सहारनपुर:इस्लामी शिक्षा के बड़े केंद्रदेवबंद में शनिवार को हो रहे इजलास (अधिवेशन) में पूरे देश से करीब 5 हजार मुस्लिम धर्मगुरु जुटे हैं. जमीयत उलेमा-ए-हिंद की ओर से आयोजित इजलास में अलग-अलग संगठनों से जुड़े लोग पहुंचे हैं. इसके अलावा दूसरे राज्यों के कई बड़े मुस्लिम नेता भी इजलास में हिस्सा ले रहे हैं. उलेमाओं ने देश में बढ़ रही धार्मिक नफरत को बेहद खतरनाक बताया. इजलास में उलेमाओं ने कहा कि भरी सभाओं में मुसलमानों और इस्लाम के खिलाफ नफरत और शत्रुता के प्रचार से दुनियाभर में हमारे देश की बदनामी हो रही है. उलेमाओं ने केंद्र सरकार से ऐसी गतिविधियों पर तुरंत रोक लगाने की अपील की.
नवाज देवबंदी बोले- मंदिर-मस्जिद के नाम पर मत लड़ें:जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अधिवेशन में शायर नवाज देवबंदी ने कहा कि देश में धार्मिक उन्माद बढ़ता जा रहा है. उन्होंने अपील करते हुए कहा कि मंदिर-मस्जिद के नाम पर एक-दूसरे से लड़ने की जरूरत नहीं है.
देश की एकता-अखंडता और प्रगति की चिंता:जमीयत उलमा-ए-हिंद के मौलाना नियाज अहमद ने अधिवेशन में कहा कि भरी सभाओं में मुसलमानों और इस्लाम के खिलाफ नफरत और शत्रुता के प्रचार से दुनिया में हमारे देश की बदनामी हो रही है. इसको लेकर जमीयत बेहद चिंतित है. उन्होंने कहा कि इससे हमारे देश के विरोधी तत्वों को अंतरराष्ट्रीय मंचों पर अपने एजेंडे को आगे बढ़ाने का मौका मिल रहा है. ऐसी परिस्थिति में जमीयत उलमा-ए-हिंद देश की एकता, अखंडता और प्रगति के बारे में चिंतित हैं. जमीयत भारत सरकार से आग्रह करती है कि ऐसी गतिविधियों पर तुरंत रोक लगाई जाए जो लोकतंत्र, न्यायप्रियता और नागरिकों के बीच समानता के सिद्धांतों के खिलाफ हैं.
इबादतगाहों के विवाद पर मंथन:जमीयत उलमा-ए-हिंद के मौलाना महमूद असद मदनी इजलास की अध्यक्षता कर रहे हैं. देवबंद की ईदगाह में आयोजित इजलास में देश के मौजूदा हालात, ज्ञानवापी मस्जिद, मथुरा की शाही ईदगाह मस्जिद और दिल्ली की कुतुब मीनार समेत देश में विभिन्न धार्मिक स्थलों को लेकर बढ़ रहे विवाद, कॉमन सिविल कोड, मुस्लिम वक्फ एवं मुस्लिमों की शिक्षा आदि मुद्दों पर चर्चा की गई.