सहारनपुर: बकरा ईद यानि ईद-उल-अजहा 29 जून को मनाने की तैयारियां जोर शोर से चल रही है. इस्लाम से जुड़े लोग कुर्बानी के लिए बकरे और भैंसे खरीद रहे हैं. वहीं, विश्व विख्यात इस्लामिक शिक्षण संस्थान दारुल उलूम देवबंद ने बकरीद मनाने को लेकर तमाम मुसलमानों से अपील की है. दारुल उलूम की ओर से कहा गया है कि ईद-उल-अजहा का त्योहार धूमधाम से मनाएं, लेकिन इस अवसर पर प्रतिबंधित जानवरों की कुर्बानी हरगिज न करें. इसी के साथ खुले में कुर्बानी न करें, साफ सफाई पर विशेष ध्यान दें. बकरीद के दिन सरकार द्वारा जारी गाइडलाइन का पालन करें और त्योहार को खुशियों के साथ मनाएं.
जानिये क्यों दी जाती है ईद पर कुर्बानी:दारुल उलूम देवबंद के मोहतमिम मौलाना अबुल नौमानी कासमी ने बताया कि बकरा ईद को हर मुसलमान धूमधाम से मनाता है. इस दिन कुर्बानी इसलिए दी जाती है क्योंकि पैगंबर हजरत इब्राहिम से अल्लाह तबारक व ताला ने अपनी सबसे प्यारी चीज कुर्बान करने का हुकुम दिया था. जबकि, पैगंबर हजरत इब्राहिम की सबसे प्यारी चीज उनका इकलौता बेटा था. क्योंकि उन्हे यह बेटा 80 साल की उम्र में मिला था. इसीलिए उम्र के आखिरी पड़ाव में मिला बेटा पैगंबर हजरत इब्राहिम के लिए सबसे महबूब और प्यारा था.
पैगंबर हजरत इब्राहिम को अल्लाह-ताला ने दिया था हुकुमः मौलाना अबुल नौमानी कासमी के मुताबिक, पैगंबर साहब को लगातार तीन दिन ख्वाब आया कि वे अपने बेटे को कुर्बान कर रहे हैं. बेटे की कुर्बानी देने वाले सपने को देखने के बाद पैगंबर हजरत इब्राहिम के सामने ऐसी परिस्थिति आ गई कि उनको आगे कुआं और पीछे खाई नजर आने लगी. पैगंबर साहब के सामने एक तरफ कलेजे का टुकड़ा उनका बेटा था दूसरी तरफ अल्लाह ताला का हुकुम था. नवी हजरत इब्राहिम ने अपने ख़्वाब की बात बेटे इस्माइल को बताई. इस पर बेटे इस्माइल ने हजरत इब्राहिम से कहा कि आपको अल्लाह ताला के हुकुम का पालन कीजिए. इसके बाद पैगंबर हजरत इब्राहिम अपने बेटे इस्माइल को कुर्बान करने के लिए जंगल की तरफ ले जाते हैं. जहां पैगंबर हजरत बेटे की कुर्बानी देने के लिए छूरी चलाते हैंतो अल्लाह ताला उनकी बंदगी और अपने आदेश का पालन करता देख खुश हो जाते हैं. इसके बाद अल्लाह ताला ने हजरत इब्राहिम के बेटे की जगह छूरी के नीचे एक बकरे को लगा देते हैं.