रामपुर :कुछ वर्दीधारियों के अमानवीय व्यवहार के कारण उत्तर प्रदेश पुलिस का नाम सुनते ही कुछ धुंधली तस्वीरें अक्सर लोगों के जहन में उभर आती हैं. लेकिन हर वर्दीधारी एक जैसा नहीं होता है, इस बात को जिले के एक सिपाही ने साबित कर दिखाया है. ये जीता जागता उदाहरणरामपुरके जिला अस्पताल में देखने को मिला.
खून देकर सिपाही ने बचाई मासूम की जान दरअसल, एक 3 वर्षीय मासूम बच्चे को बीमारी के चलते खून की जरूरत थी. खून की कमी के चलते मासूम की हालत बहुत खराब हो रही थी. लेकिन इस बीच कुदरत ने करवट बदली और एक वर्दीधारी सिपाही उसकी जान बचाने के लिए मसीहा बनकर उस तक पहुंच गया. सिपाही ने अपना खून देकर मासूम को नयी जिंदगी दी है. इस घटना के बाद से लोग सिपाही की जमकर सराहना कर रहे हैं.
आप को बता दें कि, जनपद रामपुर के थाना टांडा के लालपुर कला गांव निवासी जसवंत के 3 वर्षीय बेटे सूर्यांश की अचानक तबीयत खराब हो गई. परिजनों ने बच्चे को उपचार के लिए मुरादाबाद के कोसमॉस अस्पताल में भर्ती कराया. यहां डॉक्टरों ने परीक्षण के दौरान बताया कि बच्चे के अंदर खून की बहुत ज्यादा कमी है. उसे जल्द से जल्द बी पॉजिटिव ब्लड की जरूरत है. लेकिन मामला देर रात का था इसलिए समस्या अधिक थी. हालांकि मासूम के परिजनों ने उसके ग्रुप का ब्लड तलाशना शुरू कर दिया. काफी कोशिशों के बाद भी वे ब्लड हासिल करने में कामयाब नहीं हो पा रहे थे.
इसके बाद मासूम के मामा जितेन्द्र कुमार ने व्हाट्सएप ग्रुप पर एक मैसेज वायरल किया. जिसमें बी पॉजिटिव ब्लड ग्रुप की आवश्यकता का आग्रह किया गया. यह मैसेज थाना टांडा के प्रभारी निरीक्षक प्रवेज कुमार चौहान के पास भी पहुंच गया. उन्होंने यह मेसेज थाने के ग्रुप पर पोस्ट कर दिया. इस मैसेज के रिप्लाई में 5 सिपाही और एक दारोगा द्वारा ब्लड डोनेट करने की इच्छा जाहिर की गई. ऐसे में कोतवाली प्रभारी प्रवेज कुमार ने नवनीत कुमार नामक सिपाही को थाने बुलाकर तत्काल अपनी गाड़ी से मुरादाबाद भेजा. यहां पहले से इंतजार में बैठे डॉक्टरों ने तत्काल सिपाही का ब्लड निकालकर बच्चे को चढ़ाया. इसके बाद डॉक्टरों ने भी राहत की सांस ली. डॉ. पीड़ित मासूम की सेहत में जल्द सुधार होने की उम्मीद जता रहे हैं.
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स्वार क्षेत्र के अधिकारी धर्म सिंह मार्छाल के मुताबिक सोशल मीडिया पर एक मैसेज वायरल हुआ था, जिसमें तीन साल के बच्चे को ब्लड की आवश्यकता थी. यह मैसेज पढ़कर प्रभारी निरीक्षक टांडा प्रवेज चौहान ने अपने थाने के कर्मचारियों को यह मैसेज डाला. इसके बाद ब्लड डोनेट करने को राजी हुए एक कांस्टेबल को अस्पताल भेजा गया. उसने ब्लड डोनेट किया है, और उस बच्चे की जान भी बच गई. उन्होंने कहा कि यह अति सराहनीय कार्य है.