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...आखिर क्यों नहीं खुल पा रहा है रामपुर का 'स्ट्रॉन्ग रूम', जानिये रहस्य - नवाब के रियासत में मिला स्ट्रॉग रूम

उत्तर प्रदेश के रामपुर में नवाब अली खान की रियासत में एक स्ट्रॉन्ग रूम मिला है. इस रूम को खोल पाना सबके लिए किसी चुनौती से कम नहीं है. अब देखना यह है कि कब इस स्ट्रॉन्ग रूम को खोला जा सकेगा?

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नहीं खुल पाया स्ट्रॉन्ग रूम.

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Published : Feb 20, 2020, 2:40 AM IST

Updated : Feb 20, 2020, 3:03 AM IST

रामपुर:रामपुर रियासत के आखिरी नवाब रजा अली खान की संपत्ति के बंटवारे की प्रक्रिया लगातार जारी है. बता दें कि रियासती दौर के आखिरी नवाब लेट रजा अली खान की संपत्ति का बंटवारा मुस्लिम पर्सनल लॉ, शिया पर्सनल लॉ के हिसाब से सभी वारिसों में किया जाएगा. नवाब की चल और अचल संपत्ति का वैल्यूएशन होना है. उसके बाद पार्टीशन स्कीम तैयार करके उनके 16 वारिसों में बांटना है.

नहीं खुल पाया स्ट्रॉन्ग रूम.

नवाब की चल-अचल संपत्ति में बहुत से एंटीक और बेशकीमती चीजें शामिल हैं, जिसमें मशहूर कंपनियों के ब्रांडेड हथियार जैसे पिस्टल और राइफल हैं. इसके अलावा सोना-चांदी जड़ित तलवारें और चाकू भी पाए गए हैं. इन सभी संपत्तियों के अलावा नवाब के पैलेस में एक स्ट्रांन्ग रूम भी शामिल है, जिसमें बेशकीमती हीरे जवाहरात, सोना-चांदी होने का अनुमान लगाया जा रहा है. फिलहाल इस स्ट्रांन्ग रूम को खोलने के लिए कोर्ट से आदेश मांगा गया है, जिसके बाद से करीब 3 दिन तक इसे खोलने की कोशिश की गई, लेकिन अभी तक स्ट्रांन्ग रूम नहीं खुल पाया है. हालांकि प्रक्रिया निरंतर जारी है.

लंदन की मशहूर कंपनी ने बनाया था यह लॉकर

इस स्ट्रांग रूम के बारे में कहा जाता है कि यह लंदन की एक मशहूर कंपनी चब ने तैयार किया था. इसे आसानी से नहीं खोला जा सकता और कंपनी का दावा है कि बम ब्लास्ट से भी इस लॉकर पर कोई असर नहीं पड़ेगा. स्ट्रांग रूम की दीवार लोहे की बनी हुई है. अब यह देखना बहुत दिलचस्प होगा कि क्या स्ट्रांन्ग रूम खुलने के बाद नवाब खानदान का एक और बेशकीमती खजाना सामने आएगा.

नवाब की संपत्ति को लेकर एडवोकेट कमिश्नर अरुण प्रकाश सक्सेना ने बताई कई बातें

इस संबंध में एडवोकेट कमिश्नर अरुण प्रकाश सक्सेना ने बताया कि रामपुर के आखिरी नवाब रजा अली खान साहब की प्रॉपर्टी को लेकर उनके बेटों में विवाद शुरू हुआ था. 1972 में रामपुर डिस्ट्रिक्ट कोर्ट में केस फाइल किया गया था. यह केस तलहत फातिमा हसन और मोहम्मद अली खान के नाम से सिविल सूट रामपुर में फाइल हुआ है.

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हाईकोर्ट ने केस को डिसमिस कर प्रॉपर्टी बड़े बेटे को देने का दिया था आदेश

1996 में हाईकोर्ट बेंच के सिंगल जज ने आर्डर किया कि इस केस को विड्रा किया जाए और इसे हाईकोर्ट में चलाया जाए. ये केस हाईकोर्ट में चला और हाईकोर्ट ने यह सूट डिसमिस यह कहते हुए कर दिया कि नवाब की प्रॉपर्टी बड़े बेटे को मिलती है. राजवंश का यह कानून है तो बड़े बेटे मुर्तजा अली के फेवर में यह जजमेंट हुआ था.

कई बार की गई थी स्पेशल अपील

इसके बाद हाई कोर्ट डिवीजन बेंच में स्पेशल अपील हुई थी. डिवीजन बेंच ने भी 2002 में यह जजमेंट दिया कि नवाब के बड़े बेटे ही नवाब बनते आए हैं और संपत्ति उन्हीं की होगी. इसके बाद स्पेशल रिट पिटिशन सुप्रीम कोर्ट में फाइल हुई और उन्हें मर्ज करके, क्लब करके उसका ट्रायल हुआ. उसमें फाइनल अपील का जजमेंट 31 जुलाई 2019 को आया और उसमें सुप्रीम कोर्ट ने लॉ को पूरा एलेबोरेट किया. यह कहा गया कि 1950 के बाद कोई भी नवाब नहीं है और आखिरी नवाब लेट रजा अली खान साहब हैं और उनकी प्रॉपर्टी मुस्लिम पर्सनल लॉ शिया पर्सनल लॉ के हिसाब से सभी वारिसों को मिलेगी.

नवाब के वारिसों में शामिल है 18 लोग

नवाब साहब की चल और अचल संपत्तियों को लोकेट कर उनका वैल्यूएशन किया जाना है. उसके बाद पार्टीशन की स्कीम तैयार करके फाइनल डिक्री किया जाएगा, जिसमें नवाब साहब के वारिसों के 18 नाम हैं. वहीं डिक्री बनाने के लिए इन 18 वारिसों में से 16 लोगों ने डिस्ट्रिक्ट जज के पास एप्लीकेशन मूव किया. डिक्री बनाए जाने के लिए पांच अचल संपत्तियां दर्शाई गई हैं.

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कोठी खास बाग में बनाया गया था पैलेस

एक कोठी खास बाग है जो लगभग 400 एकड़ में बना हुआ है. इस कोठी खास बाग पैलेस में नवाब रजा अली खान साहब रहा करते थे. फिर 1930 के आसपास इसमें पैलेस बनाया गया था. इसमें बाग लगाया गया है और इसके अलावा एक नवाब स्टेशन है, जो सिविल लाइन पर स्टेशन के बराबर में बना हुआ है.

जौहर यूनिवर्सिटी के पास है बेनजीर बाग

इसके अलावा एक बेनजीर बाग है जो जौहर यूनिवर्सिटी के पास है. यह भी लगभग 200 एकड़ में बना हुआ है. हालांकि यहां भी कोठी थी जो ज्यादा पुरानी होने के बाद ध्वस्त हो गई. यहां एक फिशरीज पाउंड है.

लक्खी बाग में हैं एक लाख पेड़

इसके अलावा शाहबाद में एक लक्खी बाग है, जिसमें एक लाख पेड़ हैं और लगभग उम्मीद है कि वह 500 एकड़ में बना हुआ है. इसके साथ-साथ मूवेबल प्रॉपर्टी भी काउंट की जा रही है. मूवेबल प्रॉपर्टी के लिए हमारे साथी कमिश्नर मिस्टर सौरव सक्सेना और मिस्टर मुजम्मिल हुसैन साहब उसको काउंट कर रहे हैं. साथ ही उसको वैल्यूड कर रहे हैं और जो उसकी वैल्यू आएगी उस हिसाब से कोर्ट पार्टीशन फाइनल करेगी.

नवाब की हर चीज है बेशकीमती

आगे बताते हुए एडवोकेट कमिश्नर अरुण प्रकाश सक्सेना ने बताया कि नवाब रजा अली खान के पास हर चीज एंटीक, बेशकीमती और कुछ अनोखी हैं. जैसे वहां कि आर्मरी खुली है तो आर्मरी में भी अच्छे हथियार मिले हैं जो खूबसूरत भी हैं और मशहूर कंपनियों के हैं. ये आर्मरी स्कॉटलैंड, लंदन फ्रांस, जर्मन सभी जगह के बने हुए पाए जा रहे हैं और उसके लिए कमेटी बनाई गई है.

फिलहाल डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट ने और हमारे एडवोकेट कमिश्नर मिलकर उसको काउंट कर रहे हैं साथ ही उसे वैल्यूड कर रहे हैं. हालांकि अभी यह फाइनल नहीं हुआ है.

नवाब की रियासत में शामिल हैं बेहद खूबसूरत चीजें

नवाब साहब के यहां पुराने जमाने में शिकार किए हुए शेर, पुरानी तलवारें, पुराने खंजर, फर्नीचर है जो बहुत अच्छी लकड़ी का बना हुआ है. कोठी पैलेस के अंदर मूर्तियां या जो संगमरमर पत्थर लगा है वह बहुत अच्छा है. उनके यहां लाइट की जो चीजें थी वे भी बेहद बेहतरीन हैं. 1930 में उनकी उस बिल्डिंग में लिफ्ट लगी हुई थी और पूरा पैलेस सेंट्रलाइज्ड था. हालांकि वो लिफ्ट आज भी वहां है. उनके पास जो कारें बरामद हुई हैं वो पुरानी तो हो गई हैं, लेकिन वो रोल्स रॉय कैमरीज फेमस कार्स हैं. उनके पास से विलीस जीप हैं.

स्ट्रॉन्ग रूम में हैं कीमती जवाहरात

वहीं एक स्ट्रांन्ग रूम (लॉकर रूम ) है. हालांकि उनकी सभी मूवेबल प्रॉपर्टी का वैल्यूएशन करना है, इसलिए कोठी खास बाग में एक स्ट्रांग रूम है, जहां उनका निजी रखा है. माना जा रहा है कि सामान का कीमती होना संभव है. उसकी चाबीया पार्टीस के पास होना संभव नहीं है, इसलिए कोर्ट से आर्डर कराया गया है किसी भी तरह उसे काटकर या किसी अन्य प्रयास से खोलने का प्रयास किया जाए. वहीं लाख कोशिशों के बाद भी वह खुल नहीं पाया है. उसको खोलने के लिए दो-तीन बार कोशिश की जा चुकी है. लंदन की एक मशहूर कंपनी है चब, जिसे किंग जॉर्ज फोर्थ ने एक जहाज बनाने वाली कंपनी को कहा था कि वह लॉकर बनाएं. उस मशहूर कंपनी ने पुरानी बड़े-बड़े बैंकर्स को लॉकर सप्लाई किया था.

दो-तीन बार कोशिश करने के बाद भी नहीं खुल सका है लॉकर

एडवोकेट कमिश्नर अरुण प्रकाश सक्सेना के अनुसार दो-तीन दिन स्ट्रांग रूम को खोलने की कोशिश की जा चुकी है, लेकिन लॉकर रूम आसानी से नहीं खुल पाया है. यह प्रक्रिया निरंतर जारी है. लॉकर रूम खुलने के बाद ही आगे की जानकारी दी जा सकती है. लॉकर को काटने की कोशिश की जा रही है, लेकिन अभी कामयाबी नहीं मिली है. यह लॉकर चारों तरफ से लोहे की दीवारों से बना हुआ है और कंपनी का चैलेंज है कि इसे बिना चाबी के नहीं खोला जा सकता. कंपनी का कहना है कि वह इतना स्ट्रांग है कि बम ब्लास्ट का भी उस पर कोई असर नहीं होगा.

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Last Updated : Feb 20, 2020, 3:03 AM IST

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