग लड़ चुके हैं, बल्कि 1965 में कारगिल पुंछ दर्रा और बारामुला में पाकिस्तान की सेना से भी लोहा ले चुके हैं. इतना ही नहीं सेवानिवृत देवी सिंह एक साल तक चीन की कैद में रहकर यातनाएं भी सह चुके हैं. ईटीवी भारत ने उनसे बात कर जानी उनकी कहानी.
चीन और पाकिस्तान से युद्ध में हुए थे शामिल
भारतीय सेना से रिटायर देवी सिंह जिले के थाना नकुड़ इलाके के गांव मोहदीनपुर में रहते हैं. आजादी के बाद देवी सिंह ने भारतीय सेना जॉइन की थी. जिसके बाद उन्होंने न सिर्फ पाकिस्तान के साथ हुई लड़ाई में अपना योगदान दिया, बल्कि 1962 में चीन के साथ हुए युद्ध में भी हिस्सा लिया था. इसके बाद 1975 में बांग्लादेश मुक्ति वाहिनी के साथ भी बांग्लादेश को मुक्त कराने के लिए पाकिस्तान के साथ हुए युद्ध में भी भाग लिया.